NCERT Class 10 Hindi Netaji Ka Chasma-Swayam Prakash Lekhak Jivan Parichay ( स्वयं प्रकाश लेखक जीवन परिचय )of Kshitij Bhag 2 / क्षितिज भाग 2 Specially Designed for Write in Exams of CBSE, HBSE, Up Board, Mp Board, Rbse.
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NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Netaji Ka Chasma Lekhak Swayam Prakash / नेताजी का चश्मा – स्वयं प्रकाश लेखक जीवन परिचय / Lekhak Jivan Parichay for Exams.
नेताजी का चश्मा – स्वयं प्रकाश लेखक जीवन परिचय
1. सामान्य जीवन परिचय-
स्वयं प्रकाश हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार व गद्यकार हैं। उनका जन्म सन् 1947 में मध्य प्रदेश के इंदौर नगर में हुआ। उन्होंने अपना बचपन राजस्थान में व्यतीत किया। आरंभिक अध्ययन पूरा करके मैकेनिकल इजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की और एक औद्योगिक प्रतिष्ठान में नौकरी करने लगे। उनके जीवन का अधिकांश समय राजस्थान में व्यतीत हुआ। कालांतर में अपनी इच्छा से सेवानिवृत्त होकर वे भोपाल चले आए। आजकल वे यहीं पर जीवन यापन कर रहे हैं और ‘वसधा’ नामक पत्रिका का संपादन कर रहे हैं। पहल सम्मान’ वनमाली पुरस्कार तथा राजस्थान अकादमी पुरस्कार से उन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है।
2. साहित्यक रचनाएँ-
स्वयं प्रकाश हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार हैं। उनके 13 कहानी-संग्रह तथा पाँच उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें उल्लेखनीय रचनाएँ हैं-
कहानी संग्रह- सूरज कब निकलेगा’, ‘आएँगे अच्छे दिन भी’, ‘आदमी जात का आदमी’ और ‘संधान’ उल्लेखनीय हैं।
प्रमुख उपन्यास- बीच में विनय, ईंधन।
3.साहित्यिक विशेषताएँ-
स्वयं प्रकाश सामाजिक जीवन के कुशल चितेरे माने जाते हैं। उन्होंने अपनी कहानियों तथा उपन्यासों में वर्ग शोषण की समस्या को उठाया है। वे शोषकों तथा पूंजीपतियों के अत्याचारों का वर्णन करते हुए सर्वहारा वर्ग के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करते हैं अपनी कुछ कहानियों में स्वयं प्रकाश कसबाई बोध का बड़ा ही सजीव वर्णन करते हैं। उन्होंने जातीय भेदभाव का विरोध करते हुए कहानियाँ लिखी हैं। देशभक्ति की नारेबाजी के स्थान पर वे सामान्य मानव के आचरण में वे देश प्रेम को देखना चाहते हैं उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक तथा राजनैतिक समस्याओं को भी उठाया है।
4. भाषा-शैली-
स्वयं प्रकाश की भाषा सहज, सरल तथा साहित्यिक हिन्दी भाषा है इसे लोक प्रचलित खड़ी बोली भी कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने संस्कृत के तत्सम, तद्भव, देशज, उर्दू, फारसी तथा अंग्रेजी के शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया है। उनका वाक्य विन्यास बड़ा ही स्वाभाविक व प्रभावशाली बन पड़ा है। वे अकसर छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करते हैं और वह यत्र, तत्र, हास्य और व्यंग्य का छटा उत्पन्न करते चलते हैं। कुल मिलाकर उनकी भाषा सहज, सरल व भाषानुकूल कही जा सकती है।