HBSE Class 10 नैतिक शिक्षा Chapter 3 – मीठी वाणी (सूक्तियाँ) Explain Solution

Class 10 Hindi Naitik Siksha BSEH Solution for Chapter 3 मीठी वाणी (सूक्तियाँ) Explain for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 10 Hindi mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer, Word meaning, Vyakhya are available of नैतिक शिक्षा Book for HBSE.

Also Read – HBSE Class 10 नैतिक शिक्षा Solution

Also Read – HBSE Class 10 नैतिक शिक्षा Solution in Videos

HBSE Class 10 Naitik Siksha Chapter 3 मीठी वाणी (सूक्तियाँ) / Mithi vani ( suktiyan ) Explain for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 10th Book Solution.

मीठी वाणी (सूक्तियाँ) Class 10 Naitik Siksha Chapter 3 Explain


सूक्ति शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है सु+उक्ति अर्थात् अच्छे वचन सूक्तियों के सारगर्भित शब्दों द्वारा जीवनोपयोगी बातें बताई जाती हैं। मीठी वाणी से सम्बन्धित कुछ सूक्तियाँ देखिए

“जिह्वाया अग्रे मे जिह्वा मूले मधूलकम्” (अथर्ववेद 1/34/2)

भाव – यहाँ वैदिक ऋषि मीठी वाणी के महत्त्व को दर्शाते हुए कहते हैं कि मेरी जिह्वा के अग्र भाग में मधुरता रहे। मेरी जीभ के मूलभाग में मधुरता रहे। मधुमतीं वाचा उदेयम् (अथर्ववेद 16/2/2 ) मैं जो बोलूँ, वह मधुरता से भरा हो।

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ।। (चाणक्य नीति 16/17)

अर्थात् – प्रिय वचन बोलने से सभी जीव प्रसन्न होते हैं, इसलिए मीठा बोलने में हमें दरिद्रता नहीं दिखानी चाहिए।

वाण्येका समलंकरोति पुरुष या संस्कृता धार्यते,
क्षीयन्ते खलु भूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम्। नीतिशतक

अर्थात् – केवल संस्कारयुक्त वाणी ही पुरुष को अलंकृत करती है अन्य सारे आभूषण तो नष्ट हो जाते हैं। केवल वाणी रूपी आभूषण ही एकमात्र आभूषण है, जो शाश्वत है।

मधुर वचन है औषधि कटुवचन है तीर ।
सरवन द्वार ह्वै संचर साले सगल सरीर।। -रैदास

भाव – रैदास ने मीठे वचनों को सुखद औषधि के समान बताया है और कटु वचनों को तीर के समान तीखा बताया है। तीर लगने पर दर्द देता है परन्तु कटुवचन रूपी तीर बिना लगे ही (केवल कटाक्ष द्वारा) सालता रहता है।

ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय। 
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय।। – कबीरदास

भाव – कबीर कहते हैं कि हमें ऐसी वाणी बोलनी चाहिए, जिससे हमारे मन का घमण्ड दूर हो जाए। वाणी स्वयं तथा दूसरों को भी शीतलता प्रदान करने वाली होनी चाहिए।

तुलसी मीठे वचन तें सुख उपजत चहुँ ओर।
बसीकरण यह मन्त्र है, परिहरु बचन कठोर ।। – तुलसीदास

भाव – तुलसीदास का कथन है कि मीठी वाणी से चारों ओर सुख जन्म लेता है। इसलिए कठोर वचनों को छोड़कर मीठे वचन बोलने चाहिए, यही वशीकरण का मन्त्र है।

भक्त कवि मलूकदास ने भी लिखा है —

मानुष बैठे चुप करे, कदर न जाने कोय।
जबहीं मुख खोलै कली, प्रगट बास तब होय ।। (मलूकदास बाणी पृ.36)

अर्थात् – मनुष्य जब तक चुप बैठा रहता है, उसका कोई सम्मान नहीं करता। जब प्रकट रूप से मुख रूपी कली खिलती है तो उसकी सुगन्ध चारों ओर फैल जाती है।

मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान ।
तनिक सीत जल सों मिटै, जैसे दूध उफान ।। – वृन्द

भाव – यहाँ कवि वृन्द कहते हैं कि जिस प्रकार थोड़ा सा शीतल जल डालने से दूध का उफान मिट जाता है, उसी प्रकार मीठे वचन से व्यक्ति का अभिमान (घमण्ड ) मिट जाता है।

आधुनिक हिन्दी साहित्य के जनक भारतेन्दु इस विषय में कहते हैं —

देखी ना कबहूँ मिसरी मैं मधुहू मैं
ना रसाल, ईख, दाख मैं न तनिक बतासा मैं।
अमृत मैं पाई ना अधर में सुरंगना के
जैती मधुराई भूप सज्जन की भाषा में। – भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

अर्थात् – मिसरी में, शहद में आम में, ईख में, दाख में, किशमिश में, अमृत में तथा रमणी के अधरों में इतना मिठास नहीं होता, जितना सज्जन की मीठी वाणी में होता है।

हिन्दी के अन्य कवियों ने भी मीठी वाणी के सन्दर्भ में इसी प्रकार कहा है।

रसविहीन जिसको कहकर रसना बने 
ऐसी नीरस बातें क्यों जाएँ कहीं। – वेदेही वनवास ( 14 / 100) अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध

सत्य सरल वक्ता की वाणी किसको नहीं लुभाएगी। 
घातक की तलवार धार भी मोहित होकर मुड़ जाएगी। – बालिवध (श्याम नारायण पाण्डेय)

तमिल लेखक तिरुवल्लुवर के मीठी वाणी के विषय में विचार इस प्रकार हैं “विचारों को सजाकर मधुर ढंग से व्यक्त करने वाला प्राप्त हो तो संसार शीघ्र उसके आदेशों को मानेगा।”- (तिरक्कुरल, 648)

‘आनन्दयति सत्त्वानि यो हि मंगलमंजुवाक् ।’ – अज्ञात

भाव यह है कि मंगल और प्रिय वाणी सभी प्राणियों को आनन्द प्रदान करती है। हिन्दी भाषा की एक लोकोक्ति भी है गुड़ न दे तो गुड़ की-सी बात तो करे।

Leave a Comment

error: