HBSE Class 11 Hindi Important Questions and Answers for 2021 Exams. Here i added all the Important Questions of Aroh Bhag -1 from Class 11 Hindi. As you Know Haryana Board as well as other boards like CBSE Changed their Syllabus for 2021 Exams due to study is not performed well. Now HBSE changed class 11 Hindi Syllabus also . So Here i added all Important Questions after changing in Syllabus. Some Chapters has deleted so your important questions from आरोह भाग 1 is changed also. HBSE Paper Pattern is not changed more but Chapters reduced. here i Provided all the Important Questions of Class 11 Hindi 2020-21 with Chapter wise.
Class 11 Hindi Important Questions 2021
नमक का दारोगा पाठ 1 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहल (पक्ष ) उभरकर आते हैं ?
उत्तर – पंडित अलोपीदीन ‘नमक का दारोगा’ कहानी के प्रमुख पात्र हैं। उनके व्यक्तित्व के अनेक पहलू सामने आते हैं पर उनमें से प्रमुख दो पहलू हैं-
1. निपुण व्यवसायी- पंडित अलोपीदीन धन के महत्त्व को भली -भाँति समझने वाला अति कुशल व्यापारी था। वह जानता था कि किस व्यक्ति से किस भाषा में बोल कर काम निकलवाया जा सकता है। किसी भी सफल व्यापारी का महत्त्वपूर्ण गुण मीठी जुबान है और पंडित अलोपीदीन मीठी जुबान में बोलने और व्यवहार करने में सिद्धहस्त था उसे धन लेने और देने का ढंग आता था। वह अपने प्रत्येक कार्य को येन-केन-प्रकारेण करवा लेता था। जब वंशीधर किसी भी अवस्था में रिश्वत लेकर उसका काम करने को तैयार नहीं हुआ था तो उसने अदालत के माध्यम से अपनी रक्षा कर ली थी। केवल अपनी रक्षा ही नहीं की थी, अपितु वंशीधर को नौकरी से निकलवा भी दिया था। वह हर वस्तु का मोल लगाना जानता था।
2. दूर-दृष्टि का स्वामी- पंडित अलोपीदीन बहुत दूर की सोचता था। दारोगा वंशीधर ने गैर-कानूनी कार्य के लिए अलोपीदीन को गिरफ्तार किया था। उसे चालीस हजार रुपए रिश्वत भी अपने कर्त्तव्य से डिगा नहीं पाई थी। अलोपीदीन अदालत से छूट गया था, पर वह वंशीधर की कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी पर मन ही मन मुग्ध हो गया था अपनी दूर दृष्टि के कारण उसने पहचान लिया था कि वंशीधर सामान्य दारोगा नहीं था। वह परिश्रमी, ईमानदार, निष्ठावान् और कर्तव्य पर अडिग रहने वाला आदमी था। ऐसा व्यक्ति सरलता से प्राप्त नहीं हो सकता। इसीलिए वह स्वयं उसके घर पहुँचा था और उसे अपनी सारी जायदाद का स्थायी मैनेजर नियुक्त कर दिया था। जिस व्यक्ति ने उसे गिरफ्तार किया था उसी को उसने अपनी सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी थी। यदि उसके स्थान पर कोई सामान्य इंसान होता तो उसे इतना ऊँचा ओहदा देने की जगह उससे बदला लेने की बात सोचता।
मियां नसीरुद्दीन पाठ 2 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा क्यों कहा गया है ?
उत्तर – लेखिका ने मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा इसलिए कहा है । वे अपने आप को खानदानी नानबाई कहते थे। वे अन्य नानबाइयों के मुकाबले में स्वयं को नानबाइयों में श्रेष्ठ इसलिए मानते थे क्योंकि उन्होंने नानबाई का प्रशिक्षण अपने परिवार की परंपरा से प्राप्त किया था। उनके पिता मियाँ बरकत शाही नानबाई गढ़ैयावाले के नाम से प्रसिद्ध थे और उन के बुजुर्ग बादशाह को भी नई-नई चीजें बनाकर खिलाते थे तथा उनकी प्रशंसा प्राप्त करते थे। मियाँ नसीरुद्दीन स्वयं छप्पन प्रकार की रोटियां बनाने के लिए प्रसिद्ध थे।
प्रश्न 2. ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्द चित्र में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मियाँ नसीरुद्दीन’ शब्द चित्र में लेखिका ने खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन के व्यक्तित्व, रुचियों और स्वभाव का वर्णन करते हुए यह बताया है कि मियाँ नसीरुद्दीन नानबाई का अपना काम अत्यंत ईमानदारी और मेहनत से करते थे। यह कला उन्होंने अपने पिता से सीखी थी। वे अपने इस कार्य को किसी भी कार्य से हीन नहीं मानते थे। उन्हें गर्व है कि वे अपने खानदानी व्यवसाय को अच्छी प्रकार से चला रहे हैं। वे छप्पन प्रकार की रोटियाँ बना सकते थे। वे काम करने में विश्वास रखते हैं। इस प्रकार मियाँ नसीरुद्दीन के माध्यम से लेखिका यह संदेश देना चाहती है कि हमें अपना काम पूरी मेहनत तथा ईमानदारी से करना चाहिए। कोई भी व्यवसाय छोटा-बड़ा नहीं होता है। हमें अपने व्यवसाय के प्रति समर्पित होना चाहिए।
प्रश्न 3. लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थी ?
उत्तर – लेखिका एक दिन दोपहर के समय जामा मस्जिद के पास मटियामहल के पास से निकलती है। वह वहाँ से गुड़िया मुहल्ले की तरफ निकल जाती है। वहाँ उस की नज़र एक बिल्कुल सामान्य सी अंधेरी दुकान पर पड़ती है। वहाँ वह निरंतर पट-पट की आवाज करते हुए आटे के ढेर को गूँधा जाना देखकर ठिठक जाती है। उसने सोचा कि शायद ये लोग इस आटे से सेवइयाँ बनाते होंगे। जब उसने पूछा तो उसे पता चला कि यह खानदानी नानबाई मियाँ नसीरुद्दीन की दुकान है। मियाँ नसीरुद्दीन छप्पन प्रकार की रोटियाँ बनाने के लिए प्रसिद्ध थे। वह उन से उन की इस कारीगिरी का रहस्य जानने के लिए उन के पास जाती है कि उन्होंने नानबाई का प्रशिक्षण कहाँ लिया था और वे इतने प्रसिद्ध कैसे हो गए?
गलता लोहा पाठ 5 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विदया और घन चलाने की विद्या का ज़िक्र आया है ?
उत्तर – धनराम लुहार जाति का लड़का था। वह पढ़ाई-लिखाई में कुछ कमजोर था। एक दिन स्कूल में मास्टर साहब ने जब उससे सवाल पूछा तो उसे नहीं आया। उन्होंने उसे स्पष्ट कहा कि उसके दिमाग में लोहा भरा है उसमें विद्या का ताप नहीं लग सकता। वास्तव में धनराम के पिता के पास भी इतना धन नहीं था कि वह अपने पुत्र को पढ़ा-लिखा सके। इसी कारण धनराम के थोड़ा बड़े होते ही उसने उसे अपने पुश्तैनी काम में लगा दिया था। उसने अपने पुत्र धनराम को धौंकनी फूँकने से लेकर घन चलाने का पूरा काम सिखा दिया था। इसी प्रसंग में किताबों की विद्या और घन चलाने की विद्या का ज़िक्र आया है।
प्रश्न 2. धनराम मोहन को अपना प्रदिवंद्वी क्यों नहीं समझता था ?
उत्तर – मोहन धनराम से कहीं ज्यादा कुशाग्र बुद्धि था। मोहन ने कई बार मास्टर साहब के आदेश पर अपने हमजोली धनराम को बेंत भी लगाए थे और उसके कान भी खींचे थे। यह सब होने पर धनराम मोहन के प्रति ईर्ष्या भाव नहीं रखता था और न ही उसे अपना प्रतिद्वंद्वी मानता था। इसका मुख्य कारण यह था कि उसके मन में बचपन से ही यह बात बैठ गई थी कि मोहन उच्च जाति का है और वह निम्न जाति का है। अत: मोहन का उस पर अधिकार है। इसके अतिरिक्त मास्टर साहब का यह कहना कि मोहन एक दिन बड़ा आदमी बनकर स्कूल का नाम रोशन करेगा, उसे मोहन के प्रति उच्च भाव रखने पर मजबूर कर देता है। उसे भी मोहन से बहुत आशाएँ थीं और वह अपनी हद जानता था। इसी कारण धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझता था।
प्रश्न 3. मास्टर त्रिलोक सिंह के किस कथन को लेखक ने जुबान के चाबुक कहा है और क्यों ?
उत्तर – धनराम एक निम्न जाति का लड़का था। उसका पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता था। उसे स्कूल के बाद अपने लुहार पिता के साथ भी काम करना पड़ता था पढ़ाई में जब उसे एक दिन सवाल नहीं आया तो मास्टर साहब ने उसे कहा-” तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे ! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें ?” मास्टर साहब के इसी कथन को लेखक ने जुबान का चाबुक कहा है। मास्टर साहब के इस कथन ने चमड़े के चाबुक से भी गहरी चोट की थी। इस कथन को सुनकर धनराम के दिमाग में यह बात बैठ गयी थी कि वह पढ़-लिख नहीं सकता और उसे तो अपने पुश्तैनी लोहारगिरी के काम को ही करना है। जुबान से निकले शब्दों की चोट अक्सर गहरी होती है। मास्टर साहब के इस कथन ने भी धनराम पर गहरा प्रभाव डाला था। इसी कारण लेखक ने इस कथन को जुबान का चाबुक कहा है।
स्पीति में बारिश पाठ 6 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं?
उत्तर – स्पीति में वसंत और शीत दो ऋतुएँ होती हैं। यहाँ की पर्वत श्रृंखलाएं पेड़ों से रहित नंगी हैं। यहां फूल नहीं खिलते और न ही हरियाली आती है। पावस ॠतु इनके लिए एक नाम मात्र है। यहाँ कभी-कभी वर्षा होती है परंतु वह भी नाममात्र के लिए। अन्यथा यहाँ की धरती सूखी, ठंडी तथा बांझ ही रह जाती है। पहाड़ी नालों अथवा उन पर बनाए गए पुल से पानी लेकर ये लोग जौ, गेहूँ, मटर और सरसों की खेती करते हैं। यह फ़सल भी साल में एक बा- होती है। स्पीति में खेती योग्य ज़मीन तो बहुत है परंतु सिंचाई की सुविधा न होने से उसे उपजाऊ नहीं बनाया जा रहा यहाँ कोई फल नहीं होता है। शीत ऋतु में घरों को गर्म रखने के लिए इनके पास लकड़ी भी नहीं होती है। इस प्रका की विषम स्थितियों में स्पीति के लोग अपना जीवनयापन कर रहे हैं।
प्रश्न 2. ‘वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है’-लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर – लेखक का मानना है कि स्पीति में केवल दो ऋतुएँ शीत और बसंत होती हैं। बसंत भी केवल जून से सितंबर तक होती है तथा शेष महीने शीत ऋतु के होते हैं। जुलाई में भी औसत तापमान 15° सेंटीग्रेड रहता है। ‘पावस’ तो यहाँ के लोगों के लिए एक नाम है। कभी-कभी यहाँ वर्षा होती भी है तो भी यहाँ की धरती सूखी, ठंडी और बांझ ही बनी रहती है। लेखक काजा के डाक बंगले में सो रहा था तो आधी रात के बाद उसकी खिड़की बजने लगी। वह खिड़की का पल्ला खोलकर देखता है तो तेज़ हवा के झोंके से बचने के लिए वह खिड़की का पल्ला भेड़ देता है। तभी उसे बाहर वर्षा होने की आवाज़ सुनाई देती है। बाहर बर्फ़ मिश्रित वर्षा हो रही थी। वह सो जाता है। सुबह उसे स्पीति के लोग बताते हैं कि बहुत दिनों बाद यहाँ वर्षा हुई है। आप का यहाँ आना शुभ है, इसलिए वर्षा हुई है। स्पीति के लोगों की इस मान्यता के आधार पर लेखक ने यह कहा है कि स्पीति में वर्षा का आना एक घटना और एक सुखद संयोग है।
जामुन का पेड़ पाठ 8 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इस जानकारी का फ़ाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर – सेक्रेटेरियेट के लॉन में तेज़ आँधी के कारण जामुन के पेड़ के गिरने से एक आदमी उसके नीचे दब जाता है। उसे पेड़ के नीचे से निकालने के लिए एक सरकारी फ़ाइल बनती हैं। आदमी व्यापार विभाग के लॉन में जामुन के पेड़ के नीचे दबता है। उसे पेड़ के नीचे से निकालने के लिए बनी फ़ाइल वहाँ से चल कर कृषि विभाग और हार्टीकल्चर विभाग में जाती है। उनके पास इस आदमी को पेड़ के नीचे से निकालने का कोई कारण नहीं है। माली पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को दिलासा देते हुए कहता है कि उसका मामला ऊपर तक पहुँच गया है। आशा है कि सब ठीक हो जाएगा। माली की बात सुनकर वह आदमी मिर्जा गालिब का शेर पढ़ता है कि जब तक फैसला होगा तब तक वह मर ही जाएगा। माली उसका शेर सुनकर उससे पूछता है कि क्या वह कवि है ? आदमी हाँ कहता है। अगले दिन पूरे आफिस में पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी के कवि होने की बात फैल जाती है। शहर में भी इस आदमी को लेकर चर्चा आरंभ हो जाती है। सेक्रेटेरियेट के लॉन में कवि सम्मेलन जैसा वातावरण बन जाता है। कवि होने के कारण इस आदमी को निकालने के लिए फ़ाइल कल्चरल डिपार्टमेंट में भेजी जाती है। जहाँ उसकी फ़ाइल कई विभागों में से गुज़रती हुई साहित्य अकादमी में पहुँचती है। वहाँ से सेक्रेटरी उस आदमी का इंटरव्यू लेने आता है। इंटरव्यू लेते समय उसे पता चलता है कि इस आदमी का उपनाम औस’ है, जिसका गद्य संग्रह ‘ओस के फूल’ के नाम से प्रकाशित हुआ है। यह दवा हुआ आदमी साहित्य अकादमी का सदस्य नहीं है। सेक्रेटरी इस आदमी को साहित्य अकादमी का सदस्य बना लेता है लेकिन पेड़ के नीचे से निकालने का कार्य उनके विभाग का नहीं है। इसके लिए उसकी फाइल फरिस्ट विभाग को भेज दी जाती है। इससे पता चलता है कि आदमी की फाइल थोड़ा चलती है, आशा बंधती है, फिर टूट जाती है। आदमी के कवि हीने री भी उसकी फाइल की यात्रा में कोई अंतर नहीं पड़ता। अब इल वन- विभाग में पहुँच गई है।
प्रश्न 2. कृषि विभाग वालों ने मामले को हॉटीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया ?
उत्तर – सरकारी व्यापार विभाग के लॉन में जामुन के पेड़ के गिरने से एक आदमी दब गया । उसे निकालने की अपेक्षा व्यापार विभाग वालों ने यह मामला कृषि विभाग में आता है कह कर कृषि विभाग पर डाल दिया। कृषि विभाग वाले अधिकारियों ने जामुन के पेड़ के नीचे से आदमी निकलवाने का मामला हॉटीकल्वर विभाग पर डाल दिया। हॉर्टीकल्चर विभाग में मामला देने के पीछे कृषि विभाग ने यह कारण बताया कि कृषि विभाग अनाज और खेती-बाड़ी से संबंधित मामलों में फैसला करने का अधिकार रखता है जामुन का पेड़ एक फलदार पेड़ था इसलिए इसका मामला हॉटीकल्चर डिपार्टमेंट के अंतर्गत आता है। इसलिए इस समस्या का हल हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट को निकालना चाहिए।
प्रश्न 3. जामुन का पेड़’ कथा में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए अथवा ‘जामुन का पेड़’ कथा का मूल उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘जामुन का पेड़’ कृश्न चंदर द्वारा रचित एक हास्य-व्यंग्य रचना है। इसमें लेखक ने सचिवालय के प्रांगण में तेज़ आँधी के कारण गिरे एक जामुन के पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को निकालने के लिए की जा रही सरकारी खींचतान का वर्णन करते हुए बताया है कि किस प्रकार सरकारी कार्यालयों में जरा-सी बात का भी तुरंत निबटारा नहीं किया जाता अपितु उसे प्रधानमंत्री के आदेश की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। ‘जामुन के पेड़ के नीचे दबे हुए आदमी को कुछ लोग जामुन के पेड़ के तने को उठाकर उस दबे हुए आदमी को निकाल कर उसकी जान बचा सकते थे परंतु लाल फीताशाही तथा सरकार की कछुआ चाल के कारण जब तक जामुन के पेड़ को काटने के आदेश मिलते हैं, दबे हुए आदमी की मृत्यु हो जाती है। लेखक ने सरकारी तंत्र पर व्यंग्य किया है जो कोई काम करने के स्थान पर उसे टालने में ही विश्वास रखता है। उसके लिए मानवीय संवेदनाएँ मूल्यहीन हैं। वे केवल कानून का अंधानुकरण ही करना जानते हैं। लेखक ऐसी व्यवस्था को बेनकाब कर इसे बदलने की प्रेरणा देता है।
प्रश्न 4. विदेश-विभाग पेड़ को कटने क्यों नहीं दे रहा था ?
उत्तर – विदेश-विभाग पेड़ को इसलिए कटने नहीं दे रहा था क्योंकि इस पेड़ को दस वर्ष पहले पिटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने लगाया था। यदि इस पेड़ को काट दिया जाता है तो पीटोनिया सरकार से हमारे संबंधों के बिगड़ने की आशंका थी।
भारत माता पाठ 9 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. नेहरू जी भारत के सभी किसानों से कौन-सा प्रश्न बार-बार करते थे ?
उत्तर – नेहरू जी जब भी कहीं किसी सभा में भाषण देने जाते थे तो वहाँ एकत्र लोग उनका स्वागत ‘भारत माता की जय’ का नारा लगा कर किया करते थे वे वहाँ उपस्थित किसानों से पूछते थे कि इस नारे से उनका मतलब क्या है? यह भारत माता कौन है? इस भारत माता की जय वे क्यों चाहते हैं? उनके इस प्रश्न का वे लोग कोई उत्तर नहीं दे पाते थे और एक-दूसरे की तरफ़ अथवा नेहरू जी की तरफ़ देखने लगते थे। उन्हें नेहरू जी के इस प्रश्न से हैरानी
होती थी कि वे उन लोगों से ऐसा प्रश्न क्यों पूछ रहे हैं?
प्रश्न 2. किसान सामान्यतः भारत माता का क्या अर्थ लेते थे?
उत्तर – नेहरू जी जब भी कहीं किसी सभा को संबोधित करने जाते थे, उनका स्वागत ‘भारत माता की जय’ के नारे से किया जाता था। वे वहाँ उपस्थित किसानों से इस नारे का अर्थ पूछते थे, परंतु कोई बता नहीं पाता था। एक बार एक हट्टे-कट्टे किसान ने उन्हें बताया कि भारत माता से मतलब हमारी धरती से है। तब नेहरू जी ने उन्हें समझाया कि उनके गाँव, ज़िले, प्रांत और सारे हिंदुस्तान की धरती, यहाँ की नदियाँ, पहाड़, जंगल, खेत और यहाँ रहने वाले करोड़ों लोग भारत माता हैं।
प्रश्न 3. भारत माता के प्रति नेहरू जी की क्या अवधारणा थी?
उत्तर – नेहरू जी के अनुसार भारत माता केवल एक देश नहीं है बल्कि इस देश का प्रत्येक गाँव, जिला, राज्य, पहाड़, नदियाँ, जंगल, खेत और यहाँ रहने वाले करोड़ों लोग भारत माता हैं। वे भारत माता की जय का अर्थ इन सबकी जय मानते हैं। उन का मानना है कि जब करोड़ों लोग भारत माता हैं तो इस का तात्पर्य यह हुआ कि प्रत्येक व्यक्ति भारत माता का अंश है, इसलिए वह एक व्यक्ति भी भारत माता है।
प्रश्न 4 आज़ादी से पूर्व किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था?
उत्तर – आज़ादी से पूर्व नेहरू जी भारत की जनता को जगाने के लिए देश के विभिन्न भागों में सभाएँ करते थे। वे अपनी सभा में आए हुए किसानों से उनकी समस्याओं के संबंध में भी बातचीत करते थे। उन्हें सारे देश के किसानों की समस्याएं एक-सी लगती थीं। उन दिनों किसान बहुत गरीब थे। वे कर्ज के बोझ से दबे हुए थे। पूँजीपति और ज़मींदार उनका शोषण करते थे। महाजन का ब्याज चुकाते-चुकाते उनकी पीढ़ियाँ समाप्त हो जाती थीं उन्हें भारी लगान देना पड़ता था तथा पुलिस के अत्याचार भी सहन करने पड़ते थे।
प्रश्न 5. भारत माता’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘भारत माता’ पाठ में जवाहर लाल नेहरू ने यह स्पष्ट किया है कि अनेक भागों में बँटा हुआ होने पर भी हिंदुस्तान एक देश है। इस देश के लोगों की समस्याएँ भी एक समान ही हैं, जिनका मुख्य कारण हमारा पराधीन होना है। इसलिए हमें इस गुलामी से आजाद होने के लिए एक जुट हो जाना चाहिए वे भारत माता का स्वरूप स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि भारत माता केवल भारत की धरती, पहाड़, नदियाँ, जंगल, खेत आदि नहीं है बल्कि इस देश में रहने वाले करोड़ों लोग भी भारत माता हैं। इसलिए भारत माता की जय का अर्थ इस देश के प्रत्येक व्यक्ति की जय है।
प्रश्न 6. नेहरू जी ने किसानों की किन समस्याओं की ओर संकेत किया है ?
उत्तर – नेहरू जी के अनुसार भारत के अधिकांश प्रदेशों के किसानों की समस्याएँ एक समान हैं। वे ग़रीबी, कर्जदारी से ग्रस्त हैं। उन्हें सदा पूँजीपतियों, जमींदारों, महाजनों आदि की शोषण की प्रवृत्ति का भय सताता रहता है। वे पुलिस के अत्याचारों, कड़े लगान और सूद से परेशान हैं।
प्रश्न 7. नेहरू जी ने राष्ट्र की एकता का संदेश कैसे दिया ?
उत्तर – नेहरू जी जिस भी सभा में जाते थे लोगों को बताते थे कि देश के अलग-अलग हिस्से हैं परंतु समग्र रूप से हिंदुस्तान एक है। हमारे देश के विभिन्न राज्यों में रहने वालों की समस्याएँ तथा विदेशी सरकार के सब पर जुल्म भी एक समान हैं। वे ‘वे भारत माता की जय’ के माध्यम से भी लोगों को राष्ट्र की एकता का संदेश देते थे।