राजस्थान की रजत बूंदे Class 11 Hindi Important Question Answer – वितान भाग 1 NCERT Solution

NCERT Solution for Class 11 Hindi Chapter 1 Vitan Bhag 1 Rajasthan Ki Rajat Bunde Important Question for HBSE. Here we Provides Class 1st to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions for CBSE, HBSE, Up Board, RBSE, MP Board and some other State Boards.

Also Read – Class 11 Hindi आरोह भाग 1 NCERT Solution

  1. Also Read – Class 11 Hindi आरोह भाग 1 Solution in Videos
  2. Also Read – Class 11 Hindi वितान भाग 1 Solution in Videos
  3. Also Read – Class 11 Hindi अभिव्यक्ति और माध्यम Solution in Videos

Class 11 Hindi Important Questions and Answer of राजस्थान की रजत बूंदे / Rajasthan Ki Rajat Bunde NCERT Solution

राजस्थान की रजत बूंदे Class 11 Hindi महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1. राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं ? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है ?

उत्तर – राजस्थान का इलाका रेतीला है। वहां वर्षा का पानी रेत में समा जाता है, जिससे नीचे की सतह पर नमी फैल जाती है उसी नमी से पानी प्राप्त करने के लिए राजस्थान में कुओं से छोटी और कम गहरी कुईं का निर्माण किया जाता है। इन कुंइयों में वर्षा की नमी से पूरे वर्ष पीने का पानी प्राप्त किया जाता है। कुई की गहराई और व्यास सामान्य कुओं की गहराई और व्यास से कम होता है। कुंई का घेरा कम इसलिए रखा जाता है क्योंकि धरती की नमी से पूरे दिन में दो-तीन घड़े पानी निकलता है संकरा घेरा पानी को फैलने से रोकता है। पानी को ढक कर रखने में भी सुविधा होती है। कुंई को कुएं से इसलिए कम गहरा रखा जाता है जिससे पानी निकालने में असुविधा न हो। कुओं की गहराई और व्यास कुंइयों से ज्यादा होती है। कुओं का पानी भूजल से प्राप्त होता है, यह प्राय: खारा होता है।


प्रश्न 2. ‘राजस्थान की रजत बूंदें’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – राजस्थान की रजत बूंदें पाठ के माध्यम से लेखक ने पानी को प्रकृति की अनमोल धरोहर बताया है। बढ़ते प्रदूषण के कारण पीने के पानी में कमी आ रही है। लेखक ने इस पाठ के माध्यम से पुराने ढंग से राजस्थान में आज भी पीने का पानी प्राप्त किया जा रहा है, का वर्णन किया है। राजस्थान में मरुभूमि होने के कारण पानी की समस्या सदियों से चली आ रही है, परंतु वहाँ के समाज ने बहुत मंथन करके अमृत जैसा मीठा पानी अपनी सूझ-बूझ से प्राप्त किया है। जिस क्षेत्र में रेत के दस-पंद्रह हाथनीचे खड़िया पट्टी पाई जाती है वहाँ वर्षा का पानी रेत में समाकर नमी के रूप में फैल जाता है। उस क्षेत्र के लोग कम व्यास और गहरी कुंइयों का निर्माण करके उस नमी से बूँद-बूँद कर साल भर पानी प्राप्त करते हैं। क्रुंइयों को संकरा इसलिए रखा जाता है कि पानी फैल न सके, क्योंकि फैला हुआ पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है। इस तरह मरुभूमि के लोग बरसात के पानी की नमी को साल भर सहेज कर रखते और पानी प्राप्त करते हैं। लेखक ने इस पाठ के माध्यम से यह कहने का प्रयास किया है कम पानी वाले क्षेत्रों में यदि बरसात की नमी को सहेज कर रखा जाए और कुंइयों का निर्माण करने से पीने के पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है ।


प्रश्न 3. राजस्थान में कुंइयों को कुओं से अधिक महत्त्व क्यों दिया जाता है?

उत्तर – राजस्थान का क्षेत्र रेतीला है। जिसके कारण वहाँ का पानी खारा है। कुओं में पानी भूजल से आता है इसीलिए प्राय: कुओं का पानी खारा होता है जो पीने के काम नहीं आता है। कुई का निर्माण रेजाणी पानी को भूजल से मिलने से रोकने के लिए किया जाता है। रेजाणी पानी बरसात का वह पानी होता है जो रेत के नीचे खड़िया पत्थर की पट्टी के कारण नमी के रूप में रेत में फैला रहता है। उस नमी से कुंई बनाकर बूँद-बूँद पानी इकट्ठा किया जाता है। उस पानी का स्वाद अमृत जैसा मीठा होता है। कुई का पानी पीने के काम आता है। इसीलिए राजस्थान में कुओं से अधिक कुंइयों को महत्त्व दिया जाता है।


प्रश्न 4. कुंई का मुँह छोटा क्यों रखा जाता है ? कारण बताएं।

उत्तर – कुंई, कुएँ का ही एक रूप है कुईं का मुँह छोटा रखा जाता है। इसका यही कारण उसे कुएँ से अलग करता है। कुंई का मुँह छोटा रखने के तीन कारक हैं
1. रेत में जमा नमी से पानी की बूँदें धीरे-धीरे रिसती है। जिससे दिन भर में बड़ी मुश्किल से कुई में दो या तीन घड़े पानी जमा होता है। कुंई के तल पर पानी की मात्रा कम होती है। यदि कुंई का मुँह बड़ा रखा जाए तो पानी फैल जाएगा और पानी को बाहर निकालना संभव नहीं होगा। छोटे मुंह की कुंई में धीरे-धीरे इकट्ठा हुआ पानी दो-चार हाथ की ऊँचाई ले लेता है। जिसे छोटी चड़स से निकाल लिया जाता है।
2. कुंई के घेरे का संबंध इन क्षेत्रों में पड़ने वाली तेज़ गरमी से भी है। बड़ा मुँह होने पर फैला हुआ पानी वाष्प बनकर उड़ जाएगा। इसीलिए कुंई का मुँह छोटा रखा जाता है, जिससे पानी को वाष्प बनने से रोका जा सके।
3. कुंई के पानी को साफ़ रखने के लिए उसे ढककर रखना ज़रूरी है। छोटे मुँह को ढकना सरल होता है। इन्हीं कारणों से कुंई, कुएँ का रूप होते हुए भी उसका मुँह छोटा रखा जाता है।


प्रश्न 5. रेजाणी पानी की क्या विशेषता है ? रेजा शब्द का प्रयोग किस लिए किया जाता है ?

उत्तर – रेजाणी पानी पालर पानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप है। धरातल से नीचे उतरा लेकिन पाताल में न मिल पाया पानी रेजाणी है। रेजाणी पानी से ही कुंई बनाकर पीने का पानी प्राप्त किया जाता है। वर्षा की मात्रा मापने के लिए इंच या सेंटीमीटर नहीं, बल्कि रेजा शब्द का उपयोग किया जाता है। रेजा का माप धरातल पर हुई वर्षा को नहीं, धरातल में समाई वर्षा को मापता है। जैसे मरुभूमि में वर्षा का पानी पाँच अंगुल रेत के भीतर समा जाए तो यह कहा जाएगा कि उस दिन पाँचअंगुल रेजा वर्षा हुई है।


प्रश्न 6. गोधूलि के समय कुंइयों पर कैसा वातावरण होता है ?

उत्तर – गोधूलि के समय पूरा गाँव कुंइयों पर आ जाता है। तब वहाँ मेला-सा लग जाता है। गाँव से लगे मैदान पर तीस चालीस कुंइयों पर पानी निकालने के लिए घिरनी का स्वर गूँजने लगता है। गोचर से लौट रहे पशुओं की घंटियों और रंभाने की आवाजें भी वहाँ के वातावरण में घुल-मिल जाती है। गोधूलि के समय कुंइयों पर चहल-पहल का वातावरण बन जाता है।


Leave a Comment