HBSE Class 10 नैतिक शिक्षा Chapter 5 कर्मयोग की साधना Important Question Answer Solution

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कर्मयोग की साधना Class 10 Naitik Siksha Chapter 5 Important Question Answer


प्रश्न 1. गीता किस प्रकार का ग्रन्थ है?

उत्तर – आत्मा के उद्धार के लिए गीता सर्वोपरि ग्रन्थ है। यह मनुष्य को सभी प्रकार की उन्नति का मार्ग दिखाने वाला ग्रन्थ भी है।


प्रश्न 2. वेद कर्म को किस प्रकार करने की बात कहता है?

उत्तर – सौ वर्षों तक कर्म करते हुए ही मनुष्य जीवन जीने की अभिलाषा करे।


प्रश्न 3. प्रकृति हमें किस प्रकार कर्म करने की प्रेरणा देती है?

उत्तर – सूर्य हो या तारे, पवन हो या पानी; सब के सब कर्म करते हुए सृष्टि के क्रम को गतिशील रखने में सहायक हैं। इस प्रकार प्रकृति हमें कर्म करने की प्रेरणा देती है।


प्रश्न 4. फल पर मनुष्य का अधिकार नहीं है, तो भी मनुष्य को कर्म क्यों करना चाहिए?

उत्तर – फल पर मनुष्य का अधिकार नहीं है। व्यक्ति मनचाहा फल नहीं पा सकता। यह निश्चित है कि किए जा रहे काम का फल तो मिलेगा ही। वह जब मिलना है तब मिलेगा, जितना मिलना है उतना मिलेगा और जैसे मिलना है वैसे मिलेगा। तब चिन्ता किस बात की? फल मनचाहा हो भी सकता है और नहीं भी। इसलिए फल की चिन्ता न्यायकारी ईश्वर पर छोड़ देनी चाहिए।


प्रश्न 5. ‘कर्म की मिठास’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – कर्म की मिठास से अभिप्राय कर्म के फल को प्राप्त करने से है। कर्म का फल बहुत अधिक मीठा और खुशी प्रदान करने वाला होता है।


प्रश्न 6. वास्तव में सच्चा कर्मयोगी कौन है?

उत्तर – जब कर्म की प्रक्रिया में ही आनन्द लेने का आभास हो जाता है तो समस्त शक्ति कर्म की कुशलता पर केन्द्रित हो जाती है। वह हानि-लाभ, जय-पराजय, सुख-दुःख में समता कर पाता है। ऐसा व्यक्ति ही वास्तव में सच्चा कर्मयोगी है।


प्रश्न 7. गीता के तेरहवें अध्याय में कितने श्लोक हैं ?

उत्तर – 34


प्रश्न 8. गीता के तेरहवें अध्याय का क्या नाम है ?

उत्तर – क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभाग योग


प्रश्न 9. गीता के चौदहवें अध्याय में कितने श्लोक हैं ?

उत्तर – 27


प्रश्न 10. गीता के चौदहवें अध्याय का क्या नाम है ?

उत्तर – गुणत्रयविभागयोग


प्रश्न 11. गीता के पन्द्रहवें अध्याय का क्या नाम है ?

उत्तर – पुरुषोत्तम योग


प्रश्न 12. गीता के पन्द्रहवें अध्याय में कितने श्लोक हैं ?

उत्तर – 20


प्रश्न 13. किस श्लोक में जीवात्मा के स्वरूप एवं क्रियाओं का वर्णन है।

उत्तर – 7वें श्लोक से 11वें श्लोक तक


प्रश्न 14. परमेश्वर के विभिन्न स्वरूपों का एवं उनके द्वारा प्रतिपादित कर्मों का निरूपण किया है।

उत्तर – 12वें श्लोक से 15वें श्लोक तक


 

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