NCERT Class 6 Hindi बाल राम कथा Do Vardan / दो वरदान Chapter 3 Summary for Preparation of Exams and chapter understandings. Here we Provide Class 6 Hindi Question Answer, Important Questions, MCQ and Path ka Sar for Various State Boards like CBSE, Haryana Boards and Other baords. bal ram katha class 6 summary Chapter 3 solution Pdf download available soon.
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NCERT Class 6 Hindi बाल राम कथा / Bal Ram Katha Chapter 3 Do Vardan / दो वरदान Summary / पाठ का सार Solution.
दो वरदान Class 6 Hindi Chapter 3 Summary
पाठ का सार
अब राजा दशरथ राम को युवराज पद देकर उन का राज्याभिषेक करना चाहते थे। राम राज-काज में हिस्सा बंटा रहे थे और उनकी विनम्रता, विद्वता, वीरता आदि से सभी प्रसन्न थे। प्रजा भी उन्हें चाहती थी। राजा दशरथ ने मुनि वशिष्ठ से सलाह करने के बाद दरबार में राम को युवराज पद देने की घोषणा की तो सभी ने उनके प्रस्ताव का समर्थन किया। अगले दिन राम के राज्याभिषेक का निर्णय किया गया भरत और शत्रुघ्न उन दिनों अपने नाना केकयराज के पास गए हुए थे। उन्हें राम के राज्याभिषेक का पता नहीं था और केकय से एक दिन में उन का अयोध्या आना भी संभव नहीं था राजा दशरथ ने भरत के संबंध में राम से चर्चा तो की परंतु वे राज्याभिषेक के कार्यक्रम को स्थगित नहीं करना चाहते थे।
राम के राज्याभिषेक का पता जब कैकेयी की दासी मंथरा को चला तो वह जल-भुन गई। उसे यह कैकेयी के विरुद्ध षड्यंत्र लगा। उसने कैकेयी को जा कर बताया कि राम का राज्याभिषेक होने वाला है। इससे तुम्हारे सब सुखों का अंत हो जाएगा। कैकेयी ने राम के राज्याभिषेक को शुभ समाचार मान कर मंथरा को अपने गले का हार उतार कर दे दिया। इस पर मंथरा ने कैकेयी को कहा कि तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। भरत की अनुपस्थिति में राम का राज्याभिषेक करना तुम्हारे अधिकारों को छीनने का प्रयास है। कैकेयी मंथरा की बातें नहीं मानती और अपना राम के प्रति स्नेह तथा राज्याभिषेक को राम का ज्येष्ठपुत्र होने का अधिकार मानती है। वह मंथरा को डांटती भी है।
मंथरा कैकेयी के डांटने का बुरा न मान कर उसे समझाती है कि तुम बहुत भोली-भाली हो। राम के राजा बनने पर उसे कौशल्या की दासी और भरत को राम का दास बनना पड़ेगा। राम भरत को देश निकाला भी दे सकते हैं। इसलिए तुम कोई ऐसा उपाय करो कि भरत को राजगद्दी और राम को वनवास मिले। कैकेयी पर मंथरा की बातों का असर हो जाता है। वह उस से पूछती है कि वह क्या करे? मंथरा उसे कहती है कि उस ने राजा दशरथ से जो दो वरदान लेने थे उनमें से एक से भरत के लिए राज्य और दूसरे से राम के लिए चौदह वर्ष का बनवास मांग ले। कैकेयी को मंथरा का सुझाव पसंद आ जाता है। वह मंथरा के कहने पर कोपभवन में चली जाती है।
सारा दिन राम के राज्याभिषेक की तैयारी में व्यस्त रहने के बाद राजा दशरथ राजभवन में आते हैं तो सबसे पहले राम के राज्याभिषेक का शुभ समाचार कैकेयी को सुनाने के लिए उसके कक्ष में जाते हैं। कैकेयी वहाँ नहीं थी। पूछने पर उन्हें पता चला कि वह कोपभवन में हैं। वे उसे मनाने कोपभवन जाते हैं। उनके कैकेयी को मनाने के सभी प्रयास व्यर्थ हो जाते हैं तो कैकेयी उनसे कहती है कि पहले वचन दो कि मैं जो कहूंगी उसे आप मानोगे तो मैं अपनी बीमारी बताऊँगी। राजा दशरथ राम की सौगंध खाकर उसकी इच्छा पूरी करने का वचन देते हैं। तब कैकेयी उन से अपने दो वरदान देने के लिए कहती है कि कल सुबह राज्याभिषेक राम का नहीं भरत का हो तथा राम को चौदह वर्ष के लिए वनवास भेजा जाए। यह सुनते ही राजा दशरथ मूर्छित हो जाते हैं। होश आने पर कैकेयी को उस की मांग को अनर्थकारी बताते रहे परंतु कैकेयी ने उन्हें याद दिलाया कि वचन से पीछे हटना रघुकुल की रीति नहीं है। यदि आप वरदान नहीं देंगे तो वह विष पीकर आत्मा हत्या कर लेगी। यह सुनते ही राजा फिर बेहोश हो गए और इसी प्रकार से होश में आते बेहोश होते रात बीत गई परंतु रानी कैकेयी पर इस का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वह अपनी बात पर डटी रही।