NCERT Solution of Class 10 Hindi कृतिका भाग 2 Chapter 1 माता का आँचल Question Answer for Various Board Students such as CBSE, HBSE, Mp Board, Up Board, RBSE and Some other state Boards. We also Provides पाठ का सार और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर for score Higher in Exams.
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NCERT Solution of Class 10th Hindi Kritika bhag 2/ कृतिका भाग 2 chapter 1 Mata Ka Anchal Textual Question And Answer Solution.
माता का आँचल Class 10 Hindi प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है ?
अथवा
‘माता का आँचल’ पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – माँ बच्चे की जन्मदाता तथा पालन-पोषण करने वाली है। स्वाभाविक रूप से बच्चा माँ से अधिक लगाव रखता है। माँ भी एक बाप की अपेक्षा हृदय से अधिक प्यार-दुलार करती है। वह बाप की अपेक्षा बच्चों की भावनाओं को अधिक अच्छा समझ लेती है। माँ का अपने बच्चे से आत्मिक प्रेम होता है। बच्चा चाहकर भी माँ की ममता को नहीं भुला सकता। यह भी सत्य है कि एक बाप अपने बच्चों को बहुत अधिक प्यार तो दे सकता है लेकिन एक माँ का हृदय वह कभी प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए प्रस्तुत पाठ में बच्चों का अपने पिता से अधिक लगाव होने पर भी वह विपदा के समय पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है ।
प्रश्न 2. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ?
उत्तर – मनुष्य स्वाभाविक रूप से अपनी आयु तथा प्रकृति के लोगों के साथ अधिक जुड़ा रहता है। वह मन से उनकी संगति लेना चाहता है। उनकी संगति में आकर उसके दु:ख, रोग सब मिट जाते हैं। विशेषकर बच्चा तो अपने जैसे साथियों की संगति अवश्य चाहता है क्योंकि उनके बिना उसकी अठखेलियां मौज-मस्ती अधूरी रह जाती हैं। वह अपनी संगति में आकर अपने सारे सुख-दुःख भूल जाता है। इसलिए भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है।
प्रश्न 3. आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी-न-किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।
उत्तर – अक्कड़-बक्कड़ बंबे बो,
अस्सी नब्बे परे सौ।
सौ पे लगा धागा
चोर निकल कर भागा।
(ii) पौशम पा भई पौशम पा
डाकिए ने क्या किया
सौ रुपये की घड़ी चुराई
अब तो जेल में जाना पड़ेगा
जेल की रोटी खानी पड़ेगी।
जेल का पानी पीना पड़ेगा॥
प्रश्न 4. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर – भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री हमारे खेल और खेलने की सामग्री से निम्नलिखित प्रकार से भिन्न हैं
(i) भोलानाथ और उसके साथी तमाशे, नाटक, चिड़ियाँ पकड़ना, घर बनाना, दुकान लगाना आदि खेल खेला करते थे और हम क्रिकेट, कार्टून, साइकिल दौड़ाना, सवारी करना, तैरना आदि खेल खेलते हैं।
(ii) भोलानाथ और उसके साथी चबूतरा, चौकी, सरकंडे, पत्ते, गीली मिट्टी, फूटे घड़े के टुकड़े, ठीकरे आदि सामग्री का प्रयोग करते जबकि हम साइकिल, रस्सी, टी०वी०, कंप्यूटर, इंटरनेट, पैन, पैंसिल आदि सामग्री का प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 5. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों ?
उत्तर – (1) देखिए, मैं खिलाती हूँ। मरदुए क्या जाने कि बच्चों को कैसे खिलाना चाहिए और महतारी के हाथ से खाने पर बच्चों का पेट भी भरता है। यह कहकर वह थाली में दही-भात सानती और अलग-अलग तोता मैना, कबूतर, हंस, मोर आदि के बनावटी नाम से कौर बनाकर यह कहते हुए खिलाती कि जल्दी खा लो, नहीं तो उड़ जाएँगे; पर हम उन्हें इतनी जल्दी उड़ा जाते थे कि उड़ने का मौका ही नहीं मिलता।
(2) एक टीले पर जाकर हम लोग चूहों के बिल में पानी डालने लगे। नीचे से ऊपर पानी फेंकना था हम सब थक गए। तब तक गणेश जी के चूहे की रक्षा के लिए शिव जी का साँप निकल आया। रोते-चिल्लाते हम लोग बेतहाशा भाग चले ।
(3) इसी समय बाबू जी दौड़े आए। आकर झट हमें मइयाँ की गोद से अपनी गोद में लेने लगे पर हमने मइयाँ के आँचल की प्रेम और शांति के चँदोवे की छाया न छोड़ी।
प्रश्न 6. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं ?
उत्तर – आज की ग्रामीण संस्कृति में हमें अनेक तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं
(i) आज की ग्रामीण संस्कृति बच्चों के परस्पर स्नेह में बंधे हुए झुंड दिखाई नहीं देते।
(ii) बच्चे बाहर खेलने की अपेक्षा अपने घरों में अधिकांश बंधे रहते हैं।
(iii) खेलने के लिए पहले जैसे खुले मैदान नहीं रहे।
(iv) आज उनके खेल तथा खेलने की सामग्री भी बदल चुकी है।
(v) आज के बच्चे क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं, मिट्टी आदि के ढेलों से नहीं।
प्रश्न 7. पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड़-प्यार याद आ रहा होगा भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।
उत्तर – बचपन में हमें भी सुबह-सवेरे माँ बड़े प्यार से जगाया करती थी। जल्दी-जल्दी नहला-धुलाकर तथा साफ कपड़े पहनाकर फिर हमें खेलने के लिए छोड़ देती थी। पिता जी हमें अपने कंधे पर बिठाकर दूर तक झुलाया करते थे। कभी-कभी आँगन में अपनी पीठ पर बैठाकर घोड़े की तरह झुला दिया करते। कभी-कभी अपने साथ लेकर यमुना नदी में नहलाने के लिए ले जाते थे और अपनी गोदी में लेकर पानी में खूब डुबकियाँ लगवाया करते। पिता जी कई बार अपने साथ खेतों में घुमाया करते थे। माँ अपने आँचल में छुपाकर हमें दूध पिलाया करती, भोजन खिलाती थी। पेट भर जाने पर भी हम से और खाने के लिए कहती रहती थी। बच्चों के साथ बाहर खेलने जाते तो बड़े प्यार से समझा-बुझाकर भेजती थी। अनेक नसीहतें देती रहती थी।
प्रश्न 8. यहां माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बच्चे के प्रति माता-पिता के वात्सल्य का सजीव वर्णन किया है। बच्चे का माँ के आँचल में खेलना, माँ द्वारा सुबह बच्चे का नहला-धुलाकर तथा कपड़े आदि पहनाकर खेलने भेजना, पूजा-पाठ आदि करके उनके माथे पर तिलक लगाना आदि का सजीव चित्रण हुआ है। बच्चे का अपने पिता की मूंछों के साथ खेलने का अनूठा वर्णन हुआ है। पिता बच्चे को अपने कंधों पर झुला-झुलाकर उनका मन बहलाता है। उनके साथ कुश्ती करता है। स्वयं बच्चों का मन खुश करने हेतु हार जाते हैं जिससे बच्चे खिलखिलाकर हंस पड़ते हैं। माँ बच्चों को तोता, मैना, कबूतर, हंस, मोर आदि के बनावटी नाम देकर उन्हें भोजन खिलाती है। बच्चों को थोड़ी-सी चोट लगने पर माता-पिता दुःखी हो जाते हैं। माँ अपने बच्चे को अपने आँचल में छिपाकर उनसे प्यार करती है।
प्रश्न 9. ‘माता का आँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।
उत्तर – ‘माता का आँचल’ पाठ के माध्यम से लेखक ने माँ के आँचल के प्रेम एवं शांति का वर्णन किया है। लेखक और उसका भाई वैसे तो अधिकतर अपने पिता के साथ रहते हैं। उनके पास सोते हैं। लेकिन जो प्यार और शांति उन्हें माँ के आँचल में मिलती है वैसी पिता के साथ नहीं मिलती। माँ अपने बच्चों को नहला-धुलाकर, कुरता-टोपी तिलक आदि लगाकर बाहर खेलने के लिए भेजती है। पिता के द्वारा रोटी खिलाने पर भी माँ बच्चों को कबूतर तोता, मैना आदि के बनावटी नाम देकर रोटी खिलाती है। पाठ के अंत में भी जब बच्चे साँप से भयभीत होकर यहाँ-वहाँ गिरते हुए खून से लथपथ होकर घर पहुँचते हैं तो वे अपनी माँ के आँचल में छिप जाते हैं। उन्हें हुक्का गुड़गुड़ाते हुए पिता अनदेखा कर देते हैं। माँ ही अपने आँचल में लेकर बच्चों को हल्दी का लेप लगाती है। कांपते होंठों को बार-बार देखकर उन्हें गले लगा लेती है। उसी समय बाबू जी माँ की गोद से बच्चों को लेना चाहते हैं लेकिन बच्चे अपनी माता के आँचल की प्रेम और शांति की छाया को नहीं छोड़ते। संभवतः माता का आँचल एक उपयुक्त शीर्षक है। इसका अन्य शीर्षक बचपन हो सकता है।
प्रश्न 10. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं ?
उत्तर – बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को क्रीड़ाओं तथा लीलाओं के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं। वे अपने मन की भावनाओं को अपनी क्रीड़ा के माध्यम से प्रकट करते हैं। उनकी भावनाएँ ही उनके प्रेम का प्रतीक होती हैं। वे कभी नाराज़ तो कभी प्रसन्न होकर अपना प्रेम प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 11. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है ?
उत्तर – प्रस्तुत पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह हमारे बचपन की दुनिया से पूर्णतः भिन्न हैं। हमारी 1 दुनिया में परस्पर स्नेह भाव, दोस्ती, विचारों के आदान-प्रदान आदि की कमी है। आज मित्र-मंडली जैसा शब्द भी खो गया सा लगता है जिसमें परस्पर प्रेमभाव से भरकर, मस्ती में चूर होकर कहीं बाहर खेलने जाए। फिर पहले की अपेक्षा, आज की दुनिया में प्राकृतिक खेलों का चलन कम गया है और कृत्रिम खेल और सामग्री का चूलन बढ़ा है। आजकी दुनिया कृत्रिम उपादानों से घिरी हुई है। उसमें स्वाभाविकता छिप गई है। तमाशे करना, नाटक खेलना, मिट्टी का घर बनाना, चिड़ियों संग खेलना आदि प्राकृतिक खेल तथा सामग्री अब कहीं नहीं मिलती। अब तो हमारी दुनिया कंप्यूटर,टी० वी०, क्रिकेट आदि खेल तथा सामग्री में उलझ कर रह गई है।
प्रश्न 12. फणीश्वर नाथ रेणु और नागार्जुन की आँचलिक रचनाओं को पढ़िए।
उत्तर – फणीश्वर नाथ रेणु हिंदी साहित्य के महान् आँचलिक कथाकार हैं। नागार्जुन भी प्रमुख आँचलिक लेखक माने जाते हैं। इनकी मैला आँचल, बलचनमा, आदि रचनाएं आँचलिकता से ओतप्रोत हैं।