HBSE Class 12 नैतिक शिक्षा Chapter 3 सूक्ति सौरभ Important Question Answer Solution

Class 12 Hindi Naitik Siksha BSEH Solution for Chapter 3 सूक्ति सौरभ Important Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 12 Hindi mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer, Word meaning, Vyakhya are available of नैतिक शिक्षा Book for HBSE.

Also Read – HBSE Class 12 नैतिक शिक्षा Solution

Also Read – HBSE Class 12 नैतिक शिक्षा Solution in Videos

HBSE Class 12 Naitik Siksha Chapter 3 सूक्ति सौरभ / Sukti saurabh Important Question Answer for Haryana Board of नैतिक शिक्षा Class 12th Book Solution.

सूक्ति सौरभ Class 12 Naitik Siksha Chapter 3 Important Question Answer


प्रश्न 1. मानव शरीर में ऋषियों की कल्पना किस रूप में की गई है ?

उत्तर – मानव शरीर में सात ऋषि विद्यमान हैं अर्थात् हमारा शरीर एक यज्ञशाला है। यह ऋषियों का आश्रम है। हम अपनी आँखों से अच्छा देखें, कानों से अच्छा सुनें, नासिका से ओ३म् का जप करें, मुख से अभद्र वचन न बोलें। मन से शिवसंकल्प करें, बुद्धि से दृढनिश्चय करें। इस प्रकार हम इसे ऋषियों का आश्रम बनाएँ ।


प्रश्न 2. जननी व जन्मभूमि को स्वर्ग से बढ़कर क्यों माना गया है ? Most Important

उत्तर –  माता और जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं अर्थात् माता असह्य कष्टों को सहन कर मानव जीवन का सृजन करती है। उसी तरह मातृभूमि तरह-तरह के श्रेष्ठ भोग्य पदार्थ देकर मानव जीवन को सार्थकता प्रदान करती है। इसलिए श्री रामचन्द्र जी रामायण में माता और मातृभूमि को स्वर्ग से भी महान् बताते हैं।


प्रश्न 3. विवेक से हीन व्यक्ति का पतन किस प्रकार से होता हैं ?

उत्तर – विवेक से रहित मनुष्यों का सैकड़ों प्रकार से पतन होता है अर्थात् मनुष्य को जीवन पथ में सहसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए। उसे सभी कार्य विवेक से करने चाहिए क्योंकि विवेक रहित मनुष्य विपत्तियों में पड़कर जीवन को नष्ट कर लेता हैं।


प्रश्न 4. सनातन धर्म से क्या अभिप्राय है ? Most Important

उत्तर – जो उपकार करे उसका प्रत्युपकार अवश्य करना चाहिए, यही सनातन धर्म है अर्थात् उपकार मानव जीवन में श्रेष्ठ कर्म है।


प्रश्न 5. अत्यधिक लोभ के क्या दुष्परिणाम होते हैं ?

उत्तर – लोभ सभी प्रकार की विपत्तियों का कारण है अर्थात् लोभ से मानव नीच कर्म में प्रवृत्त हो जाता है। लोभ सभी पाप कर्मों की जड़ है। लोभ के कारण मानव तरह-तरह के अनर्थ कर लेता है। अतः बुद्धिमान् व्यक्ति को लोभ त्याग देना चाहिए ।


 

 

Leave a Comment

error: