HBSE Class 10 नैतिक शिक्षा Chapter 12 दुनिया में नेकी और बदी Explain Solution

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HBSE Class 10 Naitik Siksha Chapter 12 दुनिया में नेकी और बदी / Duniya me neki aur badi Explain for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 10th Book Solution.

दुनिया में नेकी और बदी Class 10 Naitik Siksha Chapter 12 Explain


लेखक – नज़ीर अकबराबादी

है दुनिया जिस का नाम मियाँ ये और तरह की बस्ती है।
जो महंगों को तो महंगी है और सस्तों को ये सस्ती है।
यां हरदम झगड़े उठते हैं, हर आन अदालत कस्ती है।
गर मस्त करे तो मस्ती है और पस्त करे तो पस्ती है।
कुछ देर नहीं अँधेर नहीं, इंसाफ और अदल-परस्ती है।
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बदस्ती है।

शब्दार्थमियाँ – स्वामी। आन – पल। पस्त – बुरे काम। पस्ती – बुरी। अदल-परस्ती – न्याय की पूजा। दस्त-बदस्ती – हाथों हाथ / तुरंत।

व्याख्या – हे स्वामी! जिसको हम दुनिया के नाम से जानते हैं यह एक अलग ही तरह की बस्ती है। यह बस्ती अमीरों के लिए तो महंगी है और गरीबों लोगों के लिए सस्ती हैं। यहां पर हर समय झगड़े होते रहते हैं, हर समय अदालत चलती रहती है। अगर हम अच्छे काम करें तो वह हमारे लिए अच्छी है और अगर हम बुरे काम करें तो यह हमारे लिए बुरी है। यहां कभी भी देर नहीं होती और अन्याय भी नहीं होता है‌ इसीलिए यहां इंसाफ और न्याय की पूजा होती है। तुम एक हाथ से काम करो और दूसरे हाथ से तुम तुरंत अपनी कीमत ले सकते हो।


जो और किसी का मान रखे, तो उसको भी अरमान मिले ।
जो पान खिलावे पान मिले, जो रोटी दे तो नान मिले।
नुकसान करे नुकसान मिले, एहसान करे एहसान मिले।
जो जैसा जिस के साथ करे, फिर वैसा उसको आन मिले।
कुछ देर नहीं अँधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है।
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बदस्ती है ।

शब्दार्थ मान – आदर। अरमान – सम्मान। एहसान – उपकार। आन – आकर। अदल-परस्ती – न्याय की पूजा। दस्त-बदस्ती – हाथों हाथ / तुरंत।

व्याख्या – वह व्यक्ति जो किसी और का सम्मान करें तो उसको भी सम्मान मिलता है। जो किसी को पान खिलाए तो उसे भी पान मिले। जो किसी को रोटी दे तो उसको नान मिले। अगर कोई किसी का नुकसान करता है तो उसको भी नुकसान ही मिले। अगर कोई किसी पर उपकार करता है तो उसको भी उपकार ही मिले। जो व्यक्ति जिसके साथ जैसा भी व्यवहार करेगा वैसा ही व्यवहार उसे वापस मिल जाएगा। यहां कभी भी देर नहीं होती और अन्याय भी नहीं होता है‌ इसीलिए यहां इंसाफ और न्याय की पूजा होती है। तुम एक हाथ से काम करो और दूसरे हाथ से तुम तुरंत अपनी कीमत ले सकते हो।


जो और किसी की जां बख़्शे तो उसको भी हक जान रखे।
जो और किसी की आन रखे तो, उसकी भी हक आन रखे ।
जो यां का रहने वाला है, ये दिल में अपने जान रखे।
ये चरत-फिरत का नक्शा है, इस नक्शे को पहचान रखे।
कुछ देर नहीं अँधेर नहीं, इंसाफ और अदल-परस्ती है।
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बदस्ती हैं।

शब्दार्थ – जां बख़्शे – जीवन प्रदान करें। जान – ख्याल। आन – इज्जत। यां – यहां। चरत-फिरत – चारों तरफ घूमना। अदल-परस्ती – न्याय की पूजा। दस्त-बदस्ती – हाथों हाथ / तुरंत।

व्याख्या – वह व्यक्ति जो किसी और का जीवन बचा ले तो उसका भी हक बनता है कि वह उसका ख्याल रखें। जो किसी और की इज्जत रखें तो उसका भी हक बनता है कि उसका सम्मान करें। या फिर जो यहां का रहने वाला है वह अपने दिल में यह बात याद रखें कि यह चारों तरफ का नक्शा है और इस नक्शे को पहचान कर रखें। यहां कभी भी देर नहीं होती और अन्याय भी नहीं होता है‌ इसीलिए यहां इंसाफ और न्याय की पूजा होती है। तुम एक हाथ से काम करो और दूसरे हाथ से तुम तुरंत अपनी कीमत ले सकते हो।


जो पार उतारे औरों को, उसकी भी पार उतरनी है।
जो गर्क करे फिर उसको भी डुबकूँ डुबकूँ करनी है।
शम्शीर तीर बन्दूक सिनाँ और नश्तर तीर नहरनी है।
यां जैसी जैसी करनी है, फिर वैसी वैसी भरनी है।
कुछ देर नहीं, अँधेर नहीं, इंसाफ और अदल परस्ती है।
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बदस्ती है।

शब्दार्थऔरों – दूसरों। गर्क – पानी में डूबाना। शम्शीर – तलवार। सिनाँ – भाला। नश्तर – चाकू। नहरनी – नाखून काटने का उपकरण। अदल-परस्ती – न्याय की पूजा। दस्त-बदस्ती – हाथों हाथ / तुरंत।

व्याख्या – वह व्यक्ति जो दूसरों को सफल बनाने में मदद करता है उसको भी सफल होना ही है। जो दूसरों को पानी में डूबाता है वह भी डुबकू डुबकू करके डूब ही जाता है। तलवार, तीर, बंदूक, भाला और चाकू आदि सभी काटने के उपकरण हैं। जो जैसा करेगा वह वैसा ही फल पाएगा। यहां कभी भी देर नहीं होती और अन्याय भी नहीं होता है‌ इसीलिए यहां इंसाफ और न्याय की पूजा होती है। तुम एक हाथ से काम करो और दूसरे हाथ से तुम तुरंत अपनी कीमत ले सकते हो।


है खटका उसके हाथ लगा, जो और किसी को दे खटका ।
और गैब से झटका खाता है, जो और किसी को दे झटका।
चीरे के बीच में चीरा है, और टपके बीच जो है टपका ।
क्या कहिए और ‘नजीर’ आगे है रोज तमाशा झटपट का ।
कुछ देर नहीं अँधेर नहीं, इंसाफ और अद्ल -परस्ती है।
इस हाथ करो उस हाथ मिले, याँ सौदा दस्त-बदस्ती है।

शब्दार्थ खटका – चिंता / डर। गैब – भाग्य / पिठ पिछे। चीरे – घाव। झटपट – तेजी। अदल-परस्ती – न्याय की पूजा। दस्त-बदस्ती – हाथों हाथ / तुरंत।

व्याख्या – उसे अब डर लग रहा है जो वह किसी और को डरा रहा था। वह पीठ पीछे झटका खाता है जिसको वह किसी और को दे रहा था। बहुत से घावों के बीच में भी चोट लगी हुई है और जो बीच में आ जाता है वह मार दिया जाता है। अब नजीर आगे क्या कहे यहां तो रोज तेजी का तमाशा होता है। यहां कभी भी देर नहीं होती और अन्याय भी नहीं होता है‌ इसीलिए यहां इंसाफ और न्याय की पूजा होती है। तुम एक हाथ से काम करो और दूसरे हाथ से तुम तुरंत अपनी कीमत ले सकते हो।


 

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