NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 नौबतखाने में इबादत Important Question Answer for HBSE. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.
Also Read :- Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 NCERT Solution
- Also Read – Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 NCERT Solution in Videos
- Also Read – Class 10 Hindi कृतिका भाग 2 NCERT Solution in Videos
NCERT Solution of Class 10th Hindi Kshitij bhag 2/ क्षितिज भाग 2 Chapter 11 Nobatkhane mein Ibadat Important Question And Answer ( महत्वपूर्ण प्रश्न ) Solution.
नौबतखाने में इबादत Class 10 Hindi महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है ?
उत्तर – शहनाई की दुनिया में डुमराँव को इसलिए याद किया जाता है, क्योंकि यहां सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से रीड बनाई जाती है। इसी रोड से शहनाई को फूंका जाता है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराव में हुआ था। इन के परदादा उस्ताद सलार हुसैन खां और पिता उस्ताद पैंगवरबख्श खां भी डुमराव के निवासी थे।
प्रश्न 2. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगल ध्वनि का नायक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर – जहां भी कहीं कोई उत्सव अथवा समारोह होता है सब से पहले बिस्मिल्ला खां की शहनाई की ध्वनि सुनाई देती है। इन समारोहों में बिस्मिल्ला खाँ से तात्पर्य उनकी शहनाई की गुंज से ही होता है। इनकी शहनाई की आवाज़ लोगों के सिर चढ़ कर बोलती है। गंगा तट, बालाजी का मंदिर, बाबा विश्वनाथ जी अथवा संकटमोचन मंदिर सर्वत्र प्रभाती का मंगलस्वर बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई का ही होता है। समस्त मांगलिक विधि-विधानों के अवसरों पर भी यहीं वाद्य मंगल ध्वनि का परिवेश प्रतिष्ठित कर देता है। इसलिए बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगल ध्वनि नायक कहा जाता है।
प्रश्न 3. पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि
(क) बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।
(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इंसान थे।
उत्तर – (क) बिस्मिल्ला खाँ गंगा किनारे, बालाजी के मंदिर में, काशी विश्वनाथ के मंदिर में तथा संकटमोचन मदिर में शहनाई बजाते थे। वे मुहर्रम के दिनों में आठवीं तारीख पर खड़े होकर शहनाई बजाते थे तथा दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल जाते थे। इस प्रकार हिंदू-मुस्लिम धर्मों में भेदभाव न करते हुए समान रूप से सब का आदर करना यही सिद्ध करता है कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ को भारतरत्न, पद्मविभूषण, डॉक्टरेट आदि अनेक उपाधियां मिली थीं। परंतु वे सदा सीधे साधे सच्चे इन्सान की तरह जीवन व्यतीत करते रहे। उनकी एक शिष्या उन्हें फटा तहमद पहनने पर टोकती है तो वे स्पष्ट कह देते हैं कि सम्मान उनकी शहनाई को मिला है, फटे तहमद को नहीं। वे परमात्मा से भी ‘सच्चा सुर’ मांगते रहे, कभी भौतिक सुविधाएं नहीं मांगी।
प्रश्न 4. बिस्मिल्ला खाँ काशी क्यों नहीं छोड़ना चाहते थे ?
उत्तर – बिस्मिल्ला खाँ को काशी से बहुत प्रेम था। वे काशी से दूर अधिक दिन न रह पाते थे। काशी में स्थित गंगा का तट, विश्वनाथ मंदिर, बालाजी का मंदिर उनको बहुत प्रिय था। यहाँ की संस्कृति में वे रच-बस गए थे। उनका परिवार पुश्तों से यहाँ बसा था। इन्हीं सब कारणों से वे काशी छोड़ कही ओर बसना तो क्या अधिक दिनों के लिए जाना भी पसंद नहीं करते थे।
प्रश्न 5. अमीरुद्दीन को बचपन में क्या शौक था ? अपना शौक पूरा करने के लिए क्या करते थे ?
उत्तर – अमीरुद्दीन को बचपन में फिल्म देखने का बहुत शौक था। फिल्म देखने के लिए वो दो-दो पैसे मौसी, मामू, नाना से लेकर छः पैसे से टिकट लेते थे। उनको कचौड़ी-चाट खाने का, जलेबी खाने का भी बहुत शौक था।