HBSE Class 10 नैतिक शिक्षा Chapter 3 – मीठी वाणी (सूक्तियाँ) Question Answer Solution

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HBSE Class 10 Naitik Siksha Chapter 3 मीठी वाणी (सूक्तियाँ) / Mithi vani ( suktiyan ) Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 10th Book Solution.

मीठी वाणी (सूक्तियाँ) Class 10 Naitik Siksha Chapter 3 Question Answer


प्रश्न 1. मीठा बोलने का जीवन में क्या प्रभाव देखने को मिलता है? लिखो।

उत्तर – मीठा बोलने से चारों ओर सुख जन्म लेता है। मीठे वचनों को सुखद औषधि के समान बताया गया है।


प्रश्न 2. पाठ के अनुसार तिरुवल्लुवर के वाणी सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट करो?

उत्तर – तमिल लेखक तिरुवल्लुवर के मीठी वाणी के विषय में विचार इस प्रकार हैं “विचारों को सजाकर मधुर ढंग से व्यक्त करने वाला प्राप्त हो तो संसार शीघ्र उसके आदेशों को मानेगा।


प्रश्न 3. “वचने का दरिद्रता” सूक्ति का अर्थ लिखो ।

उत्तर – “वचने का दरिद्रता” सूक्ति का अर्थ है – मीठा बोलने में हमें दरिद्रता नहीं दिखानी चाहिए।


प्रश्न 4. मधुर वाणी की तुलना दवा से क्यों की गई है?

उत्तर – मधुर वाणी को सुखद औषधि के समान बताया है और कटु वचनों को तीर के समान तीखा बताया है। तीर लगने पर दर्द देता है परन्तु कटुवचन रूपी तीर बिना लगे ही दर्द देता है। जिसका उपचार केवल मधुर वाणी ही कर सकती है इसी कारण मधुर वाणी की तुलना दवा से की गई है।


प्रश्न 5. वाणी से किए घाव को हम कैसे भर सकते हैं? सिद्ध करो।

उत्तर – वाणी से किए हुए घाव को हम मीठी वाणी की मदद से ही भर सकते हैं। तीर लगने पर दर्द देता है परन्तु कटुवचन रूपी तीर बिना लगे ही दर्द देता है। जिन घावों का उपचार केवल मधुर वाणी ही कर सकती है।


प्रश्न 6. वाणी के महत्त्व को प्रकट करने वाली अन्य सूक्तियों का संग्रह करो ।

उत्तर

  • मुसीबतें टूट पड़े, हाल बेहाल हो जाए, तो भी जो लोग निश्चय से नहीं डिगते और धीरज रखकर चलते हैं, वे ही सच्चे धैर्यशाली हैं  (कुरान शरीफ)
  • सत्य, प्रेम तथा अच्छाई के मार्ग की बाधाओं को पार करने का सामर्थ्य आध्यात्मिकता ही प्रदान कर सकती है। (डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन्)
  • जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी । रामायण

प्रश्न 7. बोलने से पहले तोलना क्यों जरूरी होता है?

उत्तर – हमारी बोली गई बातें बहुत अधिक महत्व रखती हैं। हमारे कटु वचन तीर के समान तीखे होते हैं। तीर लगने पर दर्द देता है परन्तु कटुवचन रूपी तीर बिना लगे ही घाव देता है। इसीलिए बोलने से पहले तोलना जरूरी होता है।


प्रश्न 8. रसविहीन बातें क्यों नहीं बोलनी चाहिए? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।

उत्तर – रसविहिन बातों से किसी को ज्ञान या खुशी नहीं मिलती हैं। ऐसी नीरस बातों को बोलने से कोई लाभ भी नहीं होता है। इसीलिए हमे रसविहीन बातें नहीं बोलनी चाहिए।


प्रश्न 9. “गुड़ न दे तो गुड़ की सी बात तो करे”, इस कहावत का अर्थ लिखो ।

उत्तर – कहावत का अर्थ है कि अगर हम किसी को मीठा नहीं खिला सकते तो हम कम से कम उससे मीठी बातें तो कर ही सकते हैं।


प्रश्न 10. मात्र वाणी के कारण मित्र शत्रु बन जाते हैं, शत्रु-मित्र बन जाते हैं। इसके कारणों पर अध्यापक कक्षा में चर्चा कराएँ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।


प्रश्न 11. “वाणी रूपी आभूषण ही शाश्वत है”, विषय पर अपने विचार लिखो ।

उत्तर – हमारी अच्छी और मधुर बातें लंबे समय तक याद रखी जाती हैं। जबकि बाकी सभी चीजें समय के साथ भुला दी जाती हैं। इसीलिए वाणी रूपी आभूषण ही शाश्वत होता है।


प्रश्न 12. अपने उन अनुभवों को अपने मित्रों के साथ बाँटो, जब किसी की मधुर वाणी ने आपको निराशा व उदासी से बाहर निकाला हो ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।


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