छाया मत छूना Class 10 Hindi Chapter 7 Important Question Answer – क्षितिज भाग 2 NCERT Solution

NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Chapter 7 छाया मत छूना Important  Question Answer for HBSE. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.

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NCERT Solution of Class 10th Hindi Kshitij bhag 2/  क्षितिज भाग 2 Kavita 7 छाया मत छूना / Chaya Mat Chuna Important Question And Answer ( महत्वपूर्ण प्रश्न ) Solution.

छाया मत छूना Class 10 Hindi Chapter 7 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1. कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है ?

उत्तर – मनुष्य का जीवन कल्पनाओं के आधार पर नहीं टिकता। वह जीवन के कठोर धरातल पर स्थित होकर ही आगे गति करता है। पुरानी सुख भरी यादों से वर्तमान दुःखी हो जाता है। मन में पलायनवाद के भाव उत्पन्न हो जाते हैं। उसे कठिन यथार्थ से आमना-सामना कर के ही आगे बढ़ने की चेष्टा करनी चाहिए। कवि ने जीवन की कठिन कठोर वास्तविकता को स्वीकार करने की बात इसीलिए कही है।


प्रश्न 2. कविता में व्यक्त दुःख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – हर व्यक्ति का जीवन सुख और दुःखों के मेल से बना है। सुख के बाद दुःख आते हैं तो दुःखों के बाद सुख। हमें सुख आनंद का अहसास कराते हैं तो दुःख पीड़ा देते हैं। हम पीड़ा से मुक्ति पाने की चेष्टा करते हैं और सुख की घड़ियों को बार-बार याद करने लगते हैं जिससे पीड़ा कम होने की अपेक्षा बढ़ जाती है; वह दोगुनी हो जाती है। हम धन-दौलत प्राप्त कर अपना जीवन सुखमय बनाने की कोशिश करते हैं पर धन की प्राप्ति से सभी सुख प्राप्त नहीं होते। सुख का आधार तो मन की शांति है। हमें मन की शांति के लिए प्रयत्नशील हो जाना चाहिए। जो बातें बीत चुकी हों उन्हें भुला देना चाहिए और सुखद भविष्य के लिए प्रयासरत हो जाना चाहिए। दुःख के कारण पुरानी सुखद बातों को मन ही मन दोहराते नहीं रहना चाहिए। कवि ने इसीलिए विगत के सुख को याद कर कल्पना-जगत से चिपके रहने से मना किया है।


प्रश्न 3. ‘मृगतृष्णा’ किसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है ?

उत्तर – ‘मृगतृष्णा’ का शाब्दिक अर्थ है-धोखा। जो न होकर भी होने की स्थिति को प्रकट करता है वही मृगतृष्णा है। कवि ने कविता में सुख संपदाओं की प्राप्ति से मानसिक सुख की प्राप्ति के लिए ‘मृगतृष्णा’ शब्द का प्रयोग किया है। किसी व्यक्ति के पास चाहे अपार भौतिक सुख हो पर उन सब से मानसिक सुख और शांति की प्राप्ति हो जाना संभव नहीं होता चाहे उसकी संपन्नता को देखकर लोग उसे सुखी मानते रहें।


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