Class | 12 |
Textbook | NCERT |
Book | आरोह भाग 2 |
Category | Important Questions |
Class 12 Hindi Chapter 3 (i) कविता के बहाने (ii) बात सीधी थी पर Important Question Answer
प्रश्न 1. ‘बात सीधी थी पर’ कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए। Most Important
OR
‘बात सीधी थी पर’ कविता में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘बात सीधी थी पर’ कविता में कवि कुंवर नारायण ने रचनाकारों के ऊपर व्यंग्य किया है जो अपनी रचनाओं को प्रदान करने के लिए भाषा के साथ खिलवाड़ करते हैं। वे अपनी रचनाओं में शब्दों का जाल बनाकर पाठकों को भ्रमित करते हैं और वाह-वाही लूटते हैं। भले ही उनकी रचनाओं का मतलब पाठकों को समझ में आया हो या नहीं। कवि यहां पर कहना चाहता है कि रचनाकारों को अपनी बात सरल, सहज और स्पष्ट शब्दों में कहनी चाहिए ताकि पाठकों तक उनकी बात सहज रूप में समझ आ जाए।
प्रश्न 2. सीधी बात कहाँ तक बिगड़ी ?
OR
सीधी बात किस प्रकार पेचीदा बन जाती हैं?
उत्तर – जब भी रचनाकार अपनी रचना लिखता है तो वह कोशिश करता है कि वह अपनी बात को सहज और स्पष्ट रूप से कह सके। ऐसा ही कवि ने भी किया। उसने भाषा को तोड़ा-मरोड़ा, उल्टा-पलटा, घुमाया-फिराया और अंत में बात भाषा के चक्कर में इतनी बिगड़ गई कि उसका कोई मतलब ही नहीं रहा। इस प्रकार उसकी उलझी हुई बात प्रभावहीन हो गई।
प्रश्न 3. बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है कैसे?
उत्तर – जब भी हम अपनी कोई बात कहना चाहते हैं तो उसके लिए हम सही शब्दों का चयन भी करते हैं। जिससे जिस भी व्यक्ति को हम कोई बात कहना चाहते हैं वह उसे स्पष्ट रूप में समझ में आ जाए नहीं तो कई बार सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। जिस प्रकार यहां एक उदाहरण दिया है जिसे है हमें स्पष्ट रूप में समझ आ जाएगा की कैसे सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती हैं। जैसे – ‘मारो, मत छोड़ो’ यह सुनने वाला उसे मारेगा। अगर हम कहेंगे ‘मारो मत, छोड़ो’ तो वह उसे छोड़ देगा। अर्थात यहां सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। इसीलिए बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं।