महात्मा गांधी व भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष Class 9 इतिहास Chapter 6 Important Question Answer – हमारा भारत IV HBSE Solution

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HBSE Class 9 इतिहास / History in hindi महात्मा गांधी व भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष / mahatma gandhi and bhartiya savtantarta sangharsh Important Question Answer for Haryana Board of chapter 6 in Hamara bharat IV Solution.

महात्मा गांधी व भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष Class 9 इतिहास Chapter 6 Important Question Answer


प्रश्न 1. असहयोग आंदोलन के महत्व पर प्रकाश डालें।

उत्तर – असहयोगआंदोलन में हिंदुओं, मुसलमानों, शिक्षित व अशिक्षित लोगों, अध्यापकों व छात्रों, पुरुषों और स्त्रियों ने भाग लिया। पहली बार राष्ट्रीय आंदोलन ने देशव्यापी आंदोलन का रूप धारण किया। अब लोगों के मन में से सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने व जेल जाने का भय समाप्त हो गया। लोगों में सरकार से सीधी टक्कर लेने का जोश उत्पन्न हो गया। साथ ही साथ देश के अंदर कई नए रचनात्मक कार्य भी हुए जैसे-राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना व लोगों को रोजगार प्रदान करना। लोग देश के लिए बड़े से बड़ा बलिदान देने के लिए तैयार हो गए।


प्रश्न 2. रोलेट एक्ट क्या था? या काला कानून क्या था?

उत्तर – रौलट एक्ट के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति को केवल संदेह के आधार पर, उस पर मुकद्दमा चलाए जेल में डाल सकती थी और उसे वकील, दलील और अपील का कोई अधिकार प्राप्त नहीं था। बिल के विरुद्ध लोगों में बहुत रोष था। लोगों ने इसे ‘काला कानून’ कहकर संबोधित किया।


प्रश्न 3. रौलट सत्याग्रह का वर्णन कीजिए।

उत्तर – फरवरी 1919 ई. में केंद्रीय विधान सभा में दो बिल पेश किए गए। इन बिलों के द्वारा नौकरशाही को क्रांतिकारी गतिविधियां दबाने के लिए असीम शक्तियाँ दी गई थीं। महात्मा गांधी ने वायसराय से इन बिलों को पास न करने की प्रार्थना की परंतु विरोध के बावजूद इनमें से एक बिल को पास कर दिया गया जिसे ‘ रौलट एक्ट’ का नाम दिया गया। महात्मा गांधी ने 30 मार्च, 1919 ई. को रौलट एक्ट के विरोध में और देशव्यापी हड़ताल करने की अपील की। बाद में यह तिथि बदलकर 6 अप्रैल कर दी गई परंतु दिल्ली जैसे शहरों में दोनों दिन हड़ताल हुई। गांधी जी ने उन इलाकों में जाना चाहा परंतु इससे पहले ही पलवल के स्टेशन पर उन्हें बंदी बना लिया गया। महात्मा गांधी को बंदी बनाए जाने की सूचना भारतवर्ष में आग की तरह फैल गई। कई नगरों में पुलिस और जनता के बीच झगड़े हुए। लोगों ने हड़तालों व प्रदर्शनों का सहारा लेकर अपने नेताओं की रिहाई की मांग की परंतु सरकार ने लोगों को तितर-बितर करने के लिए उन पर गोलियां चला दी। जिसके परिणामस्वरूप कई लोग मारे गए और घायल हुए।


प्रश्न 4. महात्मा गांधी की दांडी यात्रा का वर्णन कीजिए।

उत्तर – सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ 12 मार्च, 1930 ई. को महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा से किया। आरंभ में गांधी जी के साथ 78 अनुयायियों ने भाग लिया परंतु धीरे-धीरे मार्ग में सैकड़ों लोगों ने उन्हें अपना समर्थन दिया। 24 दिन के पश्चात् 6 अप्रैल, 1930 ई. को महात्मा गांधी दांडी के समुद्र तट पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने समुद्र के पानी से नमक तैयार करके नमक कानून का उल्लंघन किया।


प्रश्न 5. नमक सत्याग्रह क्या था? विस्तार से चर्चा करें।

उत्तर – सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ 12 मार्च, 1930 ई. को महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा से किया। आरंभ में गांधी जी के साथ 78 अनुयायियों ने भाग लिया परंतु धीरे-धीरे मार्ग में सैकड़ों लोगों ने उन्हें अपना समर्थन दिया। 24 दिन के पश्चात् 6 अप्रैल, 1930 ई. को महात्मा गांधी दांडी के समुद्र तट पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने समुद्र के पानी से नमक तैयार करके नमक कानून का उल्लंघन किया। उनका यह कार्य इस बात का प्रतीक था कि सारे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया जाए। सविनय अवज्ञा आंदोलन शीघ्र ही सारे देश में फैल गया। प्रत्येक संभव स्थान पर नमक बनाया गया अथवा अन्य कानूनों का उल्लंघन किया गया। सरोजिनी नायडू ने धरासना में तथा चक्रवर्ती राजागोपालाचार्य ने वेदारण्यम में ‘नमक सत्याग्रह’ किया।


प्रश्न 6. पूना समझौता क्या था? 

उत्तर – दूसरे गोलमेज सम्मेलन में मुसलमान, सिक्ख और भारतीय ईसाइयों के लिए पृथक निर्वाचन की व्यवस्था की गयी। अछूतों को हिन्दुओं से अलग मानकर पृथक निर्वाचन और प्रतिनिधित्व का अधिकार दिया गया। प्रान्तीय व्यवस्थापिकाओं में स्त्रियों को तीन प्रतिशत स्थान सुरक्षित कर दिये गये। गांधी जी ने इसका विरोध किया क्योंकि यह भारतीय एकता के लिए हानिकारक था। गांधी जी ने इस घोषणा के विरोध में आमरण अनशन आरम्भ कर दिया जिससे सारे देश में हलचल मच गई। कुछ नेताओं के प्रयासों से गांधी जी व डॉ. अम्बेडकर के बीच समझौता हो गया जिसे “पूना समझौता’ कहा जाता है।


प्रश्न 7. महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा क्यों दिया और इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर – भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव के पास होने के अगले दिन ही कांग्रेस के मुख्य नेताओं को बंदी बना लिया गया। गांधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा देते हुए कहा ‘एक छोटा सा मंत्र है जो मैं आपको देता हूं, उसे आप अपने हृदय में अंकित कर सकते हैं और अपनी हर सांस द्वारा व्यक्त कर सकते हैं वह मंत्र है ‘करो या मरो’, या तो हम भारत को आजाद कराएंगे या इस कोशिश में अपनी जान दे देंगे।’ जयप्रकाश नारायण, अरुणा आसफ अली एवं राम मनोहर लोहिया जैसे नेताओं ने भूमिगत रहकर इस आंदोलन का संचालन किया। इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन में वकीलों, अध्यापकों, व्यापारियों, डॉक्टरों, पत्रकारों, मजदूरों, विद्यार्थियों व स्त्रियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। विभिन्न नगरों में सभाएँ की गई एवं जुलूस निकाले गए। लोगों ने हिंसा का उत्तर हिंसा से दिया। कई सरकारी भवनों व पुलिस थानों को जला दिया गया, तार की लाइनें काट दी गई।


प्रश्न  8. गांधी जिन्ना वार्ता क्या थी? इसका क्या परिणाम रहा?

उत्तर – भारत छोड़ो आंदोलन के बाद मई 1944 ई. में गांधी जी को जेल से रिहा कर दिया गया। तत्पश्चात् गांधी जी ने विभाजन को टालने तथा मोहम्मद अली जिन्ना को मनाने के लिए 9 सितंबर से 27 सितंबर, 1944 ई. के बीच कई दौर की बातचीत की। इस गांधी- जिन्ना वार्ता में गांधी जी जिन्ना के लिए ‘कायदे आज़म’ का सम्बोधन करते रहे, जिससे जिन्ना और अधिक अहंकारी हो गये। जिन्ना ने पाकिस्तान की मांग को मनवाने के लिए 16 अगस्त, 1946 ई. को ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ घोषित किया। जिससे बंगाल, बिहार और बंबई में दंगे हुए, जिसमें 5 हजार लोग मारे गए तथा 15 हजार लोग घायल हुए।


प्रश्न 9. गांधी जी ने पटेल की बजाए नेहरू को क्यों चुना? 

उत्तर – बहुत सारे प्रांतों की अधिकतर कांग्रेस कार्य समितियों ने सरदार पटेल का नाम कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए सुझाव दिया था। गांधी जी का विचार था कि नेहरू अंग्रेजों से आजादी के समय बेहतर लेनदेन कर सकता है तथा देश के बाहर भी उसे लोग जानते हैं। वह दूसरा स्थान कभी स्वीकार नहीं करेंगे। इसी कारण गांधीजी ने पटेल की बजाय नेहरू को चुना।


प्रश्न 10. गांधी जी कांग्रेस को क्यों समाप्त करना चाहते थे?

उत्तर – स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस में व्याप्त भ्रष्टाचार से आहत होकर गांधी जी ने ऑल इंडिया स्पीनर एसोसिएशन, हरिजन सेवक संघ, ग्राम उद्योग संघ, गौ सेवा संघ एवं नई तालीमी संघ जैसे संगठनों के मुख्य प्रतिनिधियों का एक सम्मेलन बुलाया तथा सम्मेलन के बाद कांग्रेस का उद्देश्य पूरा हो जाने के कारण कांग्रेस को समाप्त करने तथा उसके स्थान पर लोक सेवा संघ बनाने की योजना बनाई


 

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