HBSE Class 10 नैतिक शिक्षा Chapter 17 नियम-अनुशासन : सभ्य जीवन का आधार Question Answer Solution

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HBSE Class 10 Hindi Naitik Siksha Chapter 17 नियम-अनुशासन : सभ्य जीवन का आधार / Niyam Anusashan Sbhy jivan ka aadhar Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 10th Book Solution.

नियम-अनुशासन : सभ्य जीवन का आधार Class 10 Naitik Siksha Chapter 17 Question Answer


प्रश्न 1. उक्त श्लोक का भावार्थ क्या है?

उत्तर – उक्त श्लोक का भावार्थ है – हे पार्थ! जो मनुष्य इस लोक में इस प्रकार परम्परा से प्रचलित सृष्टिचक्र के अनुसार नहीं चलता, वह इन्द्रियों के द्वारा भोगों में रमण करने वाला अघायु (पापमय जीवन बिताने वाला) मनुष्य संसार में व्यर्थ ही जीता है।


प्रश्न 2. सृष्टि के नियम चक्र को समझने की क्या आवश्यकता है?

उत्तर – सृष्टि के नियम चक्र को समझे बिना जो नियमों के अनुसार नहीं चलता, वह केवल इन्द्रिय सुखों में ही रमण करने वाला, वहीं तक सीमित रहता हुआ, जीवन व्यर्थ कर लेता है।


प्रश्न 3. समस्याएँ क्यों हैं तथा इनका समाधान क्या है?

उत्तर – नियम और अनुशासन का पालन नहीं करने के कारण समस्याएं होती हैं। नियमों का पालन करके हम इन समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।


प्रश्न 4. नियम संयम हर क्षेत्र में क्यों आवश्यक है?

उत्तर – शरीर को नियम संयम में रखोगे तो ही शरीर की व्यवस्था ठीक चलेगी और कठिनाइयाँ नहीं होंगी।


प्रश्न 5. हमें इस गीता श्लोक से क्या प्रेरणा एवं संकल्प लेना है?

उत्तर – हर क्षेत्र में नियम पालन को अपना स्वभाव बनाएँ। जीवन यात्रा में आगे बढ़ें और महानता के शिखर छूने में तत्पर हो जाएँ।


प्रश्न 6. शरीर को नियम व संयम में रखने के क्या लाभ हैं?

उत्तर –  शरीर को नियम संयम में रखने से कठिनाइयां नहीं होती है और शरीर की व्यवस्था भी ठीक चलती है।


प्रश्न 7. घर परिवार व विद्यालय को सुचारु रूप से चलाने के क्या-क्या उपाय होते हैं?

उत्तर – घर परिवार में विद्यालय को सुचारू रूप से चलाने के लिए वहाँ के नियमों के अनुसार रहेंगे तो ही व्यवस्था ठीक चलेगी। हर व्यक्ति यदि अपने मनमाने ढंग से व्यवहार आचरण करने लगे तो आपसी विद्वेष व क्लेश बढ़ेंगे और व्यवस्था में कठिनाइयाँ आएँगी।


प्रश्न 8. युवाओं को अपनी शक्ति (ऊर्जा) किस दिशा में लगानी चाहिए?

उत्तर – युवाओं को अपनी शक्ति श्रीमद्भगवद्गीता की इस प्रेरणा को व्यापक अर्थ में समझने और स्वीकार करने में लगानी चाहिए। हर क्षेत्र में नियम पालन को अपना स्वभाव बनाएँ।


प्रश्न 9. असभ्य शब्द किसका द्योतक है?

उत्तर – असभ्य शब्द बिना नियमों के चलने का द्योतक ( सूचक ) है।


प्रश्न 10. जीवन की ऊँचाइयाँ छूने के क्या-क्या सोपान होते हैं?

उत्तर – अच्छे नियम-अनुशासन, सभ्य, मर्यादित जीवन ही जीवन की उँचाइयां छूने के सोपान है।


प्रश्न 11. सृष्टि का चक्र नियमों में चल रहा है-उदाहरण सहित स्पष्ट करो।

उत्तर – सृष्टि का चक्र नियमों में ही चल रहा है। उदाहरण के लिए चंद्रमा अपनी परिक्रमा नियमों के हिसाब से सही समय पर पूरी करता है ‌। पृथ्वी पर दिन और रात 24 घंटे के ही होते हैं। सूर्य का एक चक्कर पृथ्वी 1 साल में ही पूरा करती है। ऐसे ही बहुत सारे अनेकों उदाहरण हमें देखने को मिल सकते हैं जिससे हम कह सकते हैं कि सृष्टि का चक्र नियमों में ही चल रहा है।


प्रश्न 12. नियम कानून की जानकारी अत्यावश्यक है, इस विषय में अध्यापक कक्षा में चर्चा कराएँ

उत्तर – नियम कानूनों के बिना हम हमारे लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकते इसीलिए नियम कानूनों की जानकारी हमें आवश्यक है। सही नियम ही हमें हमारे लक्ष्य को हासिल करने में मदद करते हैं। नियम कानून को त्याग कर हमारा जीवन कठिनाइयों से घिर जाता है।


प्रश्न 13. नियम-अनुशासन सभ्य, मर्यादित जीवन का प्रथम सोपान है, इस विषय में एक आलेख तैयार करो।

उत्तर – नियम ही जीवन को अच्छा बनाते हैं। अगर हम नियमों से चलते हैं तो हम बहुत सारी कठिनाइयों से बच जाते हैं। नियमों के अनुसार चलने वाला व्यक्ति ही सभ्य कहलाता है। समाज में भी उसी का मान सम्मान और मर्यादा बढ़ती है जो नियम अनुशासन के अनुसार चलता है। इसीलिए हमें हमारे जीवन में नियमों को अपना लेना चाहिए।


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