NCERT Class 6 Hindi बाल राम कथा Ram ka Van Gaman / राम का वन गमन Chapter 4 Summary for Preparation of Exams and chapter understandings. Here we Provide Class 6 Hindi Question Answer, Important Questions, MCQ and Path ka Sar for Various State Boards like CBSE, Haryana Boards and Other baords. bal ram katha class 6 summary Chapter 4 solution Pdf download available soon.
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NCERT Class 6 Hindi बाल राम कथा / Bal Ram Katha Chapter 4 Ram ka Van Gaman / राम का वन गमन Summary / पाठ का सार Solution.
राम का वन गमन Class 6 Hindi Chapter 4 Summary
पाठ का सार
राज भवन के अंदर की जानकारी बाहर किसी को नहीं थी। राजा दशरथ जब भी होश में आते तो केकई को समझाते कि वह ऐसा ना करें। उधर नगरवासी राज्यभिषेक की तैयारी में जुटे हुए थे और गुरु वशिष्ठ भी राम का राज्याभिषेक चाहते थे। महामंत्री सुमंत्र राजभवन आए क्योंकि कल शाम से उन्होंने महाराज को नहीं देखा था। जब सुमंत महल पहुंचे तो उन्होंने देखा कि महाराज दशरथ बीमार पड़े हुए थे। इस पर केकई ने कहा कि वह पूरी रात सोए नहीं है इसलिए ऐसा लग रहा है वह राम से बातचीत करना चाहते हैं। कुछ ही पलों में राम वहां पहुंच गए । लक्ष्मण भी उनके साथ थे।
जब राम ने उनसे पूछा तो दशरथ कुछ जवाब नहीं दे पाए। इस पर केकई ने कहा कि राजा दशरथ ने मुझे दो वरदान दिए थे और अब वे अपने वरदानों से मुकर रहे हैं। कैकई ने राम को दोनों वरदान बताएं पहले वरदान के रूप में भरत का राज्य अभिषेक और दूसरे वरदान के रुप में राम का 14 वर्ष का वनवास। राम पिता की आज्ञा पाकर वन गमन के लिए तैयार हो गए। सीता ने कहा कि मैं भी आपके साथ चलूंगी। लक्ष्मण भी श्री राम के साथ चलना चाहते थे। महर्षि वशिष्ठ का कहना था कि यदि सीता वन जाएंगी तो सब अयोध्यावासी उनके साथ जाएंगे । भरत सूनी अयोध्या पर राज करेंगे।
उसके बाद वे माता-पिता की आज्ञा पाकर वहां से रथ में बैठ कर चल दिए। रथ महामंत्री सुमंत चला रहे थे। रथ पूरे दिन चलता रहा और तमसा नदी के तट पर पहुंचते-पहुंचते श्याम हो गई। उन्होंने रात वहीं व्यतीत की। वे सुबह उठकर दक्षिण दिशा की ओर चले और गोमती नदी पार कर सई नदी के तट पर पहुंच गए। राजा दशरथ के राज्य की सीमा यहीं समाप्त होती थी। राम ने अपनी जननी को प्रणाम किया और कहा कि अब 14 वर्ष बाद ही तुम्हारे दर्शन करूंगा। शाम होते-होते गंगा किनारे पहुंचे जहां पर निषादराज गुह ने उनका श्रंगवेरपुर गांव में स्वागत किया।
अगली सुबह राम ने महामंत्री को वापस राज्य भेज दिया और खुद आगे चल दिए। सुमंत के अयोध्या पहुंचने पर राजा दशरथ ने उनसे अनेकों सवाल किए। सुमंत ने सभी सवालों का एक-एक कर जवाब दिया। पर फिर भी महाराज की बेचैनी बनी रही और वन गमन के छठे दिन महाराज दशरथ ने अपने प्राण त्याग दिए। वैराम का वियोग सहन नहीं कर पाए।दूसरे दिन महर्षि वशिष्ठ ने मंत्रिपरिषद की सलाह पर भरत को तुरंत अयोध्या लाने के लिए बुलावा भेजा।