HBSE Class 8 नैतिक शिक्षा Chapter 16 – जन-जन को यही सन्देश, नशा मुक्त हो अपना देश Explanation Solution

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जन-जन को यही सन्देश, नशा मुक्त हो अपना देश Class 8 नैतिक शिक्षा Chapter 16 Explanation


कक्षा 6 व 7 में आपने धूम्रपान व शराब के नशे से होने वाले दुष्प्रभावों के विषय में जाना व इसकी रोकथाम व बचाव के प्रति सजग हुए। इस अध्याय में कुछ अन्य मादक पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों व इनकी रोकथाम को जानेंगे। आज हमारा समाज भयानक मादक द्रव्यों के व्यापक दुरुपयोग के दौर से गुजर रहा है। इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि इनकी पूर्ण जानकारी के अभाव में हमारा विशाल युवावर्ग मादक द्रव्यों के मकड़जाल में फंसकर अपना और अपने देश का भविष्य नष्ट कर रहा है। हमारी युवा पीढ़ी मानसिक तनाव एवं सही मार्गदर्शन के अभाव में अपने मुख्य लक्ष्य से भटक रही है।

मादक पदार्थों के प्रकार – जिन मादक पदार्थों का दुरुपयोग होता है उन्हें उनके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर पड़ने वाले प्रभावों के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है। नीचे कुछ समूह दिए गए हैं-

समूह मादक पदार्थ प्रभाव जो उपयोगकर्ता अनुभव करता है
उत्तेजक तंबाकू, कोकीन, गुटका अधिक मात्रा में लेने से चिंता या भय व्याप्त हो सकता है।
शमक शराब, बार्बिटयूरेट, नींद की गोलियाँ, श्वास द्वारा लिए जाने वाले पदार्थ जैसे- पेट्रोल, सुधारक स्याही। मस्तिष्क की क्रियाशीलता को धीमी कर देते हैं।
उपशामक निद्राजनक जैसे मैनट्रेक्स, डॉरिडेन शरीर में कमजोरी, उलटी, पसीना आ सकता है। अधिक मात्रा में लेने से मृत्यु तक हो सकती है।
पीड़ानाशक अफीम, मॉर्फीन, हेरोइन, ब्राउन शुगर। अधिक सेवन बेहोशी, उलटी, बेचैनी उत्पन्न करता है।
भांग भांग, गाँजा, चरस व्यक्ति भ्रमित बेचैन, उत्तेजित हो जाता है, याददाश्त कमजोर हो जाती है।
भ्रांतिकर एल.एस.डी. अधिक पसीना आना, उच्च रक्तचाप, धुंधलापन, ऐंठन का अनुभव कर सकते हैं।

मादक पदार्थों के दुरुपयोग के परिणाम –

मादक पदार्थों के दुरुपयोग के बहुत से अल्पकालीन व दीर्घकालीन प्रभाव पड़ते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।

  • मादक पदार्थों के दुरुपयोग से व्यक्ति शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से दूसरों पर निर्भर हो जाता है।
  • लम्बे समय तक मादक पदार्थों का उपभोग करने पर व्यक्ति अपनी भावनाओं पर नियंत्रण खो बैठता है, अर्थात् उपभोगकर्ता क्रोधित, हिंसक, निराश या चिंतित हो सकता है।
  • मादक पदार्थों का दुरुपयोग परिवार में समस्याएँ उत्पन्न करता है, इसमें केवल विश्वास ही नहीं चला जाता बल्कि संबंधों में भी दरारें उत्पन्न हो जाती हैं।
  • मादक पदार्थों के दुरुपयोग के परिणामस्वरूप व्यक्ति, मित्रों और परिवार को खो बैठता है जिससे वह अलग-थलग और अकेला पड़ जाता है।
  • उपभोगकर्ता स्कूल / कॉलेज / कार्यस्थल पर अच्छा काम करने के लिए कम प्रेरित होता है साथ ही उसकी स्मृति और स्पष्ट रूप से सोचने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
  • एक प्रमुख प्रभाव आर्थिक होता है। मादक पदार्थों के लिए उपयोगकर्ता अपनी दवाओं की पूर्ति के लिए पैसा इत्यादि चुराना शुरु कर देता है।
  • मादक पदार्थों का उपयोगकर्ता स्वास्थ्य के गंभीर परिणामों से भी पीडित हो सकता है। उदाहरण के लिए उनकी अनियमित आहार व अस्वच्छता की आदतें होती हैं जिससे वे बीमार पड़ते हैं इससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है। जिससे उनमें बीमारियों और संक्रमण की संभावनाएँ बढ़ जाती है।

मादक पदार्थों के सेवन से बचने के उपाय –

आज आवश्यकता इस बात की है कि हम सब स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर स्वयं के विकास के साथ-साथ समाज और राष्ट्र की उन्नति में सहयोगी बनें। स्वस्थ जीवन शैली का अर्थ है-ऐसी जीवनचर्या जिसमें भ्रमण, योग, व्यायाम, अच्छा व सादा खान-पान, फलों, सब्जियों का सेवन तथा व्यवहार में संयम व शिष्टता को स्थान दिया जाए। विद्यार्थियों को भी आरम्भ से ही इसी प्रकार की जीवन शैली अपनानी चाहिए ताकि वे एकाग्रचित होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ सकें और नशे जैसी बुराइयों के शिकंजे से दूर रह सकें। बालकों को नशे की कुप्रवृत्ति से दूर रखने के लिए तथा स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिएँ-

  1. जागरूकता – नुक्कड़ नाटक, पोस्टर व स्लोगन प्रतियोगिताओं, प्रश्नपेटी जैसे विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके, प्रेरणादायक कहानियों व फिल्मों द्वारा नशे के दुष्परिणामों के प्रति बच्चों को सजग व सचेत किया जा सकता है।

2. नैतिक मूल्यों का विकास – परिवार में माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्य व विद्यालय में अध्यापक प्रारम्भ से ही बालकों में ऐसे नैतिक व चारित्रिक गुणों का विकास करें कि बालक आन्तरिक रूप से इतना सबल बने कि वह नशे जैसी बुरी लत को ‘ना’ कह सके।

  1. सकारात्मक सोच का विकास – धार्मिक पक्ष व्यक्ति के जीवन को मानसिक सन्तुलन तथा आत्मिक शान्ति प्रदान करता है तथा वह धार्मिक सुविचारों से अपने जीवन की सोच को सकारात्मक बना सकता है।

4. खेल-कूद – खेलकूद द्वारा एक ओर जहाँ विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन पैदा होता है, दूसरी ओर वह अपनी ऊर्जा को सही दिशा में प्रवाहित करता है अतः घर व स्कूल में बच्चों को किसी न किसी रूप में खेलकूद में प्रतिभागिता करनी चाहिए।

5. परिवार की भूमिका – परिवार के सभी सदस्यों का आपसी सहयोग व संवाद अत्यन्त आवश्यक है ताकि बच्चे अपनी रुचियों-अरुचियों तथा अन्य भावनाओं को स्वतन्त्र रूप से व्यक्त कर सकें।

6. योग व प्राणायाम – योग मानसिक व शारीरिक तनाव को दूर करने में काफी लाभदायक है। यह व्यक्ति को तन्दरुस्त बनाता है। अतः योग को स्कूलों में एक अनिवार्य गतिविधि के रूप में लागू किया जाना चाहिए ताकि बच्चे शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहें।

केस अध्ययन

15 वर्षीय संदीप को स्मैक के नशे की आदत पड़ गई थी। उसे अपनी नशे की खुराक रोज़ लेनी पड़ती थी। जब स्मैक खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं होते थे तो वह अपने माता-पिता को धमकी देता कि यदि उन्होंने पैसे नहीं दिए तो वह आत्महत्या कर लेगा या घर को जलाकर खाक कर देगा। इस घोर निराशा की अवस्था में उसने घर की चीजें बेचना शुरु कर दिया। मन ही मन उसे बुरा भी लगता था और यह महसूस होता था कि उसका परिवार उजड़ रहा है परंतु वह मजबूर था।


 

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