मध्यकालीन समाज: यूरोप एवं भारत Class 10 इतिहास Chapter 4 Important Question Answer – भारत एवं विश्व HBSE Solution

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मध्यकालीन समाज- यूरोप एवं भारत Class 10 इतिहास Chapter 4 Important Question Answer


प्रश्न 1. यूरोप में कृषकों की दशा कैसी थी?

उत्तर – यूरोप में कृषक के रहने के लिए घास-फूंस की एक झोंपड़ी होती थी। ये लोग दासों का जीवन व्यतीत करते थे। स्वामी की अनुमति के बिना ये अपने बच्चों के विवाह तक नहीं कर सकते थे। स्वामी या सामन्त की जागीर को ये लोग छोड़ कर नहीं जा सकते थे। किसानों की दशा अत्यंत दयनीय थी।


 

प्रश्न 2. मध्यकाल में भारत में किसानों की दशा कैसी थी ?

उत्तर – मध्यकाल में भारत के किसानों की स्थिति दयनीय थी। राज्य की आय का मुख्य स्त्रोत भूमि कर ही था। इसी कर से राज्य के अधिकारियों को वेतन मिलता था जिसका किसान विरोध भी नहीं कर सकते थे। कर का बोझ और उपज का बड़ा हिस्सा जमीदार को देने के बाद किसानों के पास बहुत कम बचता था।


प्रश्न 3. मध्यकाल में भारत में दास प्रथा पर निबंध लिखें।

उत्तर – मध्यकाल में भारत में अधिकतर युद्धबंदियों व कर न दे पाने वालों को दास बना लिया जाता था। गोआ और दिल्ली में दासों की बड़ी मंडियां लगती थीं। स्त्री, पुरुष व बच्चे सभी दासों में सम्मिलित थे। दासों का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें मुस्लिम बनाकर उनसे विभिन्न सेवा कार्य जैसे- घरेलू कार्य, पीकदान उठाना, छत्र उठवाना, अंगरक्षक कार्य इत्यादि करवाए जाते थे। इनकी दशा अत्यंत शोचनीय थी। मुगलकाल में अकबर ने युद्धबंदियों को दास बनाने की प्रथा को बन्द कर दिया था।


प्रश्न 4.मध्यकाल में भारत व यूरोप में किसानों की दशा में क्या अंतर था ?

उत्तर

भारत यूरोप
  • भारतीय समाज में किसान भू स्वामियों की संपत्ति नहीं था।
  • किसानों को अपनी आय का हिस्सा जमीदार व सरकार को देना पड़ता था।
  • किसानों के पास अपनी खुद की जमीन थी।
  • किसानों को भूमि कर भी देना पड़ता था।
  • यूरोपीय समाज में किसानों को भू स्वामियों की संपत्ति माना जाता था।
  • किसानों को अपनी आय का दसवां भाग चर्च को देना पड़ता था।
  • किसानों के पास अपनी खुद की जमीन नहीं थी।
  • किसानों को भूमि कर नहीं देना पड़ता था।

प्रश्न 5. मवासात से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – अनेक किसान न तो सरकार को कर देते थे और न ही सरकार का कोई आदेश मानते थे। सेना द्वारा आक्रमण किए जाने की स्थिति में वे लोग जंगलों, पहाड़ी प्रदेशों, मरुभूमि आदि दुर्गम स्थानों पर पलायन कर जाते थे। ऐसे क्षेत्र समकालीन विवरणों में मवास अथवा मवासात के नाम से जाने जाते थे।


प्रश्न 6. मध्यकालीन भारत में धर्मांतरण पर चर्चा करें।

उत्तर – मध्यकाल में भारत में आक्रमणकारियों, व्यपारियों एवं सूफियों के साथ इस्लाम का आगमन हुआ। 636 ईस्वीं से 1761 ईस्वीं तक भारत पर विदेशी आक्रमणकारियों के लगातार आक्रमण होते रहे। ये आक्रमणकारी अपने साम्राज्य विस्तार, धन की लूट तथा इस्लाम का प्रसार आदि उद्देश्यों से प्रेरित थे। लेकिन उन्हें भारत की जनता के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। धर्मांतरण के लिए तलवार एवं अग्नि की नीति असफल रही तो लोभ एवं लालच का सहारा देकर, जज़िया लगाकर धर्मांतरण का प्रयास किया गया। लेकिन इसमें उन्हें आंशिक सफलता ही मिल पाई। 1800 ईस्वीं तक अविभाजित भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) की कुल जनसंख्या में मुस्लिम एवं हिन्दुओं का अनुमानित अनुपात 1:7 था। अर्थात् 15 प्रतिशत से भी कम आबादी का ही धर्मांतरण हो पाया।


प्रश्न 7. मध्यकालीन यूरोपीय समाज मुख्य रूप से कितने वर्गों में बंटा हुआ था ? (HBSE 2023)
OR
मध्यकालीन यूरोपीय समाज के तीन प्रमुख वर्ग कौन से थे ? (HBSE 2023)

उत्तर – मध्यकाल में यूरोपीय समाज तीन वर्गों में बांटा था। पहला वर्ग पादरियों का था। इनका मुख्य कार्य ईश्वर की सेवा करना और चर्च की व्यवस्था देखना था। दूसरा वर्ग सामन्तों का था, जिन पर समाज की रक्षा का भार था। तीसरा वर्ग सामान्य जन का था, जो ऊपरी दोनों वर्गों के लिऐ जीवन यापन के साधन जुटाता था।


प्रश्न 8. ईसाई मठों में जीवन कैसा था? विस्तार से वर्णन करें।

उत्तर – यूरोप में तीसरी से छठी शताब्दी के बीच मठवाद का विकास हुआ। मठों में एकांतवासी अथवा विरक्त भिक्षु रहते थे। मठों के पास भी बड़ी भू-सम्पत्ति होती थी। ये आत्मनिर्भर थे। प्रत्येक मठ के अपने प्रार्थना कक्ष, खेत, बाग व खलिहान होते थे। इन की जीवन यात्रा व्यस्त होती थी। आधी रात को उन्हें विशेष पूजा करनी होती थी, जिसकी सूचना उन्हें मठ में बजने वाला बड़ा घण्टा देता था। पूजा करने के बाद ये पुन- सो जाते थे। सुबह उठकर ये प्रातः कालीन प्रार्थना में भाग लेते थे। दोपहर तक ये अध्ययन व चिन्तन में अपना समय व्यतीत करते थे, दोपहर के भोजन के बाद थोड़ी देर विश्राम करके बाइबिल की प्रतिलिपि तैयार करने, बाग में काम करने, मछली पकड़ने, चमड़ा सुखाने, मूर्ति बनाने व रोटी सेंकने जैसे कार्य करते थे। ये संध्याकालीन प्रार्थना करने व भोजन करने के बाद सोने चले जाते थे। मठ का संचालन मठाधीश करता था। भिक्षुओं की तरह भिक्षुणियों के भी मत होते थे।


प्रश्न 9. मध्यकालीन यूरोपीय समाज में मनोरंजन के साधन क्या-क्या थे?

उत्तर – बड़े दिन का उत्सव नृत्य, संगीत व सामूहिक भोज द्वारा मनाया जाता था। ईस्टर के अवसर पर विशेष प्रकार के व्यंजन बनते थे। इंग्लैण्ड में धनुर्विद्या में भी लोगों की रुचि होती थी। मध्यकालीन मेले भी लोगों के मनोरंजन का स्रोत थे। सर्दियों में स्केटिंग का खेल लोकप्रिय था। मछली पकड़ना भी मनोरंजन का साधन था।


प्रश्न 10. नाइट कौन थे?

उत्तर – नाईट ढाल, शिरास्त्राण, भाला, बर्धी, चाकू व मुगदर रखने वाले योद्धा थे। वह जिरहबख्तर भी धारण करते थे। वह एक घुड़सवार योद्धा होते थे, जो युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाते थे। युद्ध में मरना या मारना उसकी वीरता का परिचय देता था।


प्रश्न 11. मध्यकालीन भारतीय समाज में मनोरंजन के साधन क्या-क्या थे?

उत्तर – मध्यकाल में भारत में मनोरंजन के साधनों में मुख्यत- संगीत, नृत्य, शिकार, कुश्ती, मल्लयुद्ध, जानवरों की लड़ाइयाँ, शतरंज इत्यादि थे। तीज, त्यौहार एवं उत्सवों से भी मनोरंजन होता था।


 

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