मानवीय करुणा की दिव्य चमक Class 10 Hindi Important Question Answer – क्षितिज भाग 2 NCERT Solution

NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2  मानवीय करुणा की दिव्य चमक Important  Question Answer for HBSE. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.

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NCERT Solution of Class 10th Hindi Kshitij bhag 2/  क्षितिज भाग 2 Chapter 13 Manviya Karuna ki Divya Chamak Important Question And Answer ( महत्वपूर्ण प्रश्न ) Solution.

मानवीय करुणा की दिव्य चमक Class 10 Hindi महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1. पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?

उत्तर – फ़ादर बुल्के विदेशी होते हुए भी भारतीय थे उनको हिंदी से विशेष लगाव था। उन्होंने हिंदी में प्रयाग विश्व विद्यालय से शोध किया। फ़ादर बुल्के ने मातरलिंक के प्रसिद्ध नाटक ‘ब्लूबर्ड’ का हिंदी में ‘नील पंछी’ नाम से रूपांतर किया। उन्होंने मसीही धर्म की धार्मिक पुस्तक ‘बाइबिल’ का हिंदी में अनुवाद किया। उन्होंने अपना प्रसिद्ध अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश तैयार किया। उनके शोध रामकथा: उत्पत्ति और विकास के कुछ अध्याय ‘परिमल’ में पढ़े गए थे। उन्होंने ‘परिमल’ में भी कार्य किया। वे सदैव हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए चिंतित रहते थे इसके लिए वे प्रत्येक मंच पर आवाज उठाते थे। उन्हें उन लोगों पर झुंझलाहट होती थी जो हिंदी जानते हुए भी हिंदी का प्रयोग नहीं करते थे। इस तरह हम कह सकते हैं कि फ़ादर बुल्के का हिंदी के प्रति विशेष लगाव और प्रेम था।


प्रश्न 2. लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा ?

उत्तर – फ़ादर बुल्के का व्यक्तित्व सबसे अलग था। उनके मन में सबके लिए अपनापन था। सबके साथ होते हुए भी वे अपने व्यवहार, अपनत्व, वात्सल्य के कारण अलग दिखाई देते थे। वे सबके साथ एक-सा व्यवहार करते थे। उनका मन करुणामय था। वे सब जान-पहचान वालों के परिवारों के दुःख-सुख की पूरी जानकारी रखते थे। हर किसी के दुःख में दुःखी होना तथा सुख में खुशी अनुभव करना उनका स्वभाव था। जब वे दिल्ली आते थे समय न होने पर भी सबकी खोज खबर लेकर वापिस जाते थे जिससे रिश्ता बना लिया अपनी तरफ से उसे पूरी तरह निभाते थे। उनके व्यक्तित्व की यही बात उन्हें ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ बनाती थी।


प्रश्न 3. ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक ‘ पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ संस्मरण है। इसके माध्यम से लेखक ‘सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’ फ़ादर बुल्के को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। फ़ादर बुल्के का जीवन हम भारतवासियों के लिए एक प्रेरणा है। फ़ादर बुल्के विदेशी होते हुए भी भारत, भारत की भाषा और संस्कृति से बहुत गहरे जुड़े हुए थे। उन्होंने सदैव स्वयं को एक भारतीय कहा है। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत योगदान दिया है। हम लोगों को फ़ादर बुल्के के जीवन से यह संदेश लेना चाहिए कि जब एक विदेशी अनजान देश, अनजान लोगों और भाषा को अपना बना सकता है तो हम अपने देश, अपने लोगों और भाषा को अपना क्यों नहीं बना सकते ? हमें अपने भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। अपने देश और उसकी राष्ट्रभाषा हिंदी के सम्मान की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए।


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