प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएं Class 10 इतिहास Chapter 2 Question Answer – भारत एवं विश्व HBSE Solution

Class 10 इतिहास BSEH Solution for chapter 2 प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएं Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 10 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of  भारत एवं विश्व Book for HBSE.

Also Read – HBSE Class 10 इतिहास – भारत एवं विश्व Solution

Also Read – HBSE Class 10 इतिहास Solution in Videos

HBSE Class 10 इतिहास / History in hindi प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएं / Prachin vishwa ki pramukh sabhyataye Question Answer for Haryana Board of chapter 2 in Bharat avam vishwa Solution.

प्राचीन विश्व की प्रमुख सभ्यताएं Class 10 इतिहास Chapter 2 Question Answer


मिस्र की सभ्यता


आओ फिर से याद करें:-


प्रश्न 1. मिस्र के इतिहास को जानने के साधन कौन-कौन से हैं?

उत्तर – मिस्र के इतिहास को जानने के साधन निम्नलिखित हैं:-

  1. साहित्यिक साधन – हेरोडोटस, डायोड्स, मेनेथो
  2. पुरातात्विक साधन – पिरामिड, समाधियां, भित्ति चित्र, मंदिर, रोसेटो अभिलेख
  3. आधुनिक साधन – एडोल्डफ इरमान व जे. एस. ब्रस्टेड की पुस्तकें।

प्रश्न 2. मिस्र के इतिहास को कितने भागों में बांटा जा सकता है?

उत्तर – मिस्र के इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है:-

  1. प्राचीन काल या पिरामिड युग ( 3400 ई.पू. -2160 ई.पू. )
  2. मध्यकाल या सामंतवादी युग ( 2160 ई.पू. – 1580 ई.पू. )
  3. नवीनकाल या साम्राज्यवादी युग ( 1580 ई.पू. – 650 ई.पू. )

प्रश्न 3. मिस्र के लोगों की आर्थिक गतिविधियां कौन-कौन सी थी?

उत्तर – मिस्र के लोगों की आर्थिक गतिविधियां निम्नलिखित थी—

  • कृषि – मिस्र एक कृषि प्रधान देश था। यहां पर मुख्य रूप से गेहूं, जौ, कपास, सण, और फलों में अंगूर, अंजीर एवं खजूर थे।
  • पशुपालन – मिस्र के लोग गाय, भेड़, गधा, बछड़ा, बंदर और मुर्गी जैसे पशुओं को पालते थे।
  • उद्योग धंधे – उस समय के लोग पत्थर काटने, गहने एवं बर्तन बनाने, तांबे तथा कांसे के हथियार बनाने एवं लकड़ी का फर्नीचर बनाने में कुशल थे। लोग नाव एवं जहाजों के निर्माण में भी निपुण थे। उस समय पेपिरस नामक घास के पौधे से कागज बनाया जाता था।
  • वाणिज्य और व्यापार – मिस्र में व्यापार नील नदी के द्वारा होता था। मिस्र, भारत और अरब से मसाले, रंग, तेल, पाउडर और चंदन मंगवाता था।

विस्तार से विवरण दें:-


प्रश्न 1. मिस्र की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालें।

उत्तर – मिस्र की प्रशासनिक व्यवस्था अलग-अलग हिस्सों में बैठी थी। जिनका वर्णन नीचे दिया गया है:-

  • फराओ ( राजा ) – राजा निरंकुश तथा सुरक्षा कार्य शासक था शासन की समस्त शक्तियां उसके हाथों में थी।
  • वजीर – वजीर शासन संचालन के कार्य में फराओं की सहायता करता था उसका मुख्य कार्य लगान वसूल करना एवं आय-व्यय का हिसाब रखना था।
  • परिषद – फराओ के दरबार में वृद्ध दरबारियों की अलग परिषद थी, जिसे सारू कहते थे। जो राजाओं को परामर्श दिया करते थे।
  • प्रांतीय शासन – फराओ ने शासन की सुविधा के लिए साम्राज्य को कई प्रांतों में बांटा हुआ था प्रत्येक प्रांत को नोम तथा उसके शासक को नोमार्क कहते थे।
  • स्थानीय शासन – स्थानीय शासन प्रबंध सामंतों के हाथों में था। नगरों में एक प्रशासनिक अधिकारी भी होता था जो शांति बनाए रखने और कर वसूलने का काम करता था।
  • न्याय व्यवस्था – फराओ मुख्य न्यायाधीश होता था। मुकदमा लिखित रूप में चला जाता था और फराओ मुकदमे का फैसला तीन दिन में ही कर देता था। अपराधी को कठोर सजा दी जाती थी।

प्रश्न 2. मिस्र की संसार को क्या देन हैं?

उत्तर – मिस्र की सभ्यता की संसार को देन निम्नलिखित है:-

  1. मिस्र ने विश्व को 365 दिन का 1 वर्ष तथा कैलेंडर दिया।
  2. सूर्य घड़ी व जल घड़ी का आविष्कार किया।
  3. औषधि विज्ञान के क्षेत्र में अनेक खोजे की। उन्होंने ऐसा रासायनिक लेप तैयार किया जिससे मृतक शरीर को शताब्दियों तक सुरक्षित रखा जा सकता था।
  4. मिस्र की एक सूची में विभिन्न बीमारियों से संबंधित 600 दवाइयों के नाम मिले हैं।
  5. एकेश्वरवाद के सिद्धांत का प्रचलन किया।

आओ करके देखें:-


प्रश्न 1. मिस्र के प्राचीन नगरों एवं आधुनिक नगरों की सूची बनाकर उनकी तुलना करें।

उत्तर – छात्र अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं कोशिश करें।


प्रश्न 2. मिस्र के मानचित्र पर वहां के व्यापारिक नगर अंकित करें।

उत्तर – छात्र अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं कोशिश करें।


मेसोपोटामिया की सभ्यता


आओ फिर से याद करें:-


प्रश्न 1. मेसोपोटामिया का अर्थ क्या है?

उत्तर – मेसोपोटामिया यूनानी भाषा का शब्द है। यह दो शब्दों ‘मेसो’ और ‘पोटम’ से मिलकर बना है। ‘मेसो’ का अर्थ मध्य तथा ‘पोटम’ का अर्थ नदी होता है इस प्रकार मेसोपोटामिया का शाब्दिक अर्थ दो नदियों के बीच का भाग होता है।


प्रश्न 2. मेसोपोटामिया क्षेत्र में विकसित होने वाले विभिन्न सभ्यता कौन कौन सी थी?

उत्तर – मेसोपोटामिया क्षेत्र में विकसित होने वाली सभ्यताएं सुमेरियन, बेबीलोनियन और असीरियन थी।


प्रश्न 3. जिगुरात क्या होते हैं?

उत्तर – सुमेर के नगरों में पिरामिड के आकार में बनाए जाने वाले ऊंचे मंदिरों को जिगुरात कहा जाता है।


विस्तार से विवरण दें:-


प्रश्न 1. मेसोपोटामिया सभ्यता के राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सामाजिक जीवन का वर्णन करें।

उत्तर – मेसोपोटामिया सभ्यता के राजनीतिक आर्थिक धार्मिक एवं सामाजिक जीवन का वर्णन निम्नलिखित है:-

राजनीतिक जीवन – इस सभ्यता में शासक निरंकुश होते थे तथा साम्राज्य में उनका पूर्ण नियंत्रण होता था। वे दैविक सिद्धांत के आधार पर शासन करते थे। वे सर्वोच्च सेनापति, न्यायाधीश व सर्वोच्च पदाधिकारी होते थे। वे शासन के संचालन के लिए साम्राज्य को कई प्रांतों में बांट देते थे और प्रांत के गवर्नर का चयन स्वयं करते थे। गवर्नर अपने प्रांत से कर इकट्ठा करना, शांति बनाए रखना और युद्ध में शासक का सहयोग करने का काम करता था।

सामाजिक जीवन – उस समय का समाज तीन वर्गों उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग में बटा हुआ था। उच्च वर्ग में राजा, उच्च पदाधिकारी व पुरोहित होते थे। मध्यम वर्ग में सामंत और व्यापारी व निम्न वर्ग में दास तथा किसान शामिल थे।

धार्मिक जीवन – मेसोपोटामिया के लोग बहुदेववादी थे। वे खेत, नदियों, पहाड़ों की पूजा करते थे। उनके प्रमुख देवता अनु ( आकाश का देवता ), की ( पृथ्वी ), सिन ( चंद्रमा ), तम्मुज ( वनस्पति और कृषि का देवता ), ईश्तर ( प्रेम की देवी ), नरगल ( प्लेग का देवता ) आदि थे। इन देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बलि भी दी जाती थी।

आर्थिक जीवन – इस सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। इसमें गेहूं, जौ, जैतून, कपास व अंगूर की खेती थी। उस समय के लोग उद्योग एवं व्यापार में भी उन्नत थे। व्यापार सोना, चांदी और तांबे के टुकड़ों से होता था। यहां पशुओं में ऊंट और बकरी विशेष थी। यहां लकड़ी की सुंदर नक्काशी के साथ साथ सोना, चांदी व कीमती पत्थर पर भी नक्कासी की जाती थी।


आओ करके देखें :-


प्रश्न 1. प्राचीन मेसोपोटामिया के विभिन्न देवी-देवताओं की सूची बनाकर उनकी तुलना में मिस्र व भारत के देवी देवताओं से करें।

उत्तर – मेसोपोटामिया सभ्यता के प्रमुख देवता अनु ( आकाश का देवता ), की ( पृथ्वी ), सिन ( चंद्रमा ), तम्मुज ( वनस्पति और कृषि का देवता ), ईश्तर ( प्रेम की देवी ), नरगल ( प्लेग का देवता ) आदि थे। मेसोपोटामिया सभ्यता के लोग प्रकृति के विभिन्न रूपों की पूजा करते थे। मिस्र की सभ्यता के लोग भी प्रकृति के विभिन्न रूपों की पूजा करते थे जिनमें सबसे बड़ा देवता सूर्य था। जिसे रे, रा, होरस, एमन आदि कई नामों से पुकारा जाता था। उसके बाद नील नदी के देवता ( ओसिरिस ), आकाश का देवता ( नूत ), चंद्रमा देवता ( सिन ) की भी पूजा करते थे। जबकि भारत में प्रकृति के विभिन्न रूपों की पूजा करने की बजाय भगवान के इंसानी रूपों की पूजा की जाती थी। इसके साथ साथ भारत के लोगों का मानना था कि भगवान हर जगह है। जिससे हम कह सकते हैं कि तीनों सभ्यताएं ही प्रकृति को अपना भगवान मानते थे।


प्रश्न 2. मेसोपोटामिया के प्राचीन नगरों को विश्व के मानचित्र पर दर्शाए।

उत्तर

हिंदी में मानचित्र उपलब्ध नहीं था इसीलिए इंग्लिश में दिया है। आप खुद इनके नाम हिंदी में लिख सकते है।


यूनानी सभ्यता


आओ फिर से याद करें:-


प्रश्न 1. यूनान के इतिहास को राजनीतिक दृष्टि से कितने कालों में बांटा जा सकता है?

उत्तर – इस सभ्यता के राजनीतिक दृष्टि से तीन कालों में बांट सकते हैं:-

  1. अंधकार युग या होमर युग ( 1200 ई.पू. से 800‌ ई.पू. )
  2. लोह युग या नगर राज्य युग ( 800 ई.पू. से 500 ई.पू. )
  3. हैलेनिस्टिक युग ( 500 ई.पू से 200 ई.पू. )

प्रश्न 2. ब्यूल व एगोरा का अर्थ क्या है?

उत्तर – राजा के परामर्श के लिए उच्च वर्ग के सम्मानित व्यक्तियों के परिषद को ब्यूल कहा जाता था। जबकि जनसाधारण की आमसभा को एगोरा कहते थे।


विस्तार से विवरण दें:-


प्रश्न 1. यूनानी सभ्यता के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन की विशेषताएं बताइए।

उत्तर – यूनानी सभ्यता के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन की निम्नलिखित विशेषताएं थी:-

धार्मिक जीवन – यूनान के लोग बहुदेववादी थे। यह लोग प्राकृतिक शक्तियों एवं जानवरों की पूजा करते थे और उनका विश्वास भूत प्रेत में भी था। इनके मुख्य देवता जियस ( आकाश का देवता ), अपोलो ( सूर्य ), हर्मस ( व्यापार का देवता ), पोसीडोन ( समुंद्र का देवता ), मार्स ( युद्ध का देवता ), डेमीटर ( अन्न की देवी ) आदि थे। इन लोगों के मनोरंजन के साधनों में नाचना, गाना और पशुओं की लड़ाई करवाना शामिल था।

सामाजिक जीवन – उस समय के समाज को 4 वर्गों में बांटा गया था।

  1. कुलीन वर्ग – यह वर्ग विशाल भू संपत्ति का स्वामी था और इसके पास बहुत बड़ी संख्या में दास होते थे। यह वर्ग युद्ध के समय नेतृत्व करता था।
  2. मध्य वर्ग – इस वर्ग में साधारण नागरिक शामिल थे जिन्हें फ्रीमैन अथवा परोआसी कहा जाता था। यह वर्ग व्यापार एवं वाणिज्य में भूमिका निभाता था।
  3. श्रमिक वर्ग – इस वर्ग में मजदूर शामिल थे। जिन्हें थीट्स कहा जाता था।
  4. दास वर्ग – इस वर्ग में दास शामिल थे जिन्हें हलोट कहा जाता था।

आर्थिक जीवन – यूनान का व्यापार दूर-दूर तक होता था। यूनानी लोगों के उद्योग मिट्टी में धातु के बर्तन बनाना, अस्त्र-शस्त्र बनाना, फर्नीचर बनाना, जैतून से तेल बनाना और अंगूर से शराब बनाना आदि प्रमुख थे। इस सभ्यता में कृषि पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था। यूनान के पहाड़ों में सोना, चांदी और लोहा निकलता था।

राजनीतिक जीवन – इस सभ्यता में राजवंशों के शासकों ने शासन किया। राजा निरंकुश होते थे और प्रजा राजा को ईश्वरतुल्य मानती थी। राजा ‘ब्यूल’ नामक परिषद के परामर्श से शासन का संचालन करता था।

उस समय के यूनान में 150 नगर थे जिसमें तीन प्रकार के नागरिक होते थे-

  1. स्वतंत्र नागरिक
  2. विदेशी नागरिक
  3. दास

आओ करके देखें :-


प्रश्न 1. विश्व के मानचित्र पर यूनानी नगर दर्शाइए।

उत्तर


प्रश्न 2. यूनानी देवी देवताओं की सूची बनाकर उनकी तुलना समकालीन सभ्यता के देवी-देवताओं से करें।

उत्तर – यूनानी लोगों के मुख्य देवता जियस ( आकाश का देवता ), अपोलो ( सूर्य ), हर्मस ( व्यापार का देवता ), पोसीडोन ( समुंद्र का देवता ), मार्स ( युद्ध का देवता ), डेमीटर ( अन्न की देवी ) आदि थे। समकालीन सभ्यता के देवी देवता इंसानी रूप में माने जाते हैं। जबकि यूनानी देवी देवता उनको सुविधाएं देने वाली प्राकृतिक वस्तुओं के नाम पर थे।


रोमन सभ्यता


आओ फिर से याद करें :-


प्रश्न 1. रोम को सात पहाड़ियों का नगर क्यों कहा जाता है?

उत्तर –  रोम एक छोटा सा गांव था जो मध्य इटली में टाइबर नदी के किनारे सात पहाड़ियों पर बसा हुआ था। इसीलिए इसे सात पहाड़ियों का नगर भी कहा जाता है।


प्रश्न 2. रोमन सभ्यता को राजनीतिक दृष्टि से कितने कालों में बांटा जा सकता है?

उत्तर – रोमन सभ्यता का राजनीतिक दृष्टि से चार कालों में बांटा जा सकता है:-

  1. राजतंत्र काल ( 753 ई.पू. से 509 ई.पू. )
  2. गणतंत्र काल ( 509 ई.पू. से 133 ई.पू. )
  3. सैनिक अधिनायकों का काल ( 133 ई.पू. से 27 ई.पू )
  4. साम्राज्यवादी काल ( 27 ई.पू. से 476 ई. )

प्रश्न 3. रोमन की शासन व्यवस्था कैसी थी?

उत्तर – रोमन की शासन व्यवस्था जनता द्वारा चुनी हुई सीनेट के हाथों में केंद्रित थी। सीनेट के सदस्यों की संख्या 300 थी परंतु यह सभी सदस्य पेट्रिशियन वर्ग के होते थे। सीनेट द्वारा दो न्यायाधीश नियुक्त किए जाते थे जिन्हें ‘कौंसल’ कहते थे। जिनका कार्यकाल एक वर्ष का होता था। इसके अतिरिक्त प्रशासन में सहायता देने के लिए तीन पदाधिकारी भी होते थे – सेन्सर्स ( कर वसूल करने वाले अधिकारी ), एल्डीज ( शांति व्यवस्था बनाए रखने वाले ) और प्रोटोर ( न्यायाधीश )।


विस्तार से विवरण दें :-


प्रश्न 1. रोमन सभ्यता के प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक जीवन का विवरण दें।

उत्तर – रोमन सभ्यता के प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक जीवन का विवरण निम्नलिखित है:-

प्रशासनिक जीवन – रोम की शासन व्यवस्था जनता द्वारा चुनी हुई सीनेट के हाथों में केंद्रित थी। सीनेट के सदस्यों की संख्या 300 थी परंतु यह सभी सदस्य पेट्रिशियन वर्ग के होते थे। सीनेट द्वारा दो न्यायाधीश नियुक्त किए जाते थे जिन्हें ‘कौंसल’ कहते थे जिनका कार्यकाल एक वर्ष का होता था। इसके अतिरिक्त प्रशासन में सहायता देने के लिए तीन पदाधिकारी भी होते थे – सेन्सर्स ( कर वसूल करने वाले अधिकारी ), एल्डीज ( शांति व्यवस्था बनाए रखने वाले ) और प्रोटोर ( न्यायाधीश )। गवर्नरों को वेतन ना मिलने के कारण वे जनता से मनमाना कर वसूल करते थे।

आर्थिक जीवन – रोमन लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि एवं पशुपालन था। वे गेहूं, जौ, बाजरा, अंगूर, जैतून, सेब जैसी फसलें उगाते थे। यहां पर लोग वस्त्र उद्योग बर्तन उद्योग सोना-चांदी के आभूषण बनाने के कार्य भी करते थे। ये लोग भारत से मलमल, अफ्रीका से धातु, चीन से रेशम, यूनान से लोहे का व्यापार भी करते थे।

सामाजिक एवं धार्मिक जीवन – रोम में परिवार संयुक्त होते थे। परिवार के सदस्यों को उनके मुखिया की आज्ञा का पालन करना पड़ता था। वे लोग देवताओं के अपेक्षा आत्माओं पर अधिक यकीन करते थे। उनके प्रमुख देवता जुपिटर (शांति का देवता), मार्स (युद्ध का देवता), वीनस (प्रेम की देवी), वेस्टा (अग्नि देवता), अपोलो (संगीत व कला का देवता) आदि थे।


आओ करके देखें :-


प्रश्न 1. विश्व के मानचित्र पर रोमन साम्राज्य से जुड़े देशों को दर्शाइए।

उत्तर

हिंदी में मानचित्र उपलब्ध नहीं था इसीलिए इंग्लिश में दिया है। आप खुद इनके नाम हिंदी में लिख सकते है।


प्रश्न 2. रोमन सभ्यता के सामाजिक वर्गों की सूची बनाइए।

उत्तर – इस समय समाज दो वर्गों में विभक्त था पेट्रीशियन वर्ग एवं प्लेबियन वर्ग। पेट्रिशियन वर्ग में लैटिन लोग थे जो रोम के वास्तविक निवासी थे। इस वर्ग में रोम के उच्च एवं कुलीन परिवार के व्यक्ति आते थे। दूसरे वर्ग, प्लेबियन में स्वतंत्र दास भूमिहीन और गरीब व्यक्ति आते थे।


प्रश्न 3. रोमन देवी देवताओं की सूची बनाकर उनकी तुलना समकालीन सभ्यता के देवी-देवताओं से करें।

उत्तर –  रोमन लोगों के प्रमुख देवता जुपिटर (शांति का देवता), मार्स (युद्ध का देवता), वीनस (प्रेम की देवी), वेस्टा (अग्नि देवता), अपोलो (संगीत व कला का देवता) आदि थे। समकालीन सभ्यता के देवी देवता इंसानी रूप में माने जाते हैं। जबकि रोमन देवी देवता खगोलीय पिंडों के नाम पर थे।


चीन की सभ्यता


आओ फिर से याद करें :-


प्रश्न 1. चीनी सभ्यता के आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक इतिहास की विशेषताएं क्या थी?

उत्तर – चीनी सभ्यता के आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक इतिहास की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-

1. आर्थिक जीवन – चीन के लोग कृषि और पशुपालन का कार्य करते थे। यहां बाजरा, चावल, गेहूं तथा फलों की खेती होती थी। चीन के लोगों का मुख्य व्यवसाय रेशम उद्योग था। कुछ लोग मछली पकड़ने का व्यवसाय भी करते थे। यहां व्यापारियों के संघ बने हुए थे जो विदेशों से उन, तंबाकू, शीशा, कीमती पत्थर मंगवाते थे तथा चीनी मिट्टी के बर्तन, बारूद व ताश विदेशों में भेजते थे।

2. सामाजिक जीवन – चीनियों के अनुसार संसार के निर्माता पानकू ने समाज के चार वर्ग बनाएं। प्रथम वर्ग मंदारिन का था। इसमें विद्वान, अध्यापक, उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति आते थे। दूसरा वर्ग किसानों का, तीसरा वर्ग कारीगरों का, चौथा वर्ग व्यापारियों का था।

3. धार्मिक जीवन – चीन के विद्वान एकेश्वरवादी तथा जनता बहुदेववादी थी। यहां प्रकृति की पूजा की जाती थी। उनके प्रमुख देवता यंग ( आकाश का देवता ), चीन ( वायु तथा पृथ्वी का देवता ) थे। चीनी लोग भूत-प्रेत अपशगुन में जादू टोने में विश्वास करते थे। छठी शताब्दी ई.पू. में भारत से यहां बौद्ध धर्म का भी काफी प्रसार हुआ।


प्रश्न 2. चीनी सभ्यता की प्रांतीय शासन व्यवस्था कैसी थी?

उत्तर – दो या तीन ‘हिन’ ( गांवों का समूह ) का एक ‘फू’ बनता था जो प्रांत के समान होता था। प्रांतों को ‘सैंग’ भी कहा जाता था। यहां छोटे-छोटे गांव और नगर थे, जिनकी शासन व्यवस्था एक न्यायाधीश और एक राज्यपाल चलाता था। इनकी नियुक्ति सम्राट करता था।


विस्तार से विवरण दें :-


प्रश्न 1. चीनी सभ्यता के राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक जीवन की विशेषताओं का विवरण दीजिए।

उत्तर – चीनी सभ्यता के राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक इतिहास की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-

1. राजनीतिक जीवन – चीन में राजा को ‘वांग’ कहा जाता था। वह सबसे बड़ा न्यायधीश और पुरोहित होता था। जनता उसे अपना पिता समझती थी और उसे ईश्वर पुत्र कहकर उसकी पूजा करती थी।

  • मंत्री परिषद – वांग ने शासन कार्य के लिए मंत्री परिषद का गठन किया जिसमें चार मंत्री होते थे जो राजा को परामर्श देते थे। इसके अतिरिक्त छह सदस्यों की परिषद भी होती थी। जैसे- लोक सेवा समिति, माल व वित्त समिति, संस्कार व उत्सव समिति, युद्ध व रक्षा समिति, दंड व न्याय समिति तथा सार्वजनिक हित समिति।
  • प्रांतीय शासन व्यवस्था – दो या तीन ‘हिन’ ( गांवों का समूह ) का एक ‘फू’ बनता था जो प्रांत के समान होता था। इनकी शासन व्यवस्था एक न्यायाधीश और एक राज्यपाल चलाता था।

2. सामाजिक जीवन – चीनियों के अनुसार संसार के निर्माता पानकू ने समाज के चार वर्ग बनाएं। प्रथम वर्ग मंदारिन का था। इसमें विद्वान, अध्यापक, उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति आते थे। दूसरा वर्ग किसानों का, तीसरा वर्ग कारीगरों का, चौथा वर्ग व्यापारियों का था।

3. धार्मिक जीवन – चीन के विद्वान एकेश्वरवादी तथा जनता बहुदेववादी थी। यहां प्रकृति की पूजा की जाती थी। उनके प्रमुख देवता यंग ( आकाश का देवता ), चीन ( वायु तथा पृथ्वी का देवता ) थे। चीनी लोग भूत-प्रेत अपशगुन में जादू टोने में विश्वास करते थे। छठी शताब्दी ई.पू. में भारत से यहां बौद्ध धर्म का भी काफी प्रसार हुआ।

4. आर्थिक जीवन – चीन के लोग कृषि और पशुपालन का कार्य करते थे। यहां बाजरा, चावल, गेहूं तथा फलों की खेती होती थी। चीन के लोगों का मुख्य व्यवसाय रेशम उद्योग था। कुछ लोग मछली पकड़ने का व्यवसाय भी करते थे। यहां व्यापारियों के संघ बने हुए थे जो विदेशों से उन, तंबाकू, शीशा, कीमती पत्थर मंगवाते थे तथा चीनी मिट्टी के बर्तन, बारूद व ताश विदेशों में भेजते थे।


आओ करके देखें :-


प्रश्न 1. चीन की सभ्यता के उदय में भूमिका अदा करने वाले प्रमुख नदियों की सूची बनाइए एवं मानचित्र पर दर्शाइए।

उत्तर – चीन की सभ्यता के उदय में भूमिका अदा करने वाली प्रमुख नदियां:-

  • सिक्यांग
  •  ह्वांग ह्वो
  • वांग ह्वो

मानचित्र को छात्र अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं कोशिश करें।


प्रश्न 2. कन्फ्यूशियस एवं बौद्ध धर्म की प्रमुख विशेषताओं की तुलना करें।

उत्तर – कन्फ्यूशियस एक चीनी दार्शनिक था। उसके अनुसार भलाई मनुष्य का स्वाभाविक गुण हैं और यह गुण ईश्वर से प्राप्त होता है। इस स्वभाव के अनुसार कार्य करना ईश्वर की इच्छा का आदर करना है और इसके अनुसार कार्य ना करना ईश्वर की अब क्य करना है।

बौद्ध धर्म ईश्वर और वेदों की प्रमाणिकता पर विश्वास नहीं करता है। वह वर्ण को गुण व कर्म के अनुसार मानता है। वह अहिंसा और पशुओं की रक्षा पर अत्यधिक जोर देता है।


माया सभ्यता


आओ फिर से याद करें :-


प्रश्न 1. माया सभ्यता की क्षेत्रों में फैली हुई थी?

उत्तर – यह सभ्यता आधुनिक ग्वाटेमाला, बेलीजे, दक्षिण पूर्व मेक्सिको और होंडुरास तथा अल सेलवेडोर के पश्चिमी क्षेत्र में फैली हुई थी।


प्रश्न 2. माया सभ्यता का श्रेष्ठ युग किसे माना जाता है?

उत्तर – माया सभ्यता का श्रेष्ठ युग 500 ई.पू.  से 1000 ई. के बीच माना जाता है। इस समय के दौरान माया सभ्यता बहुत विकसित हुई और फली-फूली।


आइए विचार करें :-


प्रश्न 1. माया सभ्यता के लिए राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की विशेषताओं का विवरण दीजिए।

उत्तर – माया सभ्यता के राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-

राजनीतिक जीवन – इस सभ्यता में राज्यों के मुखिया ‘असली पुरुष’ या ‘हेलेक यूनिक’ के नाम से जाने जाते थे। इनका पद अनुवांशिक था। इन मुखिया के अधीन शहरों के सरदार थे जिन्हें बाताबोब कहते थे। बाताबोब अपने शहर के शासन की देखरेख करते थे। जरूरत पड़ने पर बात आप लोग सेना का नेतृत्व भी करते थे।

आर्थिक जीवन – लोगों का मुख्य कार्य कृषि व पशुपालन था। ये लोग गेहूं, जौ, चना, गन्ना, नारियल आदि फसलें उगाते थे और इसके साथ-साथ गाय व बकरी पालते थे। माया सभ्यता में नाव, सूती वस्त्र, तांबे की घंटियां, तलवार में आभूषण बनाने के कार्य होते थे।

धार्मिक जीवन – माया सभ्यता का पंचांग 3114 ई.पू. शुरू किया गया था इस कैलेंडर में हर 394 वर्ष के बाद बाकतुन नाम के एक काल का अंत माना चाहता था। देवताओं के चित्र गचकारी मुखोटे से बनाए जाते थे और उनकी पूजा मंदिरों में की जाती थी। देवताओं को खुश करने के लिए बलि भी दी जाती थी। यहां नगर व राज्यों के अपने-अपने देवता होते थे।

सामाजिक जीवन – माया वासियों ने चौड़ी सड़कें बनवाई थी जो ‘स्केब’ या ‘स्केबओब’ के नाम से जानी जाती थी। किसानों के घर कच्चे होते थे। जिन्हें ‘ना’ कहा जाता था। जबकी बाताबोब के घरों में सुंदर नक्काशीदार लकड़ी का प्रयोग होता था।


आओ करके देखें :-


प्रश्न 1. अमेरिका के मानचित्र पर माया सभ्यता से जुड़े स्थान अंकित करें।

उत्तर – छात्र अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं कोशिश करें।


प्रश्न 2. माया सभ्यता के पंचांग की सुमेरियन सभ्यता के पंचांग से तुलना करके देखें।

उत्तर – छात्र अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं कोशिश करें।


 

Leave a Comment

error: