HBSE Class 9 Hindi Important लेखक जीवन परिचय – क्षितिज भाग 1 Solution PDF

NCERT Solution of Class 9 Hindi क्षितिज भाग 1 Important जीवन परिचय Question Answer solution with pdf. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, CBSE and HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.

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HBSE ( Haryana Board ) Solution of Class 9th Hindi Kshitij bhag 1/ क्षितिज भाग 1 important लेखक जीवन परिचय / Jivan Parichay Solution.

HBSE Class 9 Hindi क्षितिज भाग 1 Important जीवन परिचय for 2023-24


निम्नलिखित के जीवन और साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए – 5 Marks


हरिशंकर परसाई Most Important


जीवन परिचय – हरिशंकर परसाई का जन्म सन् 1922 में मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के जमानी गाँव में हुआ। नागपुर विश्वविद्यालय से एम०ए० करने के बाद कुछ दिनों तक अध्यापन किया। सन् 1947 से स्वतंत्र लेखन करने लगे। जबलपुर से वसुधा नामक पत्रिका निकाली, जिसकी हिंदी संसार में काफ़ी सराहना हुई। सन् 1995 में उनका निधन हो गया।

साहित्यिक रचनाएं – हिंदी के व्यंग्य लेखकों में उनका नाम अग्रणी है। परसाई जी की कृतियों में हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे (कहानी संग्रह), रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज (उपन्यास), तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत, पगडंडियों का ज़माना, सदाचार का तावीज़, शिकायत मुझे भी है, और अंत में, (निबंध संग्रह), वैष्णव की फिसलन, तिरछी रेखाएँ, ठिठुरता हुआ गणतंत्र, विकलांग श्रद्धा का दौर ( व्यंग्य संग्रह) उल्लेखनीय हैं।

साहित्यिक विशेषताएं भारतीय जीवन के पाखंड, भ्रष्टाचार, अंतर्विरोध, बेईमानी आदि पर लिखे उनके व्यंग्य लेखों ने शोषण के विरुद्ध साहित्य की भूमिका का निर्वाह किया। उनका व्यंग्य लेखन परिवर्तन की चेतना पैदा करता है। कोरे हास्य से अलग यह व्यंग्य आदर्श के पक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक पाखंड पर लिखे उनके व्यंग्यों ने व्यंग्य – साहित्य के मानकों का निर्माण किया।

भाषा शैली परसाई जी बोलचाल की सामान्य भाषा का प्रयोग करते हैं किंतु संरचना के अनूठेपन के कारण उनकी भाषा की मारक क्षमता बहुत बढ़ जाती है। लेखक ने व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग किया है।


प्रेमचंद Most Important


सामान्य जीवन परिचय :-

  • जन्म – 1880 ई० में।
  • स्थान – बनारस के लमही गांव में
  • मूल नाम – धनपत राय
  • माता – आनंदी देवी
  • पिता – मुंशी अजायब राव
  • आरंभिक शिक्षा – फारसी भाषा में।
  • महत्वपूर्ण योगदान – भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुंशी प्रेमचंद ने असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए अपने स्कूल इंस्पेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया था।
  • मृत्यु :- 1936 ई० में।

साहित्यिक रचनाएं :- प्रेमचंद की कहानियां आठ भागों में संकलित हैं ।
प्रमुख कहानी :- नमक का दरोगा, बडे घर की बेटी।
प्रमुख उपन्यास – सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कायाकल्प निर्मला, गबन, कर्मभूमि और गोदान ।
पत्रिका संपादन- हंस, जागरण, माधुरी।

साहित्यिक विशेषताएं :- प्रेमचंद साहित्य को सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम मांनते थे। उन्होंने जिस गांव या शहर के परिवेश को देखा और जिया उसकी अभिव्यक्ति उनके कथा साहित्य में मिलती है। किसानों और मजदूरों की दयनीय स्थिति, दलितों का शोषण, समाज मे स्त्री की दुर्दशा और स्वाधीनता आंदोलन आदि उनकी रचनाओं के मूल विषय है। प्रेमचंद की भाषा सहज, सरल, सजीव एवं मुहावरे दार है तथा उन्होंने अरबी, फारसी और अंग्रेजी के प्रचलित शब्दों का भी प्रयोग कुशलतापूर्वक किया है। प्रेमचंद जी पहले उर्दू भाषा में लिखा करते थे और फिर बाद में हिंदी साहित्य में आए।


राहुल सांकृत्यायन Most Important


सामान्य जीवन परिचय :-

  • जन्म – सन् 1893 में
  • स्थान – ननिहाल गाँव पंदहा, जिला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में
  • पैतृक गाँव – कनैला
  • मूल नाम – केदार पांडेय था।
  • शिक्षा – काशी, आगरा और लाहौर में हुई।
  • धर्म – सन् 1930 में उन्होंने श्रीलंका जाकर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। तबसे उनका नाम राहुल सांकृत्यायन हो गया।
  • भाषाएं – राहुल जी पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, रूसी सहित अनेक भाषाओं के जानकार थे। उन्हें महापंडित कहा जाता था।
  • मृत्यु – सन् 1963 में।

साहित्यिक रचनाएं :-
राहुल सांकृत्यायन ने उपन्यास, कहानी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, जीवनी, आलोचना, शोध आदि अनेक विधाओं में साहित्य-सृजन किया। इतना ही नहीं उन्होंने अनेक ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद भी किया। मेरी जीवन यात्रा (छह भाग), दर्शन-दिग्दर्शन, बाइसवीं सदी, वोल्गा से गंगा, भागो नहीं दुनिया को बदलो, दिमागी गुलामी, घुमक्कड़ शास्त्र उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।

साहित्यिक विशेषताएं :-
यात्रावृत्त लेखन में राहुल जी का स्थान अन्यतम है। उन्होंने घुमक्कड़ी का शास्त्र रचा और उससे होने वाले लाभों का विस्तार से वर्णन करते हुए मंजिल के स्थान पर यात्रा को ही घुमक्कड़ का उद्देश्य बताया। घुमक्कड़ी से मनोरंजन, ज्ञानवर्धन एवं अज्ञात स्थलों की जानकारी के साथ-साथ भाषा एवं संस्कृति का भी आदान-प्रदान होता है। राहुल जी ने विभिन्न स्थानों के भौगोलिक वर्णन के अतिरिक्त वहाँ के जन-जीवन की सुंदर झाँकी प्रस्तुत की है। राहुल सांकृत्यायन जी संस्कृत निष्ठ हिंदी भाषा के समर्थक थे भाषा के संबंध में वे हमेशा राष्ट्रीय रहे है। उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वाराअनेक प्राचीन शब्दों का उद्धार किया है। उनकी रचनाओं में मुख्यत: वर्णनात्मक, विवेचनात्मक और व्यंग्यात्मक शैली का मिश्रण मिलता है।


 

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