Class | 12 |
Textbook | NCERT |
Book | आरोह भाग 2 |
Category | Important Questions |
Class 12 Hindi Chapter 11 बाजार दर्शन Important Question Answer
प्रश्न 1. ‘बाजार दर्शन’ पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए। Most Important
उत्तर – ‘बाजार दर्शन’ निबंध में लेखक ने बाजार के जादू का वर्णन किया है। यह निबंध उपभोक्तावाद और बाजारवाद के मूल अंतर को समझने का प्रयास करता है। लेखक ने इस निबंध को अपने परिचित और मित्रों के अनुभवों के साथ चित्रित किया है और बताया है कि किस तरह बाजार की जादुई ताकत हमारी बुद्धि को परिवर्तित कर देती है और अपना गुलाम बना लेती है। उन्होंने साथ में यह भी बताया है कि किस तरह हम बाजार का सही प्रयोग कर सकते हैं और इसका लाभ उठा सकते हैं। लेकिन अगर हम बाजार की चमक दमक में फंस गए तो यह हमारे धन और मन दोनों को ही बेकार बना देता है।
प्रश्न 2. बाजार के जादू का वर्णन कीजिए
OR
बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है?
उत्तर – बाजार का जादू मनुष्य की भावनाओं को बदल देता है। यह जादू चलने पर मनुष्य उसकी ओर खिंचा चला जाता है। मनुष्य को सभी सामान जरूरी और आरामदायक प्रतीत होने लगते हैं। लेकिन जब यह बाजार का जादू उतरता है तो उसे आभास होता है कि जो आरामदायक वस्तुएं उसने खरीदी थी वह अब उसे दुख पहुंचा रही हैं। इस समय मनुष्य स्वयं अपराधी जैसा महसूस करने लगता है।
प्रश्न 3. बाजार की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
OR
‘बाजारूपन’ से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं अथवा बाजार की सार्थकता किस में है।
उत्तर – बाजारूपन से तात्पर्य सद्भाव की कमी से हैं। सद्भाव की कमी के कारण आदमी सभी को भूल जाता है। उस समय मनुष्य सभी के साथ ग्राहक जैसा व्यवहार करता है चाहे कोई उसका भाई, मित्र या पड़ोसी क्यों ना हो। वह केवल अपना लाभ-हानि ही देखा है। जो व्यक्ति यह जानता है कि उसे किस वस्तु की आवश्यकता है ऐसा व्यक्ति ही बाजार को सार्थकता प्रदान कर सकता है। यह लोग कभी भी ‘पर्चेसिंग पावर’ के गर्व में नहीं डूबते।