Class 9 इतिहास BSEH Solution for chapter 4 भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 9 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of हमारा भारत IV Book for HBSE.
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HBSE Class 9 इतिहास / History in hindi भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन / Bhartiya Krantikari Andolan Question Answer for Haryana Board of chapter 4 in Hamara bharat IV Solution.
भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन Class 9 इतिहास Chapter 4 Question Answer
फिर से जानें :
- विनायक दामोदर सावरकर ने ‘अभिनव भारत’ नामक संस्था का गठन किया।
- अनुशीलन समिति का गठन बंगाल में हुआ।
- अंग्रेज अधिकारी कर्जन वाइली की हत्या मदन लाल ढींगरा ने की।
- बाबा गुरदित्त सिंह ने 350 भारतीयों को कामागाटामारू जहाज से कनाडा के लिए प्रस्थान करवाया था।
- कूका आंदोलन का नेतृत्व रामसिंह कूका ने किया।
- गदर पार्टी की स्थापना 1913 ई. में हुई।
आइये विचार करें
प्रश्न 1. भारतीय क्रान्तिकारी आन्दोलन की उत्पत्ति पर चर्चा करें।
उत्तर – भारत में उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में राष्ट्रीय राजनीतिक चेतना के उदय के फलस्वरूप क्रांतिकारी आंदोलन की उत्पत्ति हुई। भारत में क्रांतिकारी आंदोलन की उत्पत्ति के कई कारण थे :
- समाज सुधार आंदोलनों द्वारा प्रेरणा।
- 1857 ई. की क्रांति से प्रेरणा।
- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत के आर्थिक दोहन और शोषण के विरुद्ध प्रतिक्रिया।
- अंग्रेजों द्वारा भारतीयों से दुर्व्यवहार के विरुद्ध प्रतिक्रिया।
- राष्ट्रीय समाचार पत्रों एवं साहित्य से प्रेरणा।
- लाल, बाल, पाल एवं अरविंद घोष की विचारधारा से प्रेरणा।
- अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं का प्रभाव।
प्रश्न 2. क्रान्तिकारियों के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर –
- भारत में ब्रिटिश सरकार का अस्तित्व समाप्त करके पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना।
- युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जागृत करना।
- सशस्त्र बल का प्रयोग करके क्रांति करना।
- युवाओं को संगठित करना।
- भारत में क्रांतिकारी संस्थाओं की स्थापना करना।
- लोकतंत्र की स्थापना।
- राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना।
- व्यवस्था में बदलाव करना।
प्रश्न 3. कूका आन्दोलन द्वारा बाबा रामसिंह ने अंग्रेजों का विरोध करने के लिए किन बातों का प्रचार किया?
उत्तर – कूका आन्दोलन द्वारा बाबा रामसिंह ने पंजाब के विभिन्न जिलों में अपने सूबेदार और नायब सूबेदार नियुक्त किए। उन्होंने युवकों को सैनिक प्रशिक्षण देने के लिए एक निजी अर्ध-सैनिक संस्था स्थापित कर ली। नामधारी कूकाओं ने सर्वप्रथम स्वदेशी कपड़े, खासकर गाढ़ा या खर पहनकर स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार एवं विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके उसे राष्ट्रीय अस्त्र के रूप में प्रयोग किया।
प्रश्न 4. श्यामजी कृष्ण वर्मा एवं भीकाजी कामा की भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में भूमिका पर चर्चा करें ।
उत्तर – श्यामजी कृष्ण वर्मा की भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में भूमिका – श्यामजी कृष्ण वर्मा ने सन् 1905 ई. में वर्मा जी ने ‘भारत स्वशासन समिति’ का गठन किया जिसे प्राय: ‘इंडिया हाउस’ कहा जाता था। उन्होंने एक समाचार पत्र ‘इंडियन सोशलॉजिस्ट’ शुरू किया जिसमें अंग्रेजों के अत्याचारों, भारत के आर्थिक शोषण तथा भारतीयता से संबंधी लेख लिखे जाते थे। उन्होंने भारतीयों के लिए एक-एक हजार रुपये की छह फैलोशिप भी आरम्भ की। जिस कारण से शीघ्र ही इंडिया हाउस भारतीय क्रांतिकारियों का केंद्र बन गया।
भीकाजी कामा की भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में भूमिका – भीकाजी कामा एक महान महिला क्रांतिकारी थी। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के केंद्र इंग्लैड व फ्रांस थे। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में हिस्सा लिया तथा स्वयं द्वारा निर्मित राष्ट्रीय ध्वज को फहराया। उन्होंने सम्मेलन में अंग्रेजी शासन के शोषणकारी स्वरूप की जानकारी दी। उन्हें बंदी बनाकर इग्लैंड से निर्वासित कर दिया गया। उसके बाद वह फ्रांस चली गई तथा 1934 ई. में भारत लौटी।
प्रश्न 5. विनायक दामोदर सावरकर को भारतीय क्रांतिकारी इतिहास में क्यों याद किया जाता है? इनके योगदान पर चर्चा करें।
उत्तर – विनायक दामोदर सावरकर के योगदान को देखते हुए भारतीय जनता ने उन्हें ‘स्वतंत्र्यवीर’ की उपाधि से विभूषित किया। इसलिए उन्हें वीर सावरकर भी कहा जाता है। सन् में 1901 ई. में उन्होंने फर्ग्यूसन कॉलेज में दाखिला लिया जहां वे बाल गंगाधर तिलक के संपर्क में आए। उन्होंने अपने मित्रों के साथ मिलकर ‘मित्र मेला’ नामक संगठन बनाया तथा सन् 1905 ई. में पूना में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। उन्होंने सन् 1906 ई. में क्रांतिकारियों का एक गुप्त संगठन ‘अभिनव भारत’ बनाकर महाराष्ट्र में क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन किया। सावरकर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1857 ई. के सैनिक विद्रोह को ‘भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ कहा। उन्होंने इस नाम से एक पुस्तक भी लिखी जिसे तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने प्रकाशन से पूर्व ही ज़ब्त कर लिया। 23 दिसंबर, 1910 ई. को सावरकर को दो जन्मों के आजीवन कारावास का दंड देकर उनकी पैतृक सम्पत्ति को जब्त कर लिया गया। दस वर्ष (4 जुलाई, 1911 ई. से 2 मई, 1921 ई.) तक सावरकर अंडमान की सेल्यूलर जेल में रहे। मई 1920 ई. में महात्मा गांधी ने भी ‘यंग इंडिया’ पत्रिका में सरकार से उन्हें रिहा करने की अपील की। अंडमान से रिहा होने के बाद भी वो कई वर्ष तक जेल में रहे तथा बाद में उन्हें कई वर्षों तक नजरबंद करके उन पर कई प्रकार के प्रतिबंध भी लगाए गए। सावरकर हिंदुत्व में विश्वास रखते थे तथा विभाजन के सख्त विरोधी थे। उन्होंने विभाजन रोकने के लिए अथक प्रयास किए थे।
प्रश्न 6. गदर आंदोलन पर विस्तृत चर्चा कर इसके महत्व पर विचार करें।
उत्तर – उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ में भारत से कई भारतीय धन कमाने व जीविका के साधन ढूंढते हुए अमेरिका, बर्मा, सिंगापुर, हांगकांग, कनाडा आदि देश जा पहुंचे परंतु भारतीय होने के नाते विदेश में भी इनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता था। इसलिए अपने देशवासियों की पीड़ा को करते अनुभव हुए उन्होंने निश्चय किया कि वह यहां विदेश में रहकर अपने भारतवर्ष को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करवाने का प्रयास करेंगे। इसलिए उन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन चलाने का निश्चय किया। सर्वप्रथम 21 अप्रैल, 1913 ई. में अमेरिका व कनाडा के भारतीयों को संगठित करके एक ‘हिंदुस्तानी एसोसिएशन’ (हिन्दी पैसेफिक एसोसियेशन) बना ली जिसे गदर पार्टी कहा जाता था । गदर पार्टी के मुख्य नेता सोहन सिंह भकना, लाला हरदयाल, भाई केसर सिंह, पण्डित कांशी राम, भाई परमानन्द, मुहम्मद बरकतुल्ला, करतार सिंह सराभा थे। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य भारत की आजादी के लिए संघर्ष था। इस पार्टी का मुख्यालय अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में युगांतर आश्रम नामक स्थान पर खोला गया। नवंबर 1913 ई. में ‘गदर’ नामक एक साप्ताहिक समाचार पत्र निकाला गया जो हिंदी, मराठी, अंग्रेजी, उर्दू आदि विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित होने लगा। इस समाचार पत्र में ब्रिटिश शासन की वास्तविक तस्वीर भारतीयों के सामने पेश की गई तथा साथ ही नवयुवकों को क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए आह्वान किया गया। यह पत्र विश्व के कई देशों में निःशुल्क भेजा जाता था। इस पार्टी के हजारों सदस्य भारत को आजाद करवाने के लिए जहाजों द्वारा भारत पहुंचे। ये लोग पूरे पंजाब में फैल गए और अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध गोपनीय कार्य करने लगे। मार्च 1914 ई. में लाला हरदयाल को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया। इसलिए वह अमेरिका छोड़कर स्विट्जरलैंड चले गए। उसके पश्चात् भगवान सिंह, करतार सिंह सराभा, रामचंद्र आदि नेताओं ने अपने प्रयासों से गदर आंदोलन को जारी रखा।
प्रश्न 7. कामागाटामारू घटना पर चर्चा करें।
उत्तर – गदर पार्टी के सदस्यों ने भारत में सशस्त्र क्रांति लाने के उद्देश्य से क्रांतिकारियों को जर्मन शस्त्रों के साथ तोसामारु नामक जहाज में भारत भेजा परंतु इसकी सूचना पहले ही भारत में ब्रिटिश सरकार को हो गई । इसलिए भारत पहुंचने पर सभी व्यक्तियों को कैदी बनाकर मृत्युदंड दिया गया। इसी समय कनाडा की सरकार ने भारतीयों पर अनेक अनुचित प्रतिबंध लगा रखे थे। इसलिए इन भारतीयों के सहयोग के लिए सिंगापुर के एक धनी भारतीय बाबा गुरदित्त सिंह ने कामागाटामारू जहाज 350 भारतीयों को लेकर कनाडा के लिए प्रस्थान किया। 23 मई, 1914 ई. को जब यह जहाज कनाडा की बंदरगाह वैंकूवर पहुंचा तो कनाडा की सरकार ने केवल 24 लोगों को ही वहां उतरने की इजाजत दी। जहाज में 340 सिक्खों के साथ-साथ हिंदू व मुसलमान भी थे। सभी को वापिस जहाज में जबरदस्ती बैठा दिया गया। तत्पश्चात् यह जहाज सभी लोगों को लेकर वापिस भारत के लिए रवाना हो गया। भारत में ब्रिटिश सरकार को यह बात पहले ही पता चल चुकी थी। जब यह जहाज कलकत्ता (बजबज घाट) पहुंचा तो यहां भी ब्रिटिश सरकार ने उन्हें नीचे उतरने की इजाजत नहीं दी और यात्रियों को बलपूर्वक पंजाब भेजने का प्रयास किया। कुछ यात्रियों ने बलपूर्वक कलकत्ता में प्रवेश करने की कोशिश की तो सरकार ने उन निर्दोष यात्रियों पर गोली चला दी। यह घटना 27 सितम्बर, 1914 ई. को घटी। इसमें 19 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना को कामागाटामारू घटना कहते है।
आओ करके देखें :
प्रश्न 1. अपने क्षेत्र के ऐसे व्यक्तियों की सूची बनाओ जिन्होंने समाज सेवा में उल्लेखनीय कार्य किया है।
उत्तर – छात्र स्वयं प्रयास करें।
प्रश्न 2. अपने क्षेत्र की ऐसी संस्थाओं की सूची बनाओ जो लोगों में राष्ट्र प्रेम, नैतिक मूल्य और समाज सेवा के भाव विकसित करने के लिये कार्य कर रही हैं।
उत्तर – छात्र स्वयं प्रयास करें।