भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में हरियाणा की भूमिका Class 9 इतिहास Chapter 9 Important Question Answer – हमारा भारत IV HBSE Solution

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HBSE Class 9 इतिहास / History in hindi भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में हरियाणा की भूमिका / Bhartiya Rashtariya Andolan me haryana ki bhumika Important Question Answer for Haryana Board of chapter 9 in Hamara bharat IV Solution.

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में हरियाणा की भूमिका Class 9 इतिहास Chapter 9 Important Question Answer


प्रश्न 1. 1857 ई. की क्रांति में राव तुलाराम की क्या भूमिका रही? व्याख्या करें।

उत्तर – राव तुलाराम दूर-दृष्टि रखने वाला एक जनरल था। उसने पटौदी की इस छोटी-सी टक्कर से शावर्स की सेना की ताकत का अंदाजा लगा लिया। शावर्स के रेवाड़ी पहुंचने से पहले ही राव तुलाराम ने 5 अक्टूबर, 1857 ई. को किला खाली कर दिया। राव तुलाराम पहले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने सहायता के लिए विदेश जाने का प्रयास किया परन्तु अफगानिस्तान तक ही पहुंच पाए और काबुल में 23 सितम्बर, 1863 ई. को उनका देहांत हो गया।


प्रश्न 2. 1857 ई. की क्रांति में रोहनात गांव की भूमिका पर विचार करें।

उत्तर – गांव रोहनात हांसी से आठ मील दक्षिण की ओर स्थित है। अंग्रेज सैनिकों ने 800 घुड़सवार व 4 तोपें लेकर तोशाम पर हमला किया और उसके बाद रोहनात गाँव पर अंग्रेजी सेना व बीकानेर के सैनिकों ने जबरदस्त हमला किया, जिसका गाँव के देशभक्त क्रांतिकारियों ने जेली, बल्लम, गंडासों आदि हथियारों से डटकर मुकाबला किया। इसमें क्रांतिकारियों की जीत हुई। परंतु सितम्बर के आखिरी दिनों में अंग्रेजों की पकड़ मजबूत होने लगी। अंग्रेजों ने तोपों के साथ गाँव रोहनात पर हमला किया। बहुत से हिस्सों को जला दिया गया जिसमें सैंकड़ों क्रांतिकारी शहीद हुए । ‘मंगल खां’ व ‘बिरड़ दास बैरागी’ को तोप से उड़ा दिया गया व ‘रूपा खाती’ को मार डाला गया। अन्य साथियों को हांसी ले जाकर पत्थर की गिरड़ी के नीचे कुचल दिया गया।


प्रश्न 3. असहयोग आंदोलन में हरियाणा के योगदान पर चर्चा करें।

उत्तर –  1920 ई. में कलकत्ता में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में हुआ। इसमें गांधी जी के असहयोग आंदोलन को चलाने का निर्णय लिया गया। अतः हरियाणा में लाला लाजपत राय, लाला दुनी चन्द, लाला मुरलीधर, गणपतराय आदि महान राष्ट्रीय नेताओं ने विभिन्न शहरों में जनसभाएँ आयोजित की। असहयोग आंदोलन के अन्तर्गत सरकार को किसी भी प्रकार का सहयोग न करने का निर्णय लिया गया, जिसके परणामस्वरूप प्रदेश के सैकड़ों लोगों ने उपाधियाँ त्याग दी। विद्यार्थियों ने सरकारी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में जाना बन्द कर दिया। वकीलों ने वकालत छोड़ दी। किसानों द्वारा कर देना बन्द कर दिया गया। विभिन्न शहरों में शराब की दुकानों एवं विदेशी सामान बेचने बाली दुकानों के सामने धरने दिये जाने लगे। विदेशी वस्त्रों की होली जलाई गई और खादी पहनने की शपथ ली गई। हरियाणा में असहयोग आंदोलन गाँव-गाँव तथा शहर-शहर में बड़ी सफलता से चल रहा था। इससे सरकार घबरा गई और उसने आंदोलनकारियों की धर-पकड़ आरम्भ कर दी। हरियाणा से हजारों की संख्या में आंदोलनकारी गिरफ्तार किये गए। झज्जर के पंडित श्रीराम शर्मा ने भी असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। उन्होंने व्यक्तियों को न केवल एकजुट होने अपितु विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने के लिए भी प्रेरित किया।


प्रश्न 4. भारत नौजवान सभा में हरियाणा की क्या भूमिका थी?

उत्तर – इस नौजवान सभा ने हरियाणा में विभिन्न शहरों में शाखाएँ स्थापित की। इस सभा के व्यक्ति विभिन्न क्षेत्रों की गुप्त सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे तथा क्रान्तिकारी नेताओं की हर तरह से सहायता करते थे। इसमें पोस्टर लगाना, हथियारों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाना आदि प्रमुख कार्य थे लेकिन 1930 ई. में इस संगठन को अंग्रेजों ने अवैध घोषित करके इसके सदस्यों की धर पकड़ शुरू कर दी। अनेक नेताओं को जेल में डाल दिया गया। धीरे-धीरे यह सभा कमजोर पड़ती गई।


प्रश्न 5. हरियाणा कब व किस प्रकार एक पूर्ण राज्य के रूप में विकसित हुआ? स्पष्ट करें।

उत्तर – स्वतंत्रता प्राप्ति के समय हरियाणा पंजाब राज्य के साथ जुड़ा हुआ था। इसके आर्थिक व सामाजिक हितों की निरंतर उपेक्षा की जा रही थी जिससे यहाँ के लोगों को अनुभव होने लगा कि पंजाब में रह कर उनका राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक विकास नहीं हो सकता। इसके फलस्वरूप अलग प्रान्त के निर्माण के लिए आंदोलन छिड़ गया ।

अलग प्रान्त की मांग को और अधिक प्रबल बनाने के लिए आर्य समाज, हिन्दू महासभा तथा जनसंघ आदि संगठनों ने इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन किए। पंडित श्रीराम शर्मा की अध्यक्षता में ‘हरियाणा विकास कमेटी’ द्वारा हरियाणा को अलग प्रांत की मांग को पुरजोर तरीके से रखा गया। पंजाब सरकार ने बहुत लोगों को जेलों में बन्द कर दिया लेकिन विरोध बढ़ता देखकर एक अलग प्रान्त की मांग को स्वीकार कर लिया गया। एक विधेयक के अनुसार 1 नवम्बर, 1966 ई. को हरियाणा का एक पूर्ण राज्य के रूप में उदय हुआ।


प्रश्न 6. अरूण आसफ अली का भारतीय स्वतंत्रता में योगदान पर चर्चा करें।

उत्तर – अरुणा आसफ अली का जन्म 16 जुलाई, 1908 ई. को हरियाणा के कालका में हुआ था। वे एक सशक्त देशभक्त महिला थी। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे भारत में महिलाओं का नेतृत्व किया। वह ग्वालिया टैंक मैदान (मुम्बई) में पहली महिला रही, जिन्होंने राष्ट्र ध्वज फहराया। वे महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई। 1994 ई. में इन्हें ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया। इनका नाम हरियाणा व पूरे भारत वर्ष में बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है।


प्रश्न 7. सुचेता कृपलानी का भारतीय स्वतंत्रता में योगदान पर चर्चा करें।

उत्तर – सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून, 1908 ई. को अम्बाला में हुआ। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में इनका योगदान बहुत सराहनीय रहा। महिला आंदोलनों का नेतृत्व करना, उन्हें लाठी चलाना एवं प्राथमिक चिकित्सा की शिक्षा देना इनका महत्वपूर्ण कार्य था। इसके साथ-साथ उन्होंने सभी आंदोलनों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। आजादी के बाद ये स्वतन्त्र भारत में उतर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।


प्रश्न 8. चौधरी छोटूराम कौन थे? उनके द्वारा देशवासियों के लिए योगदान का वर्णन करें।

उत्तर – चौधरी छोटूराम हरियाणा के एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपना जीवन दरिद्र किसानों की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने पंजाब के नेता फजले हुसैन से मिलकर 1923 ई. में ‘यूनियनिस्ट पार्टी’ का गठन किया। इस पार्टी का उद्देश्य किसानों और पिछड़े हुए गरीब लोगों का उद्धार करना था। जहाँ तक स्वतंत्रता की बात थी वह भी कांग्रेस की तरह ही डोमिनियन स्टेटस की ही मांग करते थे। कांग्रेस का विस्तार अभी तक गांवों तक नहीं हुआ था। चौधरी छोटूराम तथा यूनियनिस्ट पार्टी ने दरिद्र किसानों और पिछड़े हुए लोगों के हितों की आवाज उठाई। 1923 ई. के बाद हुए केंद्रीय विधान परिषद तथा पंजाब विधान परिषद के लगभग सभी चुनावों में यूनियनिस्ट पार्टी विजयी रही। चौधरी छोटूराम ने पंजाब सरकार में मंत्री रहते हुए किसानों के हितों के लिए कई कानून पास करवाए तथा किसानों को साहूकारों एवं महाजनों के चंगुल से मुक्त कराने का प्रयास किया। उनके द्वारा पास करवाए गए कानून ‘सुनहरी कानूनो’ के नाम से भी जाने जाते हैं। उन्होंने ‘जाट गजट’ नामक अखबार का प्रकाशन एवं संपादन किया तथा ‘ठग बाजार की सैर’ तथा ‘बेचारा किसान’ शीर्षक के तहत 17 लेखों की एक श्रृंखला भी लिखी। उन्होंने किसानों में व्याप्त हीन भावना को मिटाकर आत्मविश्वास उत्पन्न किया। जनसाधारण ने उन्हें ‘रहबर-ए-आज़म’ ‘दीनबंधु’ तथा ‘किसानों का मसीहा’ इत्यादि नाम दिए।


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