Class 11 Hindi अपठित गद्यांश BSEH Solution for all Chapters Important Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 11 Hindi mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer, Word meaning, Vyakhya are available of आरोह भाग 1 Book for HBSE.
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HBSE Class 11 Hindi अपठित गद्यांश Important Question Answer for Haryana Board Solution.
HBSE Class 11 Hindi अपठित गद्यांश Important Question Answer 2025
देखना यह है कि, हिन्दी जिन जड़ों से निकली है, उसका बरगद पूरे विश्व में कहाँ-कहाँ तक फैला है और उसने कहाँ-कहाँ तक अपनी जड़ें जमाई हैं। हिन्दी का यह बरंगद सात समन्दर पार तक, अपनी डालों को ले गया, कुछ मजबूत डालों ने कैरेबियन देशों में अपनी जड़ें गिराई, कुछ ने गल्फ में, तो कुछ ने एशिया में। अब उन जड़ों को वहाँ विकसित वृक्ष के तनों के रूप में देखा जा सकता है। वे जड़ें जहाँ गिरीं वहीं से खाद-पानी लेने लगीं।
पिछले बीस बरस में मैंने काफ़ी दुनिया देखी है। इस दौरान प्रवासी भारतीयों में धीरे-धीरे एक चिंता विकसित होते देखा है। पश्चिम की दुनिया में अब लोगों को विकसित होते देखा है। पश्चिम की दुनिया में अब लोगों को ख्याल आ रहा है, कि उनके बच्चे बड़े हो गए और अफ़सोस, कि वे उन्हें अपनी भाषा न सिखा पाए। अफसोस, कि उन्हें अपनी संस्कृति न दे पाए। इस मरोड़ का तोड़ क्या हो ? विश्व हिन्दी सम्मेलनों में इस प्रकार की सामूहिक चिंताएँ एक मंच पर आती हैं और निदान खोजती हैं, निदान का अर्थ संस्थाएँ चलाने के लिए केवल आर्थिक मदद करना नहीं होता।
(i) उपर्युक्त गद्यांश का सर्वाधिक उचित शीर्षक क्या हो सकता है ?
(क) हिन्दी की दुनिया
(ख) हिन्दी का बरगद
(ग) मजबूत डालें
(घ) पश्चिम की दुनिया
(ii) पश्चिमी दुनिया के लोगों को क्या अफसोस हो रहा है ?
(क) उन्हें इन देशों में नहीं आना चाहिए था।
(ख) वे अपने बच्चों को अपनी भाषा नहीं सिखा सके।
(ग) वे आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
(घ) वे अपने परिवार से अलग हो गए।
(iii) हिन्दी की तुलना बरगद के पेड़ से क्यों की गई है ?
(क) उसकी अनेक जड़ें होती हैं जिनसे वह मजबूत बनता है।
(ख) उसकी प्रत्येक जड़ से नया वृक्ष बनता है।
(ग) हिन्दी भी बरगद की भाँति अनेक रूपों में विश्व के अन्य देशों में विकसित हो रही है।
(घ) उपर्युक्त सभी
(iv) हिन्दी का विकास मुख्यतः किन देशों में हुआ ?
(क) कैरेबियन देशों में
(ख) गल्फ देशों में
(ग) एशिया के देशों में
(घ) उपर्युक्त सभी
(v) हिन्दी भाषा से संबंधित चिंताओं का निदान करने के लिए क्या किया गया ?
(क) विश्व हिन्दी सम्मेलनों का आयोजन
(ख) मेलों का आयोजन
(ग) विश्व की अन्य भाषाओं का आयोजन
(घ) विभिन्न संस्कृतियों पर चर्चा का आयोजन
जहाँ विपुल विश्व की माया,
विनाशशील नर्तन में
क्षण-क्षण बदल रही है अपनी काया
पल-पल जी जा रही है नवीन बनकर
वायु के चरण भी काँप रहे हैं
विस्तृत मरु की नीरवता-सी
लहरियाँ लोट रही हैं धरा पर
घायल विक्षुब्ध सर्पिणियों-सी, ऐसे में
तुम्हारे लिए ऐसी जगह में कहाँ से लाऊँ
जहाँ तुम खेल सको निर्भय, हर्षित होकर।
(i) कविता में संसार को कैसा बताया गया है ?
(क) पुरातन रूप धारण करने वाला
(ख) चमत्कारिक रूप धारण करने वाला
(ग) अमानवीय रूप धारण करने वाला
(घ) विपुल और नित नवीन रूप धारण करने वाला
(ii) क्षण-प्रतिक्षण किसे नवीनता प्राप्त हो रही है ?
(क) मानव की काया को
(ख) नभ में छिटकी चाँदनी को
(ग) विश्व की माया को
(घ) सागर के जल को
(iii) किसके चरण काँपते हुए बताया गया है ?
(क) वायु के
(ख) किसान के
(ग) देवदूत के
(घ) मानव के
(iv) वायु के चरण क्यों काँप रहे हैं ?
(क) मानव के आक्रामक जोश को देखकर
(ख) जल प्रलय को देखकर
(ग) विध्वंसक बदलावों को देखकर
(घ) वातावरण के विकर्षण को देखकर
(v) घायल विक्षुब्ध सर्पिणियों-सी में अलंकार है :
(क) श्लेष अलंकार
(ख) यमक अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) उपमा अलंकार
धूप चमकती है चाँदी की साड़ी पहने
मैके में आई बिटिया की तरह मगन है
फूली सरसों की छाती से लिपट गई है
जैसे दो हमजोली सखियाँ गले मिली हैं
भैया की बाँहों से छूटी भौजाई-सी
लँहगे की लहराती लचती हवा चली है
सारंगी बजती है खेतों की गोदी में
दल के दल पक्षी उड़ते हैं मीठे स्वर के
अनावरण यह प्राकृत छवि की अमर भारती
रंग-बिरंगी पंखुरियों की खोल चेतना
सौरभ से मह-मह महकती है दिगंत को
मानव मन को भर देती है दिव्य दीप्ति से
शिव के नंदी-सा नदिया में पानी पीता
निर्मल नभ अवनी के ऊपर विसुध खड़ा है
काल काग की तरह दूँट पर गुमसुम बैठा
खोई आँखों देख रहा है दिवास्वप्न को
(i) धूप किस प्रकार की लग रही है ?
(क) चाँदी की साड़ी पहने जैसे कोई बेटी मायके आई हो।
(ख) धरती के कोने-कोने में फैल गई सुंदरी की तरह।
(ग) मनमौजी लड़की की तरह।
(घ) ससुराल में आई बेटी की तरह।
(ii) सरसों के संदर्भ में धूप कैसी लग रही है ?
(क) जैसे दो भाई गले मिल रहे हों।
(ग) दो सखियाँ गले मिल रही हो।
(ख) भौजाई से गले मिल रही हों।
(घ) दो दुश्मन गले मिल रहे हों।
(iii) शिव के नंदी-सा पानी पीता। इस पंक्ति में नंदी-सा किसे कहा गया है ?
(क) नभ को
(ख) मानव को
(ग) धरती को
(घ) काल को
(iv) काल दूँठ पर किसकी तरह बैठा है ?
(क) भँवरे की तरह
(ख) चिड़िया की तरह
(ग) साँप की तरह
(घ) कौए की तरह
(v) उपर्युक्त काव्यांश में किसका चित्रण है ?
(क) प्रकृति के सौन्दर्य का।
(ख) धूप के सौन्दर्य का।
(ग) पक्षियों के सौन्दर्य का।
(घ) मानव के सौन्दर्य का।
मनुष्य अपने नैतिक गुणों से ही जीवधारियों में श्रेष्ठतम माना जाता है। हर व्यक्ति जीवन पर्यन्त सुख की खोज में रहता है। तन के सुख मनुष्य और पशु को समान रूप से चाहिए किन्तु मन और आत्मा के सुख केवल मनुष्यों के लिए हैं। मन के जितने भी सुख हैं, उनमें सबसे बड़ा है परोपकार का सुख। किसी अंधे को सड़क पार कराने, किसी भूखे को रोटी खिलाने, किसी प्यासे की प्यास बुझाने, किसी निराश हताश को आशान्वित करने अथवा किसी लाचार, गरीब और जरूरतमंद के काम आने में जो सुख मिलता है, उसकी किसी भी सुख या आनंद से तुलना नहीं की जा सकती। अपने लिए तो दुनिया में सभी प्राणी जीते हैं पर जब हम अपने जीवन को दूसरों के लिए अर्पित कर देते हैं तो हमारा जीवन धन्य हो जाता है।
(क) अपनी किन विशेषताओं के कारण मनुष्य सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है ?
(ख) मनुष्य और पशु के सुखों में क्या भिन्नता है ?
(ग) परोपकार के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
(घ) उपर्युक्त गद्यांश का एक उचित शीर्षक दीजिए।
प्राकृतिक विज्ञान की सर्वोच्च रचना का नाम मानवीय अन्तःकरण है। मनुष्य के मस्तिष्क में अन्तर्वाहनियों का ऐसा अनुशासित ज है, जिसके संतुलन को साधते – साधते भी जाल प्रायः जंजाल बन जाता है। कार्य-वर्ग ज्यों-ज्यों बढ़ता गया, जीवन त्यों-त्यों जटिल बनता गया। मानव शारीरिक अवयवों से परे मन, बुद्धि और चित्त को अनुभूत करता हुआ भी उनकी आनन्दमयी चेतना से दूर हटता चला गया। इस प्रकार सुखों का घर दुखों का घर बन गया। मूल समस्या के समाधान हेतु मानव जितने उपाय निकालता गया उतना ही निरुपाय बनता गया।
(क) जीवन की जटिलता का क्या कारण है ?
(ख) मस्तिष्क में किसकी प्रधानता है ?
(ग) सुख का घर दुख का घर क्यों बन जाता है ?
(घ) प्रकृति की सबसे अच्छी रचना क्या है ?
संसार के सभी देश आतंकवाद के चंगुल में हैं। अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस जैसे शक्तिशाली देश भी आतंकवाद की जड़ों का उन्मूलन नहीं कर पाए हैं। इराक, सीरिया और अफगानिस्तान हर समय आतंक का निशाना बनते हैं। जन-हानि, विकास-प्रवाह में बाधा, कानूनी स्थिति का ध्वंस, पर्यावरण प्रदूषण जैसी हानि पहुँचाने वाले वैयक्तिक एवं सामूहिक तंत्र का नाम ही आतंक की असली तस्वीर है। आतंक -मुक्त विश्व की कल्पना बड़ी सुखद है।
(i) प्रस्तुत गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
(ii) सुख देने वाला तत्त्व क्या है ?
(iii) आतंकवाद हानिकारक क्यों है ?
(iv) आतंक से प्रभावित शक्तिशाली देशों के नाम लिखिए।
भारतीय किसान सीधा-सादा जीवन-यापन करता है। फैशन, चकाचौंध, चमक-दमक, बनावटीपन से कोसों दूर रहता है। उसका भीतर-बाहर एक होता है। उसका चरित्र दोहरा नहीं होता। वह धरती की छाती को अपने परिश्रम के जल से सींचता है, उसमें उत्पन्न फल-फूल, फसलें दूसरों में बाँट देता है। लू, सर्दी, वर्षा की परवाह किए बिना कार्य करता है। इस सबके बावजूद वह गरीबी में जीने के लिए विवश है। पूरी मेहनत के बाद भी भरपेट भोजन नहीं कर पाता तथा उसके पास साधनों का अभाव रहता है।
(i) प्रस्तुत गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
(ii) भारतीय किसान की विशेषता क्या है ?
(iii) किसान का जीवन कष्टसाध्य क्यों है ?
(iv) किसान की आर्थिक स्थिति कैसी होती है ?
मैंने देखा कि बेडौल अक्षर अधूरी शिक्षा की निशानी है। अतः मैंने पीछे से अपना खत सुधारने की कोशिश भी की परन्तु पक्के घड़े पर ही मिट्टी चढ़ सकती है। जवानी में जिस बात की अवहेलना मैंने की, उसे मैं फिर आज तक नहीं सुधार सका। अतः हरेक नवयुवक मेरे इस उदाहरण को देखकर चेते और समझे कि सुलेख शिक्षा का एक आवश्यक अंग है। सुलेख के लिए चित्रकला आवश्यक है।
(i) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
(ii) नवयुवकों को क्या चेतावनी दी है ?
(iii) अधूरी शिक्षा की निशानी किसे माना है ?
(iv) सुलेख के लिए क्या आवश्यक है ?