HBSE Class 10 History ( इतिहास ) Important Question Answer in Hindi Medium 2025

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HBSE Class 10 इतिहास Important Question Answer 2025



सरस्वती-सिंधु सभ्यता Class 10 इतिहास Chapter 1 Important Question Answer 2024-25


प्रश्न 1 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता की नगर योजना की प्रमुख विशेषताएं क्या थी?
or
सरस्वती सिंधु सभ्यता की नगर योजना की कोई दो विशेषताएं लिखिए। Most Important
or
सरस्वती-सिंधु सभ्यता के विभिन्न प्रकार के भवनों पर नोट लिखो। Most Important
or
सरस्वती सिंधु सभ्यता में भवनों की संरचना कैसी होती थी?
OR
सरस्वती – सिंधु सभ्यता की नगर योजना में सड़कों व गलियों की व्यवस्था कैसी थी ? Most Important

उत्तर – सरस्वती-सिंधु सभ्यता की नगर योजना की प्रमुख विशेषताएं –

  1. इस सभ्यता के नगरों में प्रायः पूर्व और पश्चिम दिशा में दो टीले मिलते हैं। पूर्व दिशा के टीले पर आवास क्षेत्र और पश्चिम टीले पर दुर्ग स्थित होता था।
  2. नगर के आवास क्षेत्र में सामान्य नागरिक, व्यापारी, शिल्पकार, कारीगर और श्रमिक रहते थे। दुर्ग के अंदर प्रशासनिक, सार्वजनिक भवन और अन्नागार स्थित थे।
  3. इस सभ्यता की सड़कें नगरों को पाँच- छ: खंडों में विभाजित करती थी। मोहनजोदड़ो में मुख्य सड़कें 9.15 मीटर तथा गलियां औसतन 3 मीटर चौड़ी थी। सड़के कच्ची होती थी लेकिन साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता था। सड़कों के किनारे कूड़ेदान भी रखे जाते थे।
  4. घरों की नालियां सड़क के किनारे बड़े नाले में गिरती थी। फिर नालों के माध्यम से पानी नगर से बाहर जाता था। नालिया पक्की ईंटों की बनाई जाती थी और इन्हें ऊपर से ढक दिया जाता था।
  5. इस सभ्यता की आवासीय भवनों में तीन-चार कमरे, रसोईघर, स्नानघर और भवन के बीच में आंगन होता था। संपन्न लोगों के घरों में कुआं और शौचालय भी होते थे। मकानों में खिड़कियां, रोशनदान, फर्श और दीवारों पर पलस्तर के सबूत भी मिले हैं।

प्रश्न 2 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता के पतन के कारणों के बारे में विस्तार से चर्चा करे।

उत्तर – इस सभ्यता के पतन के एक नहीं बल्कि अनेक कारण उत्तरदाई रहे होंगे। नीचे पतन के कुछ प्रमुख कारण लिखे गए हैं:-

  1. प्रशासनिक शिथिलता – बस्ती का आकार सीमित होने के कारण और स्वच्छता में कमी के कारण यह सभ्यता समाप्त हो गई।
  2. जलवायु परिवर्तन – वर्षा कम होने के कारण तथा सरस्वती नदी का पानी सूखने की वजह से उनका पतन हुआ।
  3. बाढ़ – मोहनजोदड़ो, चान्हुदड़ो, लोथल और भगतराव के उत्खनन में बाढ़ के साक्ष्य भी मिले हैं। यह भी पतन का कारण हो सकता है।
  4. विदेशी व्यापार में गतिरोध – इस सभ्यता के विदेशी व्यापार में कमी आने के कारण आर्थिक ढांचा कमजोर हो गया। जिसके कारण बहुमूल्य वस्तुओं की जगह स्थानीय उत्पादन की मांग बढ़ी और लोगों के जीवन स्तर में बहुत भारी गिरावट आई।
  5. महामारी – मोहनजोदड़ो से प्राप्त 42 मानव कंकाल के अध्ययन से पता चला कि उनमें से 41 की मौत मलेरिया से हुई थी। यह भी इस सभ्यता के पतन का कारण हो सकता है।

प्रश्न 3 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता को आर्थिक रूप से संपन्न सभ्यता क्यों कहा गया है?

उत्तर – सरस्वती-सिंधु सभ्यता आर्थिक रूप से सम्पन सभ्यता थी। यहाँ के लोगो का मुख्य व्यवसाय कृषि था। यहां लोग मुख्य रूप से गेहूं, जौ, चावल, मूंग, मसूर, मटर, सरसों,कपास, तिल आदि की खेती करते थे। विशिष्ट प्रकार की फसलें, फसल बोने की विधि, कृषि के उपकरण, सिंचाई व्यवस्था आदि उस समय के कृषि विकास को दर्शाती है। इस सभ्यता में बैल, गाय, भैंस, भेड़, बकरी, कुत्ता, गधे और सूअर को प्रमुख रूप से पाले जाते थे। इनका प्रयोग दूध, मांस, खाल और उन के लिए होता था। यह सभ्यता वस्तुओं का आयात और निर्यात भी करती थी। स्थल मार्ग से व्यापार बैल गाड़ियों के द्वारा और समुद्री मार्ग में व्यापार नाव के द्वारा किया जाता था।


प्रश्न 4 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता के व्यापारिक केंद्रों की सूची बनाइए।
OR
सरस्वती सिंधु सभ्यता के दो प्रमुख नगरों के नाम लिखिए। Most Important

उत्तर –

  • हड़प्पा
  • मोहनजोदड़ो
  • लोथल
  • कालीबंगा
  • चान्हूदड़ो

प्रश्न 5 – सरस्वती- सिंधु सभ्यता के लोगों का सामाजिक और धार्मिक जीवन कैसा था ? Most Important

उत्तर – सरस्वती- सिंधु सभ्यता के लोगों का सामाजिक जीवन –

  • नगरों को दुर्ग क्षेत्र और आवास क्षेत्र में विभाजित किया जाता था। नगर दुर्गों में संपन्न व्यक्ति या शासक वर्ग निवास करता था।
  • आवासीय क्षेत्र में व्यापारी, सैनिक, अधिकारी, शिल्पी और मजदूर रहते थे।
  • इस सभ्यता के समाज में कृषक, कुंभकार, बढ़ई, नाविक, श्रमिक, आभूषण बनाने वाले शिल्पी और जुलाहे महत्वपूर्ण वर्ग थे।
  • उस समय पुरुष और स्त्रियां दोनों आभूषण पहना करते थे। आभूषणों में मुख्य रूप से हार, भुजबंद, कंगन, अंगूठी पहनी जाती थी।

सरस्वती- सिंधु सभ्यता के लोगों का धार्मिक जीवन –

  • इस सभ्यता के लोग मातृ शक्ति, पशुपति शिव, शिवलिंग, एक सींग वाले पशु, बैल, सांप, पीपल की पूजा करते थे।
  • इस सभ्यता में अंतिम संस्कार की तीन विधियां थी।
  1. पूर्ण समाधिकरण
  2. आंशिक समाधिकरण
  3. दाह संस्कार
  • समाधि क्षेत्र नगरों से बाहर होते थे। शवों का सिर उत्तर की ओर तथा पैर दक्षिण दिशा की ओर होते थे। कंकालों के साथ मिट्टी के बर्तन, आभूषण, उपकरण आदि रखे जाते थे।

प्रश्न 6 – सरस्वती- सिंधु सभ्यता की विश्व को क्या-क्या देन है ? Most Important

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक हैं। इस सभ्यता से विश्व को बहुत कुछ सीखने को मिला। इस सभ्यता में नगर नियोजन व्यवस्था का बेहतरीन नमूना देखने को मिला। जिसमें नगर में सड़क व्यवस्था और पानी की जल निकासी की व्यवस्था महत्वपूर्ण थी। इस सभ्यता में कृषि और उसके औजारों के साक्ष्य भी प्राप्त हुए। इस सभ्यता से यह पता चला कि कौन-कौन से जानवर शुरुआत से ही पालतू थे। इसके अलावा आयात और निर्यात भी देखने को मिला।


प्रश्न 7 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता के विस्तार कहां तक फैला है?

उत्तर – यह सभ्यता पूर्व में आलमगीरपुर ( पश्चिमी उत्तर प्रदेश ) से पश्चिम में सुत्कागेनडोर ( बलूचिस्तान ) तक और उत्तर में मांडा ( जम्मू ) से लेकर दक्षिण में दायमाबाद ( महाराष्ट्र ) तक था। इस सभ्यता का क्षेत्रफल 2,15,000 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें पूर्व से पश्चिम तक 1600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण तक 1400 किलोमीटर है।


प्रश्न 8 – मोहनजोदड़ो से प्राप्त खंडित पुरुष की मूर्ति का वर्णन करें।

उत्तर – मोहनजोदड़ो से प्राप्त खंडित पुरुष की मूर्ति 19 सेंटीमीटर लंबी है, जो तिपतिया अलंकरण से युक्त शाल ओढ़े हुए हैं। इसकी दाढ़ी विशेष रूप से संवरी हुई है और केस पीछे की ओर संवार कर एक फीते से बंधे हुए हैं। दाहिने हाथ पर एक भुजबंद बंधा हुआ है।


प्रश्न 9 – मोहनजोदड़ो से मिली पशु और पक्षियों की मूर्तियों का वर्णन करें।

उत्तर – मोहनजोदड़ो से मिली पशु और पक्षियों की मूर्तियों में बैल, भेड़, बकरी, कुत्ता, हाथी, सूअर, मोर, बत्तख, तोता और कबूतर की मूर्तियां पाई गई हैं।


प्रश्न 10 – सरस्वती सिंधु सभ्यता के प्रमुख वर्ग कौन-कौन से थे?

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता के समाज में कृषक, कुंभकार, बढ़ई, नाविक, श्रमिक, आभूषण बनाने वाले शिल्पी और जुलाहे महत्वपूर्ण वर्ग थे।


प्रश्न 11 – सरस्वती सिंधु सभ्यता के लोग किस प्रकार का भोजन करते थे?

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन करते थे। इनका मुख्य भोजन जौ, गेहूं, चावल, फल, सब्जियां, दूध और मांस ( मछली, भेड़, बकरी, सूअर आदि ) था।


प्रश्न 12 – सरस्वती सिंधु सभ्यता के लोग किन जानवरों को पालते थे?

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता में बैल, गाय, भैंस, भेड़, बकरी, कुत्ता, गधे और सूअर को प्रमुख रूप से पाला जाता था। इस सभ्यता के लोगों ने घोड़े और ऊंट को भी पालतू बनाया। इनके अलावा जंगली सूअर, चिंकारा, हाथी, हिरण और नीलगाय पालने के प्रमाण भी मिले हैं।


प्रश्न 13 – मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति शिव की मूर्ति का वर्णन कीजिए। 

उत्तर – मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मोहर पर सींग वाले त्रिमुखी पुरुष को सिंहासन पर योग मुद्रा में बैठे दिखाया गया है। जिसके दाहिनी तरफ हाथी और बाघ, बाई तरफ गैंडा और भैंसा दिखाया गया है। सिहासन के नीचे दो हिरण खड़े दिखलाए गए हैं। इस मूर्ति को पशुपति शिव की मूर्ति माना जाता है।


प्रश्न 14 – सिंधु सभ्यता की एक बंदरगाह का नाम बताओ। Most Important

उत्तर – लोथल


प्रश्न 15 – लोथल किस राज्य में है? Most Important

उत्तर – गुजरात


प्रश्न 16- कालीबंगा किस राज्य में है? Most Important

उत्तर – राजस्थान


प्रश्न 17 – सरस्वती सिंधु सभ्यता का पतन कब हुआ? Most Important

उत्तर – 1300 ई.पू.


प्रश्न 18 – सरस्वती सिंधु सभ्यता की मुख्य सड़क व गलिया कितनी चौडी थी?  Most Important

उत्तर – सडके 9.15 मीटर व गलिया 3 मीटर


प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएं Class 10 इतिहास Chapter 2 Important Question Answer 2024-25


प्रश्न 1. मिस्र के लोगों की आर्थिक गतिविधियां कौन-कौन सी थी?

उत्तर – मिस्र के लोगों की आर्थिक गतिविधियां निम्नलिखित थी—

  • कृषि – मिस्र एक कृषि प्रधान देश था। यहां पर मुख्य रूप से गेहूं, जौ, कपास, सण, और फलों में अंगूर, अंजीर एवं खजूर थे।
  • पशुपालन – मिस्र के लोग गाय, भेड़, गधा, बछड़ा, बंदर और मुर्गी जैसे पशुओं को पालते थे।
  • उद्योग धंधे – उस समय के लोग पत्थर काटने, गहने एवं बर्तन बनाने, तांबे तथा कांसे के हथियार बनाने एवं लकड़ी का फर्नीचर बनाने में कुशल थे। लोग नाव एवं जहाजों के निर्माण में भी निपुण थे। उस समय पेपिरस नामक घास के पौधे से कागज बनाया जाता था।
  • वाणिज्य और व्यापार – मिस्र में व्यापार नील नदी के द्वारा होता था। मिस्र, भारत और अरब से मसाले, रंग, तेल, पाउडर और चंदन मंगवाता था।

प्रश्न 2. मिस्र की संसार को क्या देन हैं?

उत्तर – मिस्र की सभ्यता की संसार को देन निम्नलिखित है:-

  1. मिस्र ने विश्व को 365 दिन का 1 वर्ष तथा कैलेंडर दिया।
  2. सूर्य घड़ी व जल घड़ी का आविष्कार किया।
  3. औषधि विज्ञान के क्षेत्र में अनेक खोजे की। उन्होंने ऐसा रासायनिक लेप तैयार किया जिससे मृतक शरीर को शताब्दियों तक सुरक्षित रखा जा सकता था।
  4. मिस्र की एक सूची में विभिन्न बीमारियों से संबंधित 600 दवाइयों के नाम मिले हैं।
  5. एकेश्वरवाद के सिद्धांत का प्रचलन किया।

प्रश्न 3. मेसोपोटामिया का अर्थ क्या है?

उत्तर – मेसोपोटामिया यूनानी भाषा का शब्द है। यह दो शब्दों ‘मेसो’ और ‘पोटम’ से मिलकर बना है। ‘मेसो’ का अर्थ मध्य तथा ‘पोटम’ का अर्थ नदी होता है इस प्रकार मेसोपोटामिया का शाब्दिक अर्थ दो नदियों के बीच का भाग होता है।


प्रश्न 4. ब्यूल व एगोरा का अर्थ क्या है?

उत्तर – राजा के परामर्श के लिए उच्च वर्ग के सम्मानित व्यक्तियों के परिषद को ब्यूल कहा जाता था। जबकि जनसाधारण की आमसभा को एगोरा कहते थे।


प्रश्न 5. रोम को सात पहाड़ियों का नगर क्यों कहा जाता है? Most Important

उत्तर –  रोम एक छोटा सा गांव था जो मध्य इटली में टाइबर नदी के किनारे सात पहाड़ियों पर बसा हुआ था। इसीलिए इसे सात पहाड़ियों का नगर भी कहा जाता है।


प्रश्न 6. मेसोपोटामिया सभ्यता के राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सामाजिक जीवन का वर्णन करें।

उत्तर – मेसोपोटामिया सभ्यता के राजनीतिक आर्थिक धार्मिक एवं सामाजिक जीवन का वर्णन निम्नलिखित है:-

राजनीतिक जीवन – इस सभ्यता में शासक निरंकुश होते थे तथा साम्राज्य में उनका पूर्ण नियंत्रण होता था। वे दैविक सिद्धांत के आधार पर शासन करते थे। वे सर्वोच्च सेनापति, न्यायाधीश व सर्वोच्च पदाधिकारी होते थे। वे शासन के संचालन के लिए साम्राज्य को कई प्रांतों में बांट देते थे और प्रांत के गवर्नर का चयन स्वयं करते थे। गवर्नर अपने प्रांत से कर इकट्ठा करना, शांति बनाए रखना और युद्ध में शासक का सहयोग करने का काम करता था।

सामाजिक जीवन – उस समय का समाज तीन वर्गों उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग में बटा हुआ था। उच्च वर्ग में राजा, उच्च पदाधिकारी व पुरोहित होते थे। मध्यम वर्ग में सामंत और व्यापारी व निम्न वर्ग में दास तथा किसान शामिल थे।

धार्मिक जीवन – मेसोपोटामिया के लोग बहुदेववादी थे। वे खेत, नदियों, पहाड़ों की पूजा करते थे। उनके प्रमुख देवता अनु ( आकाश का देवता ), की ( पृथ्वी ), सिन ( चंद्रमा ), तम्मुज ( वनस्पति और कृषि का देवता ), ईश्तर ( प्रेम की देवी ), नरगल ( प्लेग का देवता ) आदि थे। इन देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि भी दी जाती थी।

आर्थिक जीवन – इस सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। इसमें गेहूं, जौ, जैतून, कपास व अंगूर की खेती थी। उस समय के लोग उद्योग एवं व्यापार में भी उन्नत थे। व्यापार सोना, चांदी और तांबे के टुकड़ों से होता था। यहां पशुओं में ऊंट और बकरी विशेष थी। यहां लकड़ी की सुंदर नक्काशी के साथ साथ सोना, चांदी व कीमती पत्थर पर भी नक्कासी की जाती थी।


प्रश्न 7. मिस्र को नील नदी का वरदान क्यों कहते है ? Most Important
OR
मिस्र को नील नदी की देन क्यों कहते है ? Most Important

उत्तर – नील नदी से मसालों, रंगों, तेल, पाउडर और चंदन का व्यापार होता था। मिस्र के लोग नील नदी के माध्यम से भारत और अरब से सामान आयात करते थे। इसी कारण मिस्र को नील नदी का वरदान कहा जाता है।


प्रश्न 8. मिस्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय ………… था। Most Important

उत्तर – कृषि


प्रश्न 9. मेसोपोटामिया का आधुनिक नाम ……….. है। Most Important

उत्तर – इराक


विश्व के प्रमुख दर्शन Class 10 इतिहास Chapter 3 Important Question Answer 2024-25


प्रश्न 1. वैदिक दर्शन में मनुष्य जीवन को उन्नत बनाने वाले चार पुरुषार्थों के नाम लिखिए।

उत्तर – वैदिक दर्शन के चार पुरुषार्थ निम्नलिखित हैं:-

  1. धर्म
  2. अर्थ
  3. काम
  4. मोक्ष

प्रश्न 2. वैदिक दर्शन के चार महत्वपूर्ण स्रोतों के नाम लिखिए।

उत्तर – वैदिक दर्शन के चार महत्वपूर्ण स्त्रोत निम्नलिखित हैं-

  1. वेद
  2. ब्राह्मण ग्रंथ
  3. आरण्यक
  4. उपनिषद

प्रश्न 3. जैन दर्शन के पांच महाव्रतों के नाम लिखें। Most Important

उत्तर – जैन दर्शन के पांच महाव्रत निम्नलिखित है –

  1. अहिंसा
  2. अमृषा
  3. अस्तेय
  4. अपरिग्रह
  5. ब्रह्मचर्य

प्रश्न 4. जैन धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई। जैन दर्शन व बौद्ध दर्शन में क्या क्या समानताएं हैं। Most Important

उत्तर – जैन धर्म की उत्पत्ति जैन दर्शन के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव द्वारा की गई।

जैन दर्शन व बौद्ध दर्शन में समानताएं :-

  • दोनों ही धर्मों ने वैदिक कर्मकांडों तथा वेदों की अपौरुषेयता का विरोध किया।
  • अहिंसा तथा सदाचार पर दोनों ही धर्मों ने बल दिया।
  • कर्मवाद, पुनर्जन्म तथा मोक्ष दोनों ही धर्मों में शामिल थे।
  • दोनों धर्मों में प्रचार-प्रसार के लिये भिक्षु संघों की स्थापना पर बल दिया गया।

प्रश्न 5 . वेद क्या है? यह कितने प्रकार के होते हैं? विस्तार से वर्णन करें।

उत्तर – वेद संसार का प्राचीनतम, प्रमाणिक, पवित्र एवं दार्शनिक साहित्य हैं। भारतीय मान्यता के अनुसार वेद शाश्वत हैं और वेद ईश्वर की वाणी हैं। वेद चार है—

  1. ऋग्वेद – यह सबसे प्राचीन वेद है जिसमें देवताओं के आह्वान करने के मंत्र हैं। इसमें 10 मंडल एवं 10552 मंत्र है।
  2. यजुर्वेद – इस वेद में कर्म की प्रधानता है। इसमें 40 अध्याय एवं 1975 मंत्र हैं जिनमें अधिकतर यज्ञ के मंत्र हैं।
  3. सामवेद – यह वेद भारतीय संस्कृति का मूल है। इसमें ऋग्वेद के मंत्रों का संगीतमय आरोप है तथा देवताओं की पूजा के मंत्र शामिल है।
  4. अथर्ववेद – यह वेद जन सामान्य से जुड़ी समस्याओं के समाधान तथा जीवन व समाज के नियमों का संकलन है। यह वेद ब्रह्म ज्ञान का उपदेश देता है व मोक्ष का उपाय भी बताता है। इसमें गणित, विज्ञान, आयुर्वेद, समाजशास्त्र, कृषि विज्ञान, चिकित्सा विधि एवं रोगों से संबंधित ज्ञान भी शामिल है।

प्रश्न 6. हीनयान और महायान  का वर्णन कीजिए।

उत्तर – द्वितीय बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध दर्शन दो भागों में विभाजित हो गया था। हीनयान एवं महायान। हीनयान गौतम बुद्ध के द्वारा बनाए गए नियमों में कोई परिवर्तन नहीं चाहते थे जबकि महायान समय के साथ गौतम बुद्ध के बनाए नियमों में बदलाव चाहते थे।


प्रश्न 7. जैन धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षाओं को संक्षप में लिखिए। Most Important

उत्तर – जैन धर्म की प्रमुख शिक्षाएं –

  1. अहिंसा – मन, कर्म, वचन से किसी के प्रति हिंसा की भावना ना रखना वास्तविक अहिंसा है।
  2. अमृषा – प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक परिस्थिति में सत्य ही बोलना चाहिए।
  3. अस्तेय – बिना अनुमति किसी दूसरे व्यक्ति की कोई वस्तु नहीं लेनी चाहिए और ना ही उसकी इच्छा करनी चाहिए।
  4. अपरिग्रह – आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह नहीं करना चाहिए
  5. ब्रह्मचर्य – मोह-वासना से दूर रहकर ज्ञान व शक्ति प्राप्त करना तथा जरूरत से ज्यादा किसी वस्तु का प्रयोग न करना तथा इंद्रियों पर संयम रखना ब्रह्मचर्य है।

प्रश्न 8. बौद्ध धर्म के उदय के क्या कारण थे ? इस धर्म की प्रमुख शिक्षाओं पर प्रकाश डालिए। Most Important

उत्तर – छठी शताब्दी ई.पू. गौतम बुद्ध का जन्म हुआ, उन्होंने रुढ़िवादीवादिता तथा सामाजिक जटिलता के विरुद्ध आवाज उठाई ओर बोद्ध दर्शन की स्थापना की।

बौद्ध धर्म की प्रमुख शिक्षाएं –

  1. सत्य-असत्य, पाप-पुण्य आदि में भेद करने से ही चार आर्य सत्यों में विश्वास पैदा होता है।
  2. तृष्णा से दूर रहने, मानसिक व नैतिक विकास का संकल्प लेना।
  3. हमेशा सत्य और मीठी वाणी बोलना।
  4. हमेशा सच्चे और अच्छे कर्म करना।
  5. अपनी आजीविका के लिए पवित्र तरीके अपनाना।
  6. अपने को अच्छा बनाने का प्रयास करना तथा शरीर को अच्छे कार्य में लगाने के लिए उचित परिश्रम करना।
  7. अपनी गलतियों को हमेशा याद रखकर विवेक और सावधानी से कर्म करने का प्रयास करना।
  8. मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान लगाना।

प्रश्न 9. जैन धर्म व बौद्ध धर्म में अंतर स्पष्ट कीजिए।  Most Important

उत्तर –

  • जैन धर्म सिखाता है कि ब्रह्मांड शाश्वत है और आत्मा अमर है। बौद्ध धर्म सिखाता है कि कोई आत्मा नहीं है और ब्रह्मांड शाश्वत नहीं है।
  • जैन कर्म, कारण और प्रभाव के नियम में विश्वास करते हैं। बौद्ध कर्म में विश्वास नहीं करते।
  • जैन धर्म शांति और अहिंसा का धर्म है। बौद्ध धर्म भी शांति का धर्म है, लेकिन श्रीलंका और म्यांमार में कुछ बौद्ध हिंसा में शामिल होने के लिए जाने जाते हैं।
  • जैन सख्त शाकाहारी हैं और उपवास में विश्वास करते हैं। बौद्धों को शाकाहारी होना आवश्यक नहीं है, लेकिन कई लोगों को शाकाहारी होना आवश्यक है।

प्रश्न 10. ‘गायत्री महामंत्र’ किस वेद से संबंधित है?

उत्तर – ऋग्वेद से।


प्रश्न 11. गौतम बुद्ध के द्वारा बताए गए अष्टमार्ग का वर्णन करो।

उत्तर – गौतम बुध के अष्टमार्ग का वर्णन निम्नलिखित हैं-

  1.  सम्यक् दृष्टि : सत्य-असत्य, पाप-पुण्य आदि में भेद करने से ही चार आर्य सत्यों में विश्वास पैदा होता है।
  2. सम्यक् संकल्प : तृष्णा से दूर रहने, मानसिक व नैतिक विकास का संकल्प लेना।
  3. सम्यक् वाणी : हमेशा सत्य और मीठी वाणी बोलना।
  4. सम्यक् कर्म : हमेशा सच्चे और अच्छे कर्म करना।
  5. सम्यक् जीविका : अपनी आजीविका के लिए पवित्र तरीके अपनाना।
  6. सम्यक् प्रयास : अपने को अच्छा बनाने का प्रयास करना तथा शरीर को अच्छे कार्य में लगाने के लिए उचित परिश्रम करना।
  7.  सम्यक् स्मृति : अपनी गलतियों को हमेशा याद रखकर विवेक और सावधानी से कर्म करने का प्रयास करना।
  8. सम्यक् समाधि : मन को एकाग्र करने के लिए ध्यान लगाना।

प्रश्न 12 . चीन के ताओ धर्म की पुस्तक का क्या नाम था ? Most Important

उत्तर – ताओ-ते-चिंग


प्रश्न 13 . जिन शब्द से क्या अभिप्राय है ? Most Important

उत्तर – जिन का अर्थ है ‘जीतना’ अर्थात इंद्रियों को जीतने वाला।


प्रश्न 14 . धर्म के कितने लक्षण बताए गए? Most Important

उत्तर – 10 लक्षण


प्रश्न 15 . कंफ्यूशियस ने कितने वर्ष की आयु में सरकारी नौकरी की? Most Important

उत्तर – 17 वर्ष


प्रश्न 16. महात्मा बुद्ध के बचपन का नाम ……… था।  Most Important

उत्तर – सिद्धार्थ


प्रश्न 17. सभी दर्शनों का अंतिम लक्ष्य मानव जीवन को ….……. बनाना है। Most Important

उत्तर – आध्यात्मिक एवं श्रेष्ठ


प्रश्न 18. महात्मा बुद्ध के बारे में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर – महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी (नेपाल) में हुआ था। इनके पिता शुद्धोधन शाक्य गण के मुखिया थे तथा माता का नाम महादेवी था। उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। 29 वर्ष की आयु में वह राज वैभव को छोड़कर ज्ञान की खोज में निकल पड़ा। उनके जीवन में घर छोड़ने की घटना को बौद्ध साहित्य में ‘महाभिनिष्क्रमण’ कहा गया है। महात्मा बुद्ध ने महाभिनिष्क्रमण के पश्चात कई वर्षों तक सन्यासी जीवन व्यतीत किया। वे आलार कलाम तपस्वी, राजगृह के ब्राह्मण आचार्य मुद्रक एवं रामपुत्त के पास गए किंतु उनके ज्ञान की प्यास शांत नहीं हो पाई। बाद में वह अपने पांच साथियों के साथ उरुवेला के पास निरंजना नदी के तट पर तपस्या करने लगे। उनके पांचों साथी उन्हें छोड़कर चले गए। अब वह वहां पर एक पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगा कर बैठ गए। 7 दिन तक ध्यान करने के पश्चात वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन उन्हें ‘आत्मबोध’ हुआ और तभी वह बुद्ध कहलाने लगे। उस स्थान का नाम ‘बोधगया’ पड़ गया। जो बिहार राज्य में है। जीवन की इस घटना को ‘संबोधि’ कहा गया। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया। इसे ही बौद्ध ग्रंथों में धर्म-चक्र-प्रवर्तन कहा है। 45 वर्षों तक उपदेश देने के बाद 80 वर्ष की आयु में गोरखपुर के समीप कुशीनगर नामक स्थान पर गौतम बुद्ध ने अपना शरीर त्याग दिया।


मध्यकालीन समाज- यूरोप एवं भारत Class 10 इतिहास Chapter 4 Important Question Answer 2024-25


प्रश्न 1. यूरोप में कृषकों की दशा कैसी थी?

उत्तर – यूरोप में कृषक के रहने के लिए घास-फूंस की एक झोंपड़ी होती थी। ये लोग दासों का जीवन व्यतीत करते थे। स्वामी की अनुमति के बिना ये अपने बच्चों के विवाह तक नहीं कर सकते थे। स्वामी या सामन्त की जागीर को ये लोग छोड़ कर नहीं जा सकते थे। किसानों की दशा अत्यंत दयनीय थी।


प्रश्न 2. मध्यकाल में भारत में किसानों की दशा कैसी थी ?

उत्तर – मध्यकाल में भारत के किसानों की स्थिति दयनीय थी। राज्य की आय का मुख्य स्त्रोत भूमि कर ही था। इसी कर से राज्य के अधिकारियों को वेतन मिलता था जिसका किसान विरोध भी नहीं कर सकते थे। कर का बोझ और उपज का बड़ा हिस्सा जमीदार को देने के बाद किसानों के पास बहुत कम बचता था।


प्रश्न 3.मध्यकाल में भारत व यूरोप में किसानों की दशा में क्या अंतर था ?

उत्तर

भारत यूरोप
  • भारतीय समाज में किसान भू स्वामियों की संपत्ति नहीं था।
  • किसानों को अपनी आय का हिस्सा जमीदार व सरकार को देना पड़ता था।
  • किसानों के पास अपनी खुद की जमीन थी।
  • किसानों को भूमि कर भी देना पड़ता था।
  • यूरोपीय समाज में किसानों को भू स्वामियों की संपत्ति माना जाता था।
  • किसानों को अपनी आय का दसवां भाग चर्च को देना पड़ता था।
  • किसानों के पास अपनी खुद की जमीन नहीं थी।
  • किसानों को भूमि कर नहीं देना पड़ता था।

प्रश्न 4. मवासात से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – अनेक किसान न तो सरकार को कर देते थे और न ही सरकार का कोई आदेश मानते थे। सेना द्वारा आक्रमण किए जाने की स्थिति में वे लोग जंगलों, पहाड़ी प्रदेशों, मरुभूमि आदि दुर्गम स्थानों पर पलायन कर जाते थे। ऐसे क्षेत्र समकालीन विवरणों में मवास अथवा मवासात के नाम से जाने जाते थे।


प्रश्न 5. मध्यकालीन यूरोपीय समाज मुख्य रूप से कितने वर्गों में बंटा हुआ था ? Most Important
OR
मध्यकालीन यूरोपीय समाज के तीन प्रमुख वर्ग कौन से थे ? Most Important

उत्तर – मध्यकाल में यूरोपीय समाज तीन वर्गों में बांटा था। पहला वर्ग पादरियों का था। इनका मुख्य कार्य ईश्वर की सेवा करना और चर्च की व्यवस्था देखना था। दूसरा वर्ग सामन्तों का था, जिन पर समाज की रक्षा का भार था। तीसरा वर्ग सामान्य जन का था, जो ऊपरी दोनों वर्गों के लिऐ जीवन यापन के साधन जुटाता था।


प्रश्न 6. ईसाई मठों में जीवन कैसा था? विस्तार से वर्णन करें।

उत्तर – यूरोप में तीसरी से छठी शताब्दी के बीच मठवाद का विकास हुआ। मठों में एकांतवासी अथवा विरक्त भिक्षु रहते थे। मठों के पास भी बड़ी भू-सम्पत्ति होती थी। ये आत्मनिर्भर थे। प्रत्येक मठ के अपने प्रार्थना कक्ष, खेत, बाग व खलिहान होते थे। इन की जीवन यात्रा व्यस्त होती थी। आधी रात को उन्हें विशेष पूजा करनी होती थी, जिसकी सूचना उन्हें मठ में बजने वाला बड़ा घण्टा देता था। पूजा करने के बाद ये पुन- सो जाते थे। सुबह उठकर ये प्रातः कालीन प्रार्थना में भाग लेते थे। दोपहर तक ये अध्ययन व चिन्तन में अपना समय व्यतीत करते थे, दोपहर के भोजन के बाद थोड़ी देर विश्राम करके बाइबिल की प्रतिलिपि तैयार करने, बाग में काम करने, मछली पकड़ने, चमड़ा सुखाने, मूर्ति बनाने व रोटी सेंकने जैसे कार्य करते थे। ये संध्याकालीन प्रार्थना करने व भोजन करने के बाद सोने चले जाते थे। मठ का संचालन मठाधीश करता था। भिक्षुओं की तरह भिक्षुणियों के भी मत होते थे।


प्रश्न 7. मध्यकालीन यूरोपीय समाज में मनोरंजन के साधन क्या-क्या थे?

उत्तर – बड़े दिन का उत्सव नृत्य, संगीत व सामूहिक भोज द्वारा मनाया जाता था। ईस्टर के अवसर पर विशेष प्रकार के व्यंजन बनते थे। इंग्लैण्ड में धनुर्विद्या में भी लोगों की रुचि होती थी। मध्यकालीन मेले भी लोगों के मनोरंजन का स्रोत थे। सर्दियों में स्केटिंग का खेल लोकप्रिय था। मछली पकड़ना भी मनोरंजन का साधन था।


प्रश्न 8. नाइट कौन थे?

उत्तर – नाईट ढाल, शिरास्त्राण, भाला, बर्धी, चाकू व मुगदर रखने वाले योद्धा थे। वह जिरहबख्तर भी धारण करते थे। वह एक घुड़सवार योद्धा होते थे, जो युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाते थे। युद्ध में मरना या मारना उसकी वीरता का परिचय देता था।


प्रश्न 9. मध्यकालीन भारतीय समाज में मनोरंजन के साधन क्या-क्या थे?

उत्तर – मध्यकाल में भारत में मनोरंजन के साधनों में मुख्यत- संगीत, नृत्य, शिकार, कुश्ती, मल्लयुद्ध, जानवरों की लड़ाइयाँ, शतरंज इत्यादि थे। तीज, त्यौहार एवं उत्सवों से भी मनोरंजन होता था।


ईसाइयत एवं इस्लाम : उदय व टकराव Class 10 इतिहास Chapter 5 Important Question Answer 2024-25


प्रश्न 1. ईसाई मत की स्थापना किसने की थी?

उत्तर – ईसाई मत की स्थापना जीसस ने की, जिन्हें ईसा मसीह भी कहा जाता है।


प्रश्न 2. इस्लाम की स्थापना किसने की थी?

उत्तर – हजरत मोहम्मद ने


प्रश्न 3. मार्टिन लूथर ने किस मत की नींव रखी?

उत्तर – प्रोटेस्टेंट मत की


प्रश्न 4. खलीफा कौन होते थे ? उनका क्या काम होता था ? Most Important

उत्तर – खलीफा इस्लाम धर्म के उत्तराधिकारी होते थे। हजरत साहब की मृत्यु के पश्चात चार पवित्र खलीफा बारी-बारी उनके उत्तराधिकारी बने। उनका मुख्य कार्य केवल इस्लाम का प्रचार करना था।


प्रश्न 5. कोलंबस ने क्या खोज की?

उत्तर – कोलंबस ने सर्वप्रथम 1492 ई. में अमरीकी महाद्वीप खोजा।


प्रश्न 6. ईसाई लोगों ने क्रूसेड क्यों किए? Most Important

उत्तर – मुसलमानों ने ईसा मसीह की पवित्र समाधि नष्ट कर दी तथा वहां रहने वाले ईसाइयों को मार डाला। बचे हुए ईसाई बंदियों का जीवन जी रहे थे और वे अपना उत्सव भी नहीं बना पा रहे थे। उनके घरों में कीचड़ फेंका जाता तथा विरोध करने पर भयंकर यातनाएं दी जाती थी। फिलिस्तीन में ईसाइयों की स्थिति व तीर्थ यात्रियों पर होने वाले अत्याचार की सूचनाएं यूरोप पहुंचने लगी। ईसाई जगत इसके प्रति उदासीन नहीं रह सकता था। अब पुण्य भूमि को मुसलमानों से मुक्त कराने में वहां की यात्रा को सुरक्षित बनाने पर यूरोप में विचार होने लगा। इन सभी कारणों के चलते क्रूसेड हूए।


प्रश्न 7. रोमन कैथोलिक मत और प्रोटेस्टेंट मत में क्या अंतर था?

उत्तर

रोमन कैथोलिक मत प्रोटेस्टेंट मत
  • बाइबल के साथ-साथ रोमन पोप को भी मानते हैं।
  • पोप सर्वोच्च हैं।
  • ईश्वर तक केवल पोप के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
  • केवल बाइबल ही मान्य है।
  • पोप मान्य नहीं है।
  • ईश्वर तक पहुंचने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 8. ईसाई और इस्लाम धर्म में क्या क्या समानताएं हैं?

उत्तर – यहूदी और इस्लाम संप्रदाय एक ही स्रोत से निकले हैं। इन्हें अब्राहमी संप्रदाय भी कहा जाता है। इनकी समानताएं निम्नलिखित हैं:-

  1. तीनों का विश्वास है कि आत्मा का केवल एक ही जन्म होता है, और मृत्यु के बाद उसे या तो हमेशा के लिए स्वर्ग मिलता है, या नरक ।
  2. तीनों का विश्वास है कि एक दिन यह दुनिया खत्म हो जाएगी, और उस दिन उनको नरक और स्वर्ग बांटे जाएंगे।
  3. ये संप्रदाय केवल अपने-अपने दृष्टिकोण को ही परम सत्य मानते हैं। केवल उनके ही मार्ग से ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है क्योंकि ये मानते हैं कि केवल उनका ही मत सर्वोत्तम है।
  4. ईश्वर स्वर्ग में रहता है।

प्रश्न 9. ईसाइयों का इस्लाम से संघर्ष के प्रभावों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

  • इन अभियानों ने ईसाइयों को मुसलमानों के विरुद्ध यूरोप में संगठित कर दिया था।
  • वह यूरोप से मुसलमान शासकों की सत्ता का अंत करने में सफल रहे।
  • ईसाइयों ने पुर्तगाल, स्पेन आदि क्षेत्रों से मुसलमानों की सत्ता को उखाड़ फेंका।
  • भारत या एशिया की वस्तुएं प्राप्त करने के नए रास्तों की खोज के प्रयास इसी दिशा में उठाए गए कदम थे।
  • यूरोप के ईसाइयों का संपर्क अब बाहरी दुनिया से हुआ जिसके कारण वहां अनेक राजनैतिक सामाजिक व आर्थिक परिवर्तन आए।
  • मुसलमानों के साथ चले लंबे संघर्ष में यूरोप के अनेक सामन्तों की मौत हुई जिससे वहां सामंतवाद के अंत का आरंभ हो गया।

प्रश्न 10. ईसामसीह के उपदेश किस ग्रंथ में संग्रहित है ? Most Important

उत्तर – बाइबिल


भारत पर विदेशी आक्रमण Class 10 इतिहास Chapter 6 Important Question Answer 2024-25


प्रश्न 1. महमूद गजनवी द्वारा भारत पर कुल कितनी बार आक्रमण किया गया? Most Important

उत्तर – 17 बार।


प्रश्न 2. विश्व प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर कौन से राज्य में स्थित है?

उत्तर – सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य में स्थित है।


प्रश्न 3. पानीपत की प्रथम लड़ाई कब हुई थी ? Most Important

उत्तर – 1526 ईसवी में।


प्रश्न 4. भारत से कोहिनूर हीरे को लूटने वाले आक्रमणकारी का क्या नाम था ?

उत्तर – नादिरशाह (ईरान से)।


प्रश्न 5. पानीपत की तीसरी लड़ाई कब हुई थी?

उत्तर – 14 जनवरी 1761 ई. में।


प्रश्न 6. दर्रों से आप क्या समझते हैं ? Most Important

उत्तर – पर्वतीय क्षेत्रों में आवागमन के प्राकृतिक मार्गों को दर्रा कहा जाता है। आक्रमण के दौरान कुछ लोकप्रिय दर्रे खैबर, गोमल और बोलन थे।


प्रश्न 7. तराइन के युद्ध कब और किसके मध्य हुए थे? Most Important

उत्तर – तराइन के दो युद्ध लड़े गए, जो इस प्रकार हैं-

  1. तराइन का पहला युद्ध (1191 ई. में) – तराइन का पहला युद्ध मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच लड़ा गया। पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को बुरी तरह पराजित किया और वह जान बचाकर भाग गया।
  2. तराइन का दूसरा युद्ध (1192 ई. में) – तराइन का दूसरा युद्ध मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच लड़ा गया इस युद्ध में भी पृथ्वीराज चौहान ने अपनी वीरता का परिचय दिया लेकिन वह हार गया।

प्रश्न 8. पानीपत की प्रथम लड़ाई का संक्षिप्त विवरण लिखें।

उत्तर – पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल 1526 ई. को बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच लड़ी गई। इब्राहिम लोदी दिल्ली का शासक था जबकि बाबर एशिया में स्थित फरगना का शासक था। इस युद्ध में बाबर की जीत हुई और उसने इब्राहिम लोदी को हराकर मार दिया तथा दिल्ली की सल्तनत को समाप्त कर दिया। बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना की।


प्रश्न 9. नादिरशाह द्वारा दिल्ली की जनता पर किये गए अत्याचारों का उल्लेख करें।

उत्तर – नादिरशाह एक ईरानी आक्रमणकारी था। भारत में मुगलों की कमजोर हो चुकी स्थिति का लाभ उठाते हुए नादिरशाह ने 1739 ई. में भारत पर आक्रमण कर दिया। इस समय दिल्ली में मुगल बादशाह मुहम्मद शाह का शासन था। उसकी सेना को नादिरशाह ने 24 फरवरी 1739 ई. में करनाल के युद्ध में नादिरशाह ने पराजित कर दिया। नादिरशाह लगभग दो मास दिल्ली में रहा। उसने दिल्ली में कत्लेआम मचा दिया। उसके सैनिकों ने स्त्री, बच्चों और बूढ़ों तक को नहीं छोड़ा। तीन दिन तक दिल्ली में लूटपाट व कत्लेआम चलता रहा। तीन दिन में ही दिल्ली के साधारण जन से ही तीन करोड़ रुपए लूट लिए गए। नादिरशाह भारत से प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा व मयूर सिंहासन लेकर ईरान वापस लौट गया।


प्रश्न 10. सोमनाथ मंदिर के विध्वंस का वर्णन करें।

उत्तर – सोमनाथ मंदिर के विध्वंस के पीछे महमूद गजनवी का हाथ है। महमूद गजनवी अफगान का शासक था। भारत को लूटने के इरादे से वह भारत पर आक्रमण करता था। 1025 ई. में महमूद गजनवी ने गुजरात स्थित सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया। इस मंदिर में भारी धनराशि, हीरे, जवाहरात थे। मंदिर की आय का स्रोत दस हजार गाँवों का राजस्व था। मंदिर में एक सोने की घंटी लगी थी जिसका वजन कई मण था। भगवान सोमनाथ की मूर्ति पर बने छत्र पर भी हजारों बहुमूल्य रत्न जड़े थे। महमूद गजनवी ने इस मंदिर की पवित्रता भंग करने व धन को लूटने के लिए सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया। उसे हिन्दुओं के भारी प्रतिरोध के कारण सोमनाथ के मंदिर पर अधिकार करने में तीन दिन लगे। महमूद गजनवी द्वारा प्रतिरोध कर रहे अनेकों हिन्दुओं की हत्या कर दी गई। तत्पश्चात् महमूद ने मंदिर को लूटा तथा भगवान सोमनाथ की मूर्ति को गदा के प्रहार से तोड़ दिया। यहाँ से प्राप्त धन को महमूद ऊँटों पर लादकर गजनी ले गया था। जब वह गज़नी लौट रहा था तो सिंध के जाटों ने उसका रास्ता रोक लिया। लेकिन वह किसी तरह भारत से धन गज़नी ले जाने में सफल रहा।


प्रश्न 11. महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमणों के पीछे क्या उद्देश्य थे ? Most Important

उत्तर – महमूद एक कट्टर मुसलमान शासक था। उसने इस्लाम का प्रसार करने व भारत की धन संपदा को लूटने के लिए भारत पर 17 आक्रमण किए।


प्रश्न 12. मध्यकाल में हुए विदेशी आक्रमणों के भारत पर क्या प्रभाव पड़े ?
OR
विदेशी आक्रमणों के भारत पर कौन-कौन से प्रभाव पड़े?

उत्तर – भारत में विदेशी आक्रमणों के निम्नलिखित प्रभाव पड़े –

  1. जन-धन की हानि – गज़नवी ने भारत पर 1000 ई. से 1025 ई. में अनेक बार आक्रमण किए। नगरकोट, कन्नौज, मथुरा और सोमनाथ से वह अपार सम्पदा ले जाने में सफल रहा। बहुत सारे लोगों को उसने मौत के घाट उतार दिया।
  2. कला एवं साहित्य को आघात – गजनवी ने आक्रमणों में थानेश्वर, नगरकोट, मथुरा, कन्नौज, सोमनाथ में इमारतों, धर्मस्थलों और मन्दिरों को तोड़ा। वह अनेक उच्चकोटि के कलाकारों और शिल्पकारों को अपने साथ गज़नी ले गया और उन्हें मौत के घाट उतार दिया।
  3. भारत में तुर्क सता की स्थापना – तुर्क आक्रमणों से भारत में तुर्क सता की स्थापना हुई। तराईन के दूसरे युद्ध के बाद तो उसने दिल्ली, कन्नौज, अजमेर, मथुरा और गुजरात पर अधिकार कर लिया।
  4. भारत में इस्लामी राज्य की स्थापना –  तुर्क शासन की स्थापना के बाद अब सुल्तान सत्ता का सर्वेसर्वा बन गया। दिल्ली के सुल्तान की शक्ति पहले के भारतीय राजाओं से भिन्न और अधिक थी। सुल्तानों के अधीन जिन राज्य अथवा सल्तनत की स्थपना हुई उसकी प्रकृति इस्लामी राज्य की थी जिसमें उलेमाओं का प्रभाव था।
  5. शिक्षा और भाषा पर प्रभाव – तुर्कों के आगमन से भारतीय शिक्षा केन्द्रों का ह्रास हुआ तथा शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग प्रणाली की शुरुआत हुई जिसे मदरसा प्रणाली कहते हैं। यह शिक्षा मस्जिदों में दी जाती थी। इस्लाम में शिक्षक विद्यार्थी के घर जाकर भी शिक्षा प्रदान कर सकता था।

उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद Class 10 इतिहास Chapter 7 Important Question Answer 2024-25


प्रश्न 1. साम्राज्यवाद में यूरोप, एशिया, अफ्रीका के देशों पर सकारात्मक व विनाशकारी प्रभावों का उल्लेख करें। Most Important

उत्तर – साम्राज्यवाद में यूरोप एशिया अफ्रीका के देशों पर सकारात्मक और विनाशकारी प्रभाव देखने को मिले जिनका वर्णन निम्नलिखित हैं :-

क) सकारात्मक प्रभाव:

  • साम्राज्यवादी देशों ने अपने अधीन उपनिवेशों में पश्चिमी शिक्षा लागू की जिससे इन देशों के लोगों को दूसरे देशों की राजनैतिक प्रणालियों के अध्ययन का अवसर मिला।
  • साम्राज्यवादी देशों के पूँजीपतियों ने अधिक लाभ कमाने के लिए उपनिवेशों में नए उद्योग स्थापित किए जिससे इन लोगों को रोजगार प्राप्त करने के नए अवसर प्राप्त हुए।
  • साम्राज्यवादी देशों ने अपने-अपने उपनिवेशों में व्यापार बढ़ाने हेतु अधिक-से-अधिक सड़कें बनवाई तथा रेल की पटरियाँ बिछवाई जिससे इन उपनिवेशों में यातायात के साधनों का बहुत विकास हुआ।
  • यूरोपियन देशों में औद्योगिक क्रांति आने से अत्यधिक लाभ कमाना आरंभ कर दिया।

ख) विनाशकारी प्रभाव –

  • साम्राज्यवादी देशों ने उद्योगों के लिए सस्ते दामों में कच्चा माल खरीदना आरंभ कर दिया और अपने देशों में निर्मित माल अधिक दामों पर बेचना आरंभ कर दिया
  • उन्होंने उपनिवेशों के निजी उद्योगों में बने हुए माल को बेचने के लिए अनेक प्रतिबंध लगा दिए जिससे उपनिवेशों के उद्योग नष्ट हो गए।
  • साम्राज्यवादी देशों ने अपने उपनिवेशों के किसानों का अधिक से अधिक शोषण किया जिससे उपनिवेशों के किसान भी निर्धन हो गए।
  • उपनिवेशों के लोगों को उच्च पदों पर भी नहीं रखा जाता था।
  • साम्राज्यवादी देशों के ईसाई प्रचारकों ने उपनिवेश के लोगों को बलपूर्वक ईसाई बनाना आरंभ कर दिया।

प्रश्न 2. साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद में अंतर स्पष्ट करें। Most Important

उत्तर – जब कोई शक्तिशाली देश किसी कमजोर और पिछड़े हुए देश पर बल पूर्वक अपना अधिकार स्थापित करता है। उसे साम्राज्यवाद कहा जाता है और उस देश को उपनिवेश कहा जाता है। जब कोई देश अपनी शक्ति का प्रयोग करके अन्य देशों को प्रभावित करता है तब हम उसे साम्राज्यवाद का नाम देते हैं। लेकिन अगर कोई देश या क्षेत्र पर विजय प्राप्त करता है और अपने क्षेत्र में शामिल करता है उसे उपनिवेशवाद कहा जाता है।


प्रश्न 3. साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने शोषण के कौन-कौन से तरीके अपनाये ? Most Important

उत्तर – साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने शोषण के निम्नलिखित तरीके अपनाएं :-

  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों से कच्चा माल सस्ती कीमतों पर प्राप्त किया।
  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों से धन अपने देश पहुंचा दिया जिससे वह उपनिवेश गरीब हो गया।
  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों में अपने देश का निर्मित माल सस्ती कीमतों पर बेचकर उपनिवेशों के लघु उद्योग बंद करवा दिए।
  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों में ईसाई धर्म का बहुत प्रचार किया जिससे वहां की संस्कृति बर्बाद हो गई।
  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों में किसानों से अपनी जरूरतों की खेती करवाई।

प्रश्न 4. औद्योगिक क्रांति का वर्णन करे।

उत्तर – अठारहवीं शताब्दी में गृह उद्योगों के स्थान पर बड़े बड़े कारखानों का निर्माण हुआ जिसके कारण हाथ की अपेक्षा मशीन से तथा घर की अपेक्षा कारखानों में तथा कम की अपेक्षा अधिक उत्पादन होने लगा। इन परिवर्तनों को “औद्योगिक क्रांति” कहा जाता है। सर्वप्रथम इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई।


प्रश्न 5. यूरोपियन देशों में औद्योगिक क्रांति के क्या परिणाम हुए।

उत्तर – जिन यूरोपियन देशों में औद्योगिक क्रांति आई थी, वे सभी देश अपने-अपने देशों के कारखानों में बहुत अधिक माल बनाने लगे। इस माल को उन्होंने स्वयं उपनिवेशों में बेचकर अत्यधिक लाभ कमाना आरंभ कर दिया। इन उपनिवेशों से ही ये देश सस्ते दामों पर कच्चा माल खरीदने लगे जिससे सभी यूरोपीय देश व्यापार के कारण अधिक धनवान हो गए।


प्रश्न 6. हस्तशिल्प उद्योगों के पतन के क्या कारण थे? वर्णन करें।

उत्तर – हस्तशिल्प उद्योगों के पतन के निम्नलिखित कारण थे –

  • औद्योगिक क्रांति के कारण इंग्लैंड में बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हो गए। इनमें बड़ी मात्रा में उत्पादन होने लगा और यह माल सुंदर तथा सस्ता होता था। भारतीय माल महंगा होने की वजह से इनके सामने नहीं टिक सका और बहुत सारे उद्योग धंधे बंद हो गए।
  • भारतीय लघु उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुएँ जब इंग्लैंड तथा यूरोप के बाजारों में पहुँचती थी तो उन पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए जाते थे ताकि वहाँ के लोग उन्हें खरीद न सके।
  • भारतीय दस्तकारों तथा शिल्पकारों द्वारा निर्मित वस्तुओं के बड़े खरीददार भारतीय शासक तथा राजदरबार थे परंतु अंग्रेजों ने सभी राज्यो का अंत कर दिया जिससे उनके मुख्य ग्राहक समाप्त हो गए।

प्रश्न 7. साम्राज्यवाद क्या है ? साम्राज्यवाद के प्रसार में कौन-कौन-सी परिस्थितियाँ सहायक रहीं ? Most Important


प्रश्न 8. भारतीय धन अथवा सम्पदा का निष्कासन से आप क्या समझते हैं?


भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन Class 10 इतिहास Chapter 8 Important Question Answer 2024-25


प्रश्न 1. 1857 की क्रांति किन कारणों से हुई थी?
OR
1857 की क्रांति के मुख्य कारण क्या थे ? Most Important


प्रश्न 2. 1857 ई० की क्रान्ति को महान स्वतन्त्रता संघर्ष क्यों कहा गया ? Most Important


प्रश्न 3. साइमन कमीशन के विरोध पर संक्षिप्त नोट लिखिए। Most Important


प्रश्न 4. स्वतंत्रता आंदोलन में स्वदेशी व बहिष्कार क्यों महत्वपूर्ण थें? Most Important


स्वतंत्र भारत के 50 वर्ष Class 10 इतिहास Chapter 9 Important Question Answer 2024-25


प्रश्न 1. गुटनिरपेक्ष आंदोलन क्या था? Most Important


प्रश्न 2. स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् देश के सामने कौन-कौन सी समस्याएं थीं ? Most Important


प्रश्न 3. ‘योजना आयोग‘ की स्थापना किसने, कब तथा क्यों की ? Most Important


 

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