Class 9 इतिहास BSEH Solution for chapter 4 भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन Important Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 9 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of हमारा भारत IV Book for HBSE.
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HBSE Class 9 इतिहास / History in hindi भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन / Bhartiya Krantikari Andolan Important Question Answer for Haryana Board of chapter 4 in Hamara bharat IV Solution.
भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन Class 9 इतिहास Chapter 4 Important Question Answer
प्रश्न 1. भारतीय क्रान्तिकारी आन्दोलन की उत्पत्ति पर चर्चा करें।
उत्तर – भारत में उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में राष्ट्रीय राजनीतिक चेतना के उदय के फलस्वरूप क्रांतिकारी आंदोलन की उत्पत्ति हुई। भारत में क्रांतिकारी आंदोलन की उत्पत्ति के कई कारण थे :
- समाज सुधार आंदोलनों द्वारा प्रेरणा।
- 1857 ई. की क्रांति से प्रेरणा।
- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत के आर्थिक दोहन और शोषण के विरुद्ध प्रतिक्रिया।
- अंग्रेजों द्वारा भारतीयों से दुर्व्यवहार के विरुद्ध प्रतिक्रिया।
- राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं साहित्य से प्रेरणा।
- लाल, बाल, पाल एवं अरविंद घोष की विचारधारा से प्रेरणा।
- अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं का प्रभाव।
प्रश्न 2. क्रान्तिकारियों के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर –
- भारत में ब्रिटिश सरकार का अस्तित्व समाप्त करके पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना।
- युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जागृत करना।
- सशस्त्र बल का प्रयोग करके क्रांति करना।
- युवाओं को संगठित करना।
- भारत में क्रांतिकारी संस्थाओं की स्थापना करना।
- लोकतंत्र की स्थापना।
- राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना।
- व्यवस्था में बदलाव करना।
प्रश्न 3. गदर आंदोलन पर विस्तृत चर्चा करें।
उत्तर – उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ में भारत से कई भारतीय धन कमाने व जीविका के साधन ढूंढते हुए अमेरिका, बर्मा, सिंगापुर, हांगकांग, कनाडा आदि देश जा पहुंचे परंतु भारतीय होने के नाते विदेश में भी इनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता था। इसलिए अपने देशवासियों की पीड़ा को करते अनुभव हुए उन्होंने निश्चय किया कि वह यहां विदेश में रहकर अपने भारतवर्ष को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करवाने का प्रयास करेंगे। इसलिए उन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन चलाने का निश्चय किया। सर्वप्रथम 21 अप्रैल, 1913 ई. में अमेरिका व कनाडा के भारतीयों को संगठित करके एक ‘हिंदुस्तानी एसोसिएशन’ (हिन्दी पैसेफिक एसोसियेशन) बना ली जिसे गदर पार्टी कहा जाता था । गदर पार्टी के मुख्य नेता सोहन सिंह भकना, लाला हरदयाल, भाई केसर सिंह, पण्डित कांशी राम, भाई परमानन्द, मुहम्मद बरकतुल्ला, करतार सिंह सराभा थे। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य भारत की आजादी के लिए संघर्ष था। इस पार्टी का मुख्यालय अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में युगांतर आश्रम नामक स्थान पर खोला गया। नवंबर 1913 ई. में ‘गदर’ नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र निकाला गया जो हिंदी, मराठी, अंग्रेजी, उर्दू आदि विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होने लगा। इस समाचार पत्र में ब्रिटिश शासन की वास्तविक तस्वीर भारतीयों के सामने पेश की गई तथा साथ ही नवयुवकों को क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए आह्वान किया गया। यह पत्र विश्व के कई देशों में निःशुल्क भेजा जाता था। इस पार्टी के हजारों सदस्य भारत को आजाद करवाने के लिए जहाजों द्वारा भारत पहुंचे। ये लोग पूरे पंजाब में फैल गए और अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध गोपनीय कार्य करने लगे। मार्च 1914 ई. में लाला हरदयाल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया। इसलिए वह अमेरिका छोड़कर स्विट्जरलैंड चले गए। उसके पश्चात् भगवान सिंह, करतार सिंह सराभा, रामचंद्र आदि नेताओं ने अपने प्रयासों से गदर आंदोलन को जारी रखा।
प्रश्न 4. कामागाटामारू घटना पर चर्चा करें।
उत्तर – गदर पार्टी के सदस्यों ने भारत में सशस्त्र क्रांति लाने के उद्देश्य से क्रांतिकारियों को जर्मन शस्त्रों के साथ तोसामारु नामक जहाज में भारत भेजा परंतु इसकी सूचना पहले ही भारत में ब्रिटिश सरकार को हो गई । इसलिए भारत पहुंचने पर सभी व्यक्तियों को कैदी बनाकर मृत्युदंड दिया गया। इसी समय कनाडा की सरकार ने भारतीयों पर अनेक अनुचित प्रतिबंध लगा रखे थे। इसलिए इन भारतीयों के सहयोग के लिए सिंगापुर के एक धनी भारतीय बाबा गुरदित्त सिंह ने कामागाटामारू जहाज 350 भारतीयों को लेकर कनाडा के लिए प्रस्थान किया। 23 मई, 1914 ई. को जब यह जहाज कनाडा की बंदरगाह वैंकूवर पहुंचा तो कनाडा की सरकार ने केवल 24 लोगों को ही वहां उतरने की इजाजत दी। जहाज में 340 सिक्खों के साथ-साथ हिंदू व मुसलमान भी थे। सभी को वापिस जहाज में जबरदस्ती बैठा दिया गया। तत्पश्चात् यह जहाज सभी लोगों को लेकर वापिस भारत के लिए रवाना हो गया। भारत में ब्रिटिश सरकार को यह बात पहले ही पता चल चुकी थी। जब यह जहाज कलकत्ता (बजबज घाट) पहुंचा तो यहां भी ब्रिटिश सरकार ने उन्हें नीचे उतरने की इजाजत नहीं दी और यात्रियों को बलपूर्वक पंजाब भेजने का प्रयास किया। कुछ यात्रियों ने बलपूर्वक कलकत्ता में प्रवेश करने की कोशिश की तो सरकार ने उन निर्दोष यात्रियों पर गोली चला दी। यह घटना 27 सितम्बर, 1914 ई. को घटी। इसमें 19 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना को कामागाटामारू घटना कहते है।
प्रश्न 5. विनायक दामोदर सावरकर की प्रमुख रचनाएं कौन-सी थी?
उत्तर – विनायक दामोदर सावरकर की प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं—
- द इण्डियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस
- हिंदू राष्ट्रीय दर्शन
- लेटर्स फ्राम अंडमान
- हिंदू पद पादशाही
- एसेंशियल्स ऑफ हिंदुत्व
- डेडिकेशन टू मार्टियर्स
प्रश्न 6. काले पानी की सजा कैसी होती थी?
उत्तर – अंडमान की सेल्यूलर जेल की सजा को काले पानी की सजा भी कहा जाता था। इस जेल में राजनीतिक कैदियों के साथ डाकुओं और हत्यारों से भी अधिक बुरा व्यवहार किया जाता था। कैदियों को अलग-अलग सेल (कक्ष) में रखा जाता था। हल्का-सा भी शक होने पर हथकड़ियाँ पहनाकर हाथ ऊपर करके खड़ा रहने की सजा दी जाती थी। प्रतिदिन 30 पौंड तेल निकलवाने के लिए कोल्हू चलवाया जाता था। कम तेल निकालने वाले की पिटाई की जाती थी। पीने का पानी भी बहुत मुश्किल से मिलता था।
प्रश्न 7. कूका आंदोलन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर – कूका या नामधारी आंदोलन वास्तव में एक ‘धर्म सुधार आंदोलन’ था। सामूहिक रूप से एक साथ इकट्ठे होकर किसी विशेष उद्देश्य के लिए ऊँची आवाज लगाने को कूक कहा जाता है। नामधारी ऊँची-ऊँची आवाज (कूक) लगाकर गायन करते थे इसलिए उनके आंदोलन को कूका आंदोलन का नाम दिया गया। आदर्श राजनीतिक शासन की स्थापना के लिए बालक सिंह नामक उदासी फकीर के शिष्य राम सिंह कूका के नेतृत्व में यह आंदोलन शुरू हुआ। । बालक सिंह की मृत्यु के पश्चात् बाबा राम सिंह ने कार्यभार संभाला तथा अपना मुख्यालय भैणी साहिब (लुधियाना) में स्थापित किया। जब बाबा राम सिंह ने सिक्खों को अंग्रेजों के हाथों पराजित व अपमानित होते हुए देखा तब उन्होंने अंग्रेजों को बाहर निकालने के लिए प्रयास प्रारम्भ कर दिए। बाबा राम सिंह ने पंजाब के विभिन्न जिलों में अपने सूबेदार और नायब सूबेदार नियुक्त किए। उन्होंने युवकों को सैनिक प्रशिक्षण देने के लिए एक निजी अर्ध-सैनिक संस्था स्थापित कर ली। कूका या नामधारी आंदोलन के अनुयायी गायों का बहुत सम्मान करते थे। उन्होंने सरकार से गौ हत्या पर कड़ी रोक लगाने की लगातार मांग की, परन्तु सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। 1872 ई. में कूकाओं को सूचना मिली कि मुस्लिम राज्य मलेरकोटला में गायों की हत्या की जा रही है तो उनके एक समूह ने मलेरकोटला पर धावा बोल दिया। अंग्रेज सरकार ने राम सिंह व उनके अनुयायियों को इस उपद्रव के लिए उत्तरदायी माना और उन्हें बंदी बनाकर रंगून (वर्तमान में म्यानमार) भेज दिया। अपनी मृत्यु तक वे जेल में बंदी रहे। राम सिंह कूका ने अंग्रेजी साम्राज्यवाद को उखाड़ने का प्रयास किया। नामधारी कूकाओं ने सर्वप्रथम स्वदेशी कपड़े, खासकर गाढ़ा या खर पहनकर स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार एवं विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके उसे राष्ट्रीय अस्त्र के रूप में प्रयोग किया था।
प्रश्न 8. ‘अलीपुर षड्यंत्र केस’ क्या था?
उत्तर – सन् 1960 ई. में खुदीराम बोस व प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर के न्यायाधीश किंग्सफोर्ड को मारने के मकसद से उसकी बग्गी पर बम फेंक दिया। चाकी ने आत्महत्या कर ली और खुदीराम बोस को मृत्युदंड दिया गया। अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों का बम बनाने का कारखाना पकड़ लिया और कई क्रांतिकारियों पर मुकदमा चला था। इस केस को अलीपुर षड्यंत्र केस कहा जाता है।