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HBSE Class 9 Hindi नैतिक शिक्षा Important Question Answer of all chapters for Haryana Board of Naitik siksha Class 9th Book Solution.
HBSE Class 9 Hindi Naitik Siksha Important Question Answer 2024-2025
HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 1 – पुरुषार्थ को परमात्मा का स्वरूप Important Question Answer 2025
प्रश्न 1. अपने भीतर की विलक्षण विचार शक्ति को जगाकर हम किस प्रकार लाभान्वित हो सकते हैं?
उत्तर – अपने भीतर की विलक्षण विचार शक्ति को जगाकर हम अपने जीवन में साहस, उत्साह और दृढ़ निश्चय की भावना के साथ जीवन को जीने का संकल्प कर सकते हैं। विचार शक्ति के जागृत होने पर हम जीवन में कभी भी अधर्म के साथ नहीं होंगे। हम हमेशा धर्म और सच्चाई के मार्ग पर ही चलेंगे।
प्रश्न 2. अर्जुन को ही श्रीकृष्ण का आश्रय क्यों मिला?
उत्तर- अर्जुन को ही श्रीकृष्ण का आश्रय इसलिए मिला, क्योंकि अर्जुन सत्य के मार्ग पर चलने वाले थे। उन्होंने कभी भी अधर्म का साथ नहीं दिया, आजीवन धर्म के साथ रहे। वे अपने आराध्य भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति अटूट श्रद्धा, पूरी निष्ठा, समर्पण और विश्वास के कर्म करते रहे। उनमें अहंकार नहीं था।
प्रश्न 4. जीवन में सुख और ऐश्वर्य होने के बावजूद भी पतन की संभावनाएँ क्यों बनी रहती हैं?
उत्तर- जीवन में सुख और ऐश्वर्य होने के बावजूद भी पतन की संभावनाएँ बनी रहती हैं क्योंकि हम इनके साथ नीति को नहीं अपनाते। क्योंकि यदि विजय के साथ विभूति नहीं और सुख के साथ सन्मति नहीं तो यह सब मिलने पर भी कहीं-न-कहीं पतन की संभावनाएँ बनी रहती हैं। हमें पतन से सावधान रहना चाहिए। हमें जीवन में सत्य, धर्म और नीति का ही सहारा लेना चाहिए। सुख एवं ऐश्वर्य के साथ सन्मति का होना जरूरी है।
प्रश्न 5. गीता हमें प्यारी क्यों है?
उत्तर – जिस प्रकार माँ चाहती है कि मेरा बच्चा किसी भी कार्यक्षेत्र में असफल न हो और वह हर क्षेत्र में ऊँचाइयों की ओर अग्रसर होता रहे। उसी प्रकार गीता चाहती है कि मेरे उपदेशों का अनुसरण करने वाला मेरा बच्चा जीवन में कामयाब हो। जीवन में कभी भी उसका पतन न हो। इसलिए गीता हमें प्यारी है।
HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 2 – आर्जवम Important Question Answer 2025
प्रश्न 1. जीवन में दिव्य लक्षणों का क्या महत्त्व है? Most Important
उत्तर – जीवन में दिव्य लक्षणों का अत्यधिक महत्त्व है। ये लक्षण जहाँ हमारी अच्छी पढ़ाई में सहायक होंगे वहीं भविष्य में जीवन को एक उचित आधार देकर आपके जीवन में छुपी हुई महानता को भी उजागर करेंगे। जिस प्रकार अच्छी पढ़ाई केवल वर्तमान समय के लिए ही नहीं हैं अपितु अच्छे कैरियर एवं नीतिपूर्ण धनोपार्जन के द्वारा समग्र जीवन का अच्छा आधार भी है, उसी प्रकार उपरोक्त गुण वर्तमान समय के लिए ही नहीं, बल्कि आपके संपूर्ण जीवन की अक्षय निधि भी हैं।
प्रश्न 2. आर्जवम् के रूप में गीता के कृष्ण वास्तव में क्या कहना चाहते है ?
उत्तर- आर्जवम् शब्द का अर्थ है- स्वभाव की सरलता, सहजता और सीधापन अर्थात् किसी प्रकार की अकड़-अभिमान व छल-कपट का सर्वथा अभाव। आर्जवम् के रूप में गीता के श्रीकृष्ण कहना चाहते हैं कि जो हम नहीं हैं, वह दिखाना, उसे अहम् पूर्वक प्रकट करना- ऐसा खोटा सिक्का अधिक समय तक नहीं चलता। इस प्रकार के व्यवहार से न तो हमें कहीं उचित सम्मान मिलता है और न ही हम किसी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न 3. दुर्योधन अपने गुरु और बड़ों का आशीर्वाद क्यों नहीं ले पाया?
उत्तर – दुर्योधन के जीवन में विनम्रता, सरलता एवं सीधेपन का अभाव है। वह हमेशा राजपुत्र होने की अकड़ में रहता है। उसके मन में हर समय अपने से बड़ों के प्रति छल-कपट और अहंकार भरा हुआ है। इसी कारण वह जीवन में कभी भी अपने गुरु एवं बड़ों का आशीर्वाद नहीं ले पाया।
प्रश्न 4. आज भी विदुर-विदुरानी का आदर-सम्मान क्यों सुरक्षित है?
उत्तर – विदुर-विदुरानी के स्वभाव में सरलता एवं सहजता है। वे दिखावे से बिल्कुल दूर हैं। उनके जीवन में छल-कपट, अहं आदि दुर्गुणों का सर्वथा अभाव है। उनके निश्छल प्रेम भावे को देखकर ही भगवान श्रीकृष्ण उनकी साधारण-सी कुटिया में पहुँचते हैं और उनसे फल-शाक माँगकर खाते हैं। इन्हीं गुणों के कारण आज भी विदुर-विदुरानी का सम्मान सुरक्षित है।
HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 3 – बुद्धि अच्छी रहे Important Question Answer 2025
प्रश्न 1. भगवद्गीता में अत्यधिक महत्त्व किसे दिया गया है और क्यों?
उत्तर- भगवद्गीता में सबसे अधिक महत्त्व बुद्धि को दिया गया है, क्योंकि बुद्धि के आश्रय से ही हमारी जीवन यात्रा आगे बढ़ती है। गीता में स्पष्ट संकेत किया गया है कि बुद्धि का उचित उपयोग करो।
प्रश्न 2. बुद्धि पर संगति का क्या प्रभाव पड़ता है? Most Important
उत्तर – बुद्धि संगति के प्रभाव से ही बनती या बिगड़ती है। संगति अच्छी होगी तो बिगड़ी हुई बुद्धि भी सँवर जाएगी और सही निर्णय करने लगेगी। लेकिन यदि संगति ही बिगड़ी हुई होगी तो अच्छी-भली बुद्धि को भी बिगाड़ देगी।
प्रश्न 3. किसके प्रभाव में आकर कैकेयी ने राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा था?
उत्तर- कुसंगति के प्रभाव में आकर कैकेयी ने राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा था। कैकेयी प्रभु श्रीराम से बहुत अधिक प्रेम करती थी। परंतु मंथरा की कुसंगति ने कैकेयी की बुद्धि पर अपना प्रभाव जमा लिया जिसके परिणामस्वरूप उसने महाराज दशरथ से राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा ।
HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 4 – अच्छाई पर दृढ़ रहो Important Question Answer 2025
प्रश्न 1. भगवद्गीता की महत्त्वपूर्ण विशेषता क्या है?
उत्तर – भगवद्गीता की मुख्य विशेषता दृष्टांत के द्वारा सिद्धांत को स्पष्ट करना है। गीता में ऐसे अनेक भाव हैं, जिन्हें समझने में कुछ कठिनाई महसूस हुई या गीता उपदेष्टा भगवान् श्रीकृष्ण को ऐसा लगा कि इस विषय को सहजता व सरलता से अच्छी और व्यापक प्रेरणा बनाए जाने की आवश्यकता है, वहाँ कोई सरल व्यावहारिक दृष्टांत साथ जोड़ दिया। यहाँ इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए कमल के पत्ते का उदाहरण दिया गया है।
प्रश्न 2. कमल के पत्ते से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर – कमल के पत्ते से हमें प्रेरणा मिलती है कि जिस प्रकार वह जल से उत्पन्न होकर और जल में रहकर भी जल से निर्लिप्त रहता है, उसी प्रकार हमें भी अपने कर्म करते रहना चाहिए। कहने का भाव है कि जिस प्रकार कमल का पत्ता अपने आसपास निहित जल से अस्पृश्य रहता है, उसी प्रकार व्यक्ति को बिना किसी आसक्ति या मोह से रहित होकर कर्म करते रहना चाहिए।
प्रश्न 3. सज्जन पुरुषों व साँप के मुख में पड़ी मणि में क्या समानता है?
उत्तर- सज्जन पुरुषों व साँप के मुख में पड़ी मणि में यह समानता है कि ये दोनों अनुकूल या प्रतिकूल हर परिस्थिति में एक-समान रहते हैं। ये कभी भी अपने स्वभाव को नहीं छोड़ते। उदाहरण के लिए, सज्जन का काम है- अपनी सज्जनता व सद्व्यवहार की छाप छोड़ना। वह चाहे सज्जनों के बीच में रहे, चाहे दुर्जनों के बीच में। वह हमेशा सद्व्यवहार की ही छाप छोड़ेगा। इसी प्रकार मणि का काम है अपनी चमक एवं प्रकाश को बिखेरना। वह साँप के मुख में रहती है जहाँ हमेशा विंष ही रहता है। परंतु मणि पर विष का प्रभाव नहीं पड़ता। वह हमेशा अपने प्रकाश को बिखेरती रहती है।
प्रश्न 4. विभीषण और विदुर दूषित वातावरण के प्रभाव से कैसे बच निकले ?
उत्तर- विभीषण लंका में रहकर अपनी अच्छाई और सच्चाई से विचलित नहीं हुए जिससे वे लंका के दूषित वातावरण के प्रभाव से बच निकले। इसी प्रकार विदुर अपनी सत्य-निष्ठा पर अडिग रहे। उन्होंने हस्तिनापुर के दूषित वातावरण में भी कौरवों के दुष्प्रभाव से अपने को मुक्त रखा जिस कारण आज भी उनका सम्मान सुरक्षित है।
HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 5 – विनम्रता Important Question Answer 2025
प्रश्न 1. सज्जन लोग अपने गुरुजनों और श्रेष्ठजनों के पास क्यों जाते हैं ? Most Important
उत्तर – सज्जन लोग अपने गुरुजनों और श्रेष्ठजनों के पास तब जाते हैं जब वे किसी भी संघर्ष या प्रतिकूलता की स्थिति में हों अथवा जब उनका मन अत्यंत दुविधा की उधेड़बुन की स्थिति में उलझा हो।
प्रश्न 2. युधिष्ठिर युद्ध प्रारम्भ होने से पहले किस-किस के पास गए और उनसे क्या माँगा?
उत्तर – युधिष्ठिर युद्ध प्रारम्भ होने से ठीक पहले आचार्य द्रोण और भीष्म पितामह के पास उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गए। उनके पास जाकर उन्होंने विनम्रता से गुरुजनों को प्रणाम किया और उनसे युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद माँगा। भीष्म पितामह तथा द्रोणाचार्य ने तत्काल उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद प्रदान किया।
HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 6 – कचरा से कंचन Important Question Answer 2025
प्रश्न 1. ई-कचरे से कितने प्रतिशत तक धातु निकल सकती है?
उत्तर- ई-कचरे से 98 प्रतिशत तक धातु निकल सकती है, क्योंकि कचरे से धातु निकालने की यह तकनीक मकैनिकल और हाइड्रो मेट्रोलॉजिकल तकनीक का मिश्रण है जो बेहद कम कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती है।
प्रश्न 2. पर्यावरण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी किस प्रकार है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- पर्यावरण का प्रभाव समाज के सभी प्राणियों पर पड़ता है। इसलिए पर्यावरण के संरक्षण, संवर्धन तथा शुद्धता की जिम्मेदारी हम सबकी है। हम सबको चाहिए कि हम कोई भी ऐसा कार्य न करें जिससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो।
HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 7 – छत्रपति शिवाजी महाराज Important Question Answer 2025
प्रश्न 1. शिवाजी के व्यक्तित्व-निर्माण में उनकी माँ की क्या भूमिका थी?
उत्तर – शिवाजी की माता जीजाबाई अपने पुत्र शिवाजी को रामायण और महाभारत की अनेक कथाएँ सुनाया करती थी। उनकी मां ने उन्हें सभी धर्मों का आदर करना सिखाया। इसीलिए शिवाजी भी माता और भवानी माँ को छोड़कर किसी के सामने अपना मस्तक नहीं झुकाता था।
प्रश्न 2. पाठ के किस प्रसंग से पता चलता है कि शिवाजी बचपन से ही निर्भीक और साहसी थे? Most Important
उत्तर – एक बार शाहजी बालक शिवाजी को बीजापुर के बादशाह के दरबार में ले गए। शाहजी ने बालक शिवाजी से कहा, “तुम बादशाह को झुककर सलाम करो।” पर शिवाजी ने न तो सलाम किया, न झुककर नम्रता प्रकट की। शाहजी ने जब डॉंट-फटकार की, तो शिवाजी ने उत्तर दिया, “आपको तो मालूम है कि मैं अपनी माता और भवानी माँ को छोड़कर किसी के सामने अपना मस्तक नहीं झुकाता।” इस प्रसंग से हमें पता चलता है कि शिवाजी बाल्यावस्था से ही बड़े साहसी और निर्भीक थे।
प्रश्न 3. ‘गढ़ तो आया, पर सिंह चला गया’ शिवाजी का यह कथन किस घटना की ओर संकेत करता है?
उत्तर – कोण्ढाना के दुर्ग को जीतना बड़ा कठिन था, पर माँ की इच्छा थी। शिवाजी ने शीघ्र ही ताना जी को कोण्ढाना के दुर्ग पर आक्रमण करने का आदेश दिया। ताना जी ने दुर्ग पर अधिकार तो कर लिया, पर उन्हें अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी। इस पर शिवाजी ने बड़े ही दुःख के साथ कहा, “गढ़ तो आया, पर सिंह चला गया।”
प्रश्न 4. शिवाजी का राज्याभिषेक कब व किस प्रकार हुआ ?
उत्तर – शिवाजी का राज्याभिषेक 6 जून, 1674 को हिन्दू रीति के अनुसार हुआ। उन्होंने छत्र धारण किया और हाथी पर सवार होकर अपने दल-बल के साथ रायगढ़ के रास्ते से जुलूस निकाला। आगे दो हाथियों के ऊपर दो झण्डे थे, जिनमें एक भगवा झण्डा था, जो श्री गुरु रामदास के गेरुए वस्त्र का टुकड़ा था।
प्रश्न 5. शिवाजी के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर – शिवाजी के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें सभी धर्मों का समान रूप से आदर करना चाहिए और कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। हमेशा अपने लोगों का साथ देना चाहिए।
HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 8 – बोध कथाएं Important Question Answer 2025
प्रश्न 1. महात्मा बुद्ध की शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक कैसे हैं? Most Important
उत्तर – हम चाहे जो भी हों अथवा जहाँ भी रहें, हम सभी सुख चाहते हैं, दुःख नहीं। महात्मा बुद्ध ने सुझाया कि दुःख को दूर करने के लिए हमें यथासम्भव दूसरों की सहायता करनी चाहिए और यदि हम सहायता नहीं कर सकते तो कम से कम किसी को हानि भी न पहुँचाएँ। उनके द्वारा बताया गया यह ज्ञानमार्ग आज भी प्रासंगिक है।
प्रश्न 2. बुद्धदेव ने आपसी शत्रुता समाप्त करने के लिए क्या उपाय सुझाया ? Most Important
उत्तर – आपसी शत्रुता के बारे में बुद्ध ने कहा था, “वैर से वैर शान्त नहीं होता । अवैर से ही वैर शान्त होता है।”
प्रश्न 3. महात्मा बुद्ध ने मानव मात्र के दुःख दूर करने के लिए किस मार्ग का प्रतिपादन किया?
उत्तर – उन्होंने मानव मात्र के दुःखों को कम करने के लिए पंचशील और अष्टांगिक मार्ग के जीवन दर्शन का प्रतिपादन किया था।
प्रश्न 4. महात्मा बुद्ध ने बुढ़िया के उपहार को ही दोनों हाथों से क्यों स्वीकार किया ?
उत्तर – बुढ़िया ने अपने मुँह का कौर ही महात्मा बुद्ध को दे दिया। भले ही यह बुढ़िया निर्धन है लेकिन इसे सम्पत्ति की कोई लालसा नहीं है। यही कारण था कि महात्मा बुद्ध ने बुढ़िया के उपहार को दोनों हाथों से स्वीकार किया।
प्रश्न 5. शबरी द्वारा राम को दिए गए जूठे बेर और बुढ़िया द्वारा बुद्ध को दिया गया जूठा अनार, बहुमूल्य उपहारों से अधिक उत्कृष्ट क्यों है?
उत्तर – बहुत सारे धनी लोग अपने स्वामी या प्रभु को दान देते हैं जिससे उनके जीवन शैली पर कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन जिस प्रकार शबरी के झूठे बेर और बुढ़िया द्वारा बुद्ध को दिया गया झूठा अनार उनका बहुमूल्य पदार्थ था। उनके पास इसके अलावा कुछ भी नहीं था और वह इसे भी अपने स्वामी को दान कर रही थी। इसीलिए इन्हें बहुमूल्य उपहार से अधिक उत्कृष्ट कहा गया है।
HBSE Class 9 Naitik Siksha Chapter 9 – माता का आदर्श Important Question Answer 2025
प्रश्न 1. मनुष्य के जीवन की सार्थकता किसमें है? Most Important
उत्तर – मनुष्य के जीवन की सार्थकता उसके कर्तव्य पथ पर चलने से हैं। जब साधुजन और मित्रगण उसके आश्रय में रहकर जीविका प्राप्त करें, उसी मनुष्य का जीवन सार्थक है।
प्रश्न 2. व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा अपयश क्या है?
उत्तर – अपने कर्तव्य से विमुख होकर जीवन जीना और कुल पर कलंक लगना व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा अपयश है।
प्रश्न 3. विदुला के उद्गारों से उसके चरित्र की किन विशेषताओं का पता चलता है?
उत्तर – विदुला के उद्गारों से उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताओं का पता चलता है –
- विद्यालय के क्षत्राणी स्त्री थी। वह श्रेष्ठ क्षत्रिय कुल की कुलवधू और पत्नी थी।
- विदुला क्षत्रिय धर्म को अपना परम धर्म समझने वाली स्त्री थी।
प्रश्न 4. स्नेह और मोह में क्या अन्तर है? स्नेह को श्रेय और मोह को हेय दृष्टि से क्यों देखा जाता है?
उत्तर – स्नेह और मोह में एक बहुत बड़ा अंतर होता है। मनुष्य स्नेहा करने वाले व्यक्ति के लिए अपना सब कुछ त्यागते हुए उसकी उन्नति चाहता है। वह उसे सदाचारी, परिश्रमी और पराक्रमी बनाना चाहता है। इसके विपरीत मनुष्य जिससे मोह करता है वह उसे हमेशा अपने पास रखना चाहता है। और उसे कर्तव्यभ्रष्ट करने से भी नहीं रोकता। इसीलिए स्नेह को श्रेय और मोह को हेय दृष्टि से देखा जाता है।