मध्यकालीन समाज: यूरोप एवं भारत Class 10 इतिहास Chapter 4 Question Answer – भारत एवं विश्व HBSE Solution

Class 10 इतिहास BSEH Solution for chapter 4 मध्यकालीन समाज- यूरोप एवं भारत Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 10 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of  भारत एवं विश्व Book for HBSE.

Also Read – HBSE Class 10 इतिहास – भारत एवं विश्व Solution

Also Read – HBSE Class 10 इतिहास Solution in Videos

HBSE Class 10 इतिहास / History in hindi मध्यकालीन समाज- यूरोप एवं भारत / madhyakalin samaj europe avam bharat Question Answer for Haryana Board of chapter 4 in Bharat avam vishwa Solution.

मध्यकालीन समाज- यूरोप एवं भारत Class 10 इतिहास Chapter 4 Question Answer


आओ फिर से याद करें :-


प्रश्न 1. यूरोप में शासकीय वर्ग के मुख्य काम क्या थे?

उत्तर – यूरोप में शासकीय वर्ग का मुख्य कार्य न्याय व रक्षा करना था।


प्रश्न 2. यूरोप में कृषकों की दशा कैसी थी?

उत्तर – यूरोप में कृषक के रहने के लिए घास-फूंस की एक झोंपड़ी होती थी। ये लोग दासों का जीवन व्यतीत करते थे। स्वामी की अनुमति के बिना ये अपने बच्चों के विवाह तक नहीं कर सकते थे। स्वामी या सामन्त की जागीर को ये लोग छोड़ कर नहीं जा सकते थे। किसानों की दशा अत्यंत दयनीय थी।


प्रश्न 3.भारत की सामाजिक संरचना किस प्रकार की थी ?

उत्तर – सामाजिक संरचना में किसान का महत्वपूर्ण स्थान था। यहां का समाज ग्रामीण था जिसमें जमींदार के अतिरिक्त किसानों की अनेक श्रेणियां थीं। शहरी वर्ग भी अनेक वर्गों में बंटा था, जिसमें व्यापारी, कारीगर, बुद्धिजीवी लोग शामिल थे।


प्रश्न 4. मध्यकाल में भारत में किसानों की दशा कैसी थी ?

उत्तर – मध्यकाल में भारत के किसानों की स्थिति दयनीय थी। राज्य की आय का मुख्य स्त्रोत भूमि कर ही था। इसी कर से राज्य के अधिकारियों को वेतन मिलता था जिसका किसान विरोध भी नहीं कर सकते थे। कर का बोझ और उपज का बड़ा हिस्सा जमीदार को देने के बाद किसानों के पास बहुत कम बचता था।


प्रश्न 5. मध्यकाल में भारत में दास प्रथा पर निबंध लिखें।

उत्तर – मध्यकाल में भारत में अधिकतर युद्धबंदियों व कर न दे पाने वालों को दास बना लिया जाता था। गोआ और दिल्ली में दासों की बड़ी मंडियां लगती थीं। स्त्री, पुरुष व बच्चे सभी दासों में सम्मिलित थे। दासों का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें मुस्लिम बनाकर उनसे विभिन्न सेवा कार्य जैसे- घरेलू कार्य, पीकदान उठाना, छत्र उठवाना, अंगरक्षक कार्य इत्यादि करवाए जाते थे। इनकी दशा अत्यंत शोचनीय थी। मुगलकाल में अकबर ने युद्धबंदियों को दास बनाने की प्रथा को बन्द कर दिया था।


आइए विचार करें :-


प्रश्न 1.मध्यकाल में भारत व यूरोप में किसानों की दशा में क्या अंतर था ?

उत्तर

भारत यूरोप
  • भारतीय समाज में किसान भू स्वामियों की संपत्ति नहीं था।
  • किसानों को अपनी आय का हिस्सा जमीदार व सरकार को देना पड़ता था।
  • किसानों के पास अपनी खुद की जमीन थी।
  • किसानों को भूमि कर भी देना पड़ता था।
  • यूरोपीय समाज में किसानों को भू स्वामियों की संपत्ति माना जाता था।
  • किसानों को अपनी आय का दसवां भाग चर्च को देना पड़ता था।
  • किसानों के पास अपनी खुद की जमीन नहीं थी।
  • किसानों को भूमि कर नहीं देना पड़ता था।

प्रश्न 2. मध्यकाल में भारत व यूरोप में शासकीय वर्ग की स्थिति में क्या कोई भिन्नता थी?

उत्तर – मध्यकाल में भारत में शासक भूमि के मालिक तो नहीं थे लेकिन प्रभावशाली जरूर थे। सत्ता पर नियंत्रण स्थानीय शासकों का काम था। भारत में शासकीय वर्ग कई वर्गों में बांटा था जिसमें एक वर्ग वह था जो शाही शक्ति या केंद्रीय सत्ता का प्रतिनिधित्व करता था और दूसरा वर्ग उन स्थानीय शासकों, सरदारों या भू-स्वामियों का था जो स्थानीय शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता था। यह शासकीय वर्ग शासकीय कार्यों में संलग्न था। शासकों के साथ सत्ता में भागीदारी रखता था और ऊंचा वेतन प्राप्त करता था।

सामंत वर्ग यूरोपीय समाज का शासकीय वर्ग था। सामंतो का मुख्य कार्य न्याय व रक्षा करना था। भूमि पर इन्हीं का अधिकार होता था। शारीरिक क्षमता, तत्काल निर्णय, आदेश देने व आज्ञा पालन के गुण इन में बचपन से विकसित किए जाते थे। सामंत न्यायालय में बैठकर न्याय करते थे।


प्रश्न 3. मवासात से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – अनेक किसान न तो सरकार को कर देते थे और न ही सरकार का कोई आदेश मानते थे। सेना द्वारा आक्रमण किए जाने की स्थिति में वे लोग जंगलों, पहाड़ी प्रदेशों, मरुभूमि आदि दुर्गम स्थानों पर पलायन कर जाते थे। ऐसे क्षेत्र समकालीन विवरणों में मवास अथवा मवासात के नाम से जाने जाते थे।


प्रश्न 4. मध्यकालीन भारत में धर्मांतरण पर चर्चा करें।

उत्तर – मध्यकाल में भारत में आक्रमणकारियों, व्यपारियों एवं सूफियों के साथ इस्लाम का आगमन हुआ। 636 ईस्वीं से 1761 ईस्वीं तक भारत पर विदेशी आक्रमणकारियों के लगातार आक्रमण होते रहे। ये आक्रमणकारी अपने साम्राज्य विस्तार, धन की लूट तथा इस्लाम का प्रसार आदि उद्देश्यों से प्रेरित थे। लेकिन उन्हें भारत की जनता के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। धर्मांतरण के लिए तलवार एवं अग्नि की नीति असफल रही तो लोभ एवं लालच का सहारा देकर, जज़िया लगाकर धर्मांतरण का प्रयास किया गया। लेकिन इसमें उन्हें आंशिक सफलता ही मिल पाई। 1800 ईस्वीं तक अविभाजित भारत (भारतीय उपमहाद्वीप) की कुल जनसंख्या में मुस्लिम एवं हिन्दुओं का अनुमानित अनुपात 1:7 था। अर्थात् 15 प्रतिशत से भी कम आबादी का ही धर्मांतरण हो पाया।


आओ करके देखें :


प्रश्न 1. यूरोप के किसी भी देश की सामाजिक संरचना की जानकारी जुटाएं?

उत्तर – छात्र अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं प्रयास करें ‌।


प्रश्न 2. मध्यकाल में स्त्रियों की दशा आज स्त्रियों की दशा से कैसे भिन्न है? कक्षा में दो समूह बनाकर चर्चा कर बिन्दू लिखें।

उत्तर

मध्यकाल में स्त्रियों की दशा आज स्त्रियों की दशा
  • उस समय लड़कियों की शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी।
  • विवाह के उपरांत पूरा जीवन घर की चारदीवारी में व्यतीत होता था।
  • पर्दा प्रथा का प्रचलन बहुत अधिक था।
  • लगभग सभी वर्ग की स्त्रियां कताई का काम करती थी।
  • लड़कियों की पढ़ाई के लिए अच्छी व्यवस्था है।
  • विवाह के उपरांत भी महिलाएं नौकरियां करती हैं व घर से बाहर भी जीवन व्यतीत करती है।
  • पर्दा प्रथा का प्रचलन बहुत कम हो चुका है।
  • कुछ स्त्रियां ही कतई का काम करती हैं।

 

Leave a Comment