राष्ट्रीय चेतना के तत्व Class 9 इतिहास Chapter 2 Question Answer – हमारा भारत IV HBSE Solution

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HBSE Class 9 इतिहास / History in hindi राष्ट्रीय चेतना के तत्व / Rastriya chetna ke pramukh tatv Question Answer for Haryana Board of chapter 2 in Hamara bharat IV Solution.

राष्ट्रीय चेतना के तत्व Class 9 इतिहास Chapter 2 Question Answer


फिर से जाने –


  1. थियोसोफिकल सोसायटी की प्रमुख नेता श्रीमती एनी बेसेंट थी।
  2. मेडलिन स्लेड का भारतीय नाम मीरा बेन था।
  3. एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना विलियम जोंस ने की।
  4. ‘केसरी’ नामक समाचार पत्र का संबंध लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक से था।
  5. दीनबंधु मित्र द्वारा रचित नाटक का नाम नील दर्पण था।
  6. भारत में अंग्रेजी शिक्षा 1835 ई. में प्रारंभ हुई।
  7. सुभाष चंद्र बोस गैरीबाल्डी ( इटली ) से बहुत प्रभावित थे।

मिलान कीजिए –


  1. बंकिम चंद्र चटर्जी
  2. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
  3. दादाभाई नौरोजी
  4. राजा राममोहन राय
  5. वीर सावरकर
  • मराठा
  • बंगदूत
  • आनंदमठ
  • द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस—1857
  • पॉवर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया

उत्तर –

  1. बंकिम चंद्र चटर्जी
  2. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
  3. दादाभाई नौरोजी
  4. राजा राममोहन राय
  5. वीर सावरकर
  • आनंदमठ
  •  मराठा
  • पॉवर्टी एण्ड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया
  • बंगदूत
  • द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस—1857

आइये विचार करें


प्रश्न 1. अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियों का भारत और भारतीयों पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर – अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियों के भारत और भारतीयों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े

  • अंग्रेजों ने भूमि कर इकट्ठा करने के लिए बहुत सख्त भू राजस्व नीतियां लागू की जिससे कृषि पर निर्भर विभिन्न वर्गों बहुत अधिक गरीब हो गए।
  • औद्योगिक क्रांति आने से भारत से कच्चा माल निर्यात और तैयार माल आयात होने लगा। जिससे भारत के हस्तशिल्प व लघु उद्योग नष्ट हो गए तथा भारतीय व्यापारियों को बहुत हानि उठानी पड़ी।
  • भारत से बड़ी मात्रा में धन लगातार इंग्लैंड जाता रहा जिससे भारत में धन की कमी होने लगी और भारत गरीबी में आ गया।

 2. अंग्रेजी शासन की आलोचना करने वाले समाचार पत्रों का वर्णन करें?

उत्तर – राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित ‘बंगदूत’, ‘संवाद कौमुदी’, ‘ब्राह्मनिकल’ प्रारम्भिक समाचार-पत्र थे। बाद में और भी अनेक समाचार-पत्र, जैसे ‘बंगाली’, ‘अमृत बाजार पत्रिका’, ‘इन्दु प्रकाश’, ‘मराठा’, ‘केसरी’, ‘दि हिन्दू’, ‘कोहिनूर’, ‘प्रताप’, ‘यंग इंडिया’ आदि प्रकाशित हुए। 1877 ई. तक भारतीय भाषाओं में छपने वाले समाचार-पत्रों की संख्या एक सौ उनहत्तर तक पहुँच गई थी। इन समाचार-पत्रों में अंग्रेजी सरकार की आलोचना प्रकाशित होने लगी तथा लोगों में लोकतांत्रिक विचारों को लोकप्रिय बनाया।


3. अंग्रेजों ने भारत में अंग्रेजी शिक्षा का आरंभ किन स्वार्थों के लिए किया? भारतीयों ने इस शिक्षा का कैसे लाभ उठाया?

उत्तर – अंग्रेजी शिक्षा को लागू करने के पीछे अंग्रेजी सरकार का उद्देश्य सस्ते क्लर्क, वफादार वर्ग तथा अंग्रेजी माल की अधिक से अधिक खपत करना था । आरंभ में ऐसा हुआ भी किंतु शीघ्र ही अंग्रेजी पढ़कर भारत में एक नए भारतीय बुद्धिजीवी वर्ग का उदय हुआ। पश्चिमी शिक्षा का लाभ उठाते हुए भारतीयों ने पश्चिमी साहित्य जैसे- 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति, इटली व जर्मनी के एकीकरण व आयरलैण्ड के स्वतंत्रता संघर्ष से प्रेरणा लेकर यह वर्ग स्वतंत्रता व स्वशासन की ओर आकर्षित हुआ।


4. क्या भारत में राष्ट्रीयता अंग्रेजों की देन है?

उत्तर – हां, भारत में राष्ट्रीयता अंग्रेजों की देन है। अंग्रेजों के शोषण और अत्याचार की वजह से भारत के सभी वर्ग भारत को आजाद कराने के लिए विरोध करने लगे। भारत में पश्चिमी भाषा लागू करने से भारतीयों को दूसरे देशों के संघर्ष के बारे में पता चला और भारतीय स्वतंत्र राष्ट्र बनाने की कामना करने लगे।


5. भारत के गौरवशाली इतिहास द्वारा किस प्रकार भारतीयों में आत्मसम्मान व स्वाभिमान की भावना ने जन्म लिया ?

उत्तर – विदेशी विद्वानों ने प्राचीन भारतीय इतिहास पर शोध करके भारत की प्राचीन गौरवशाली सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहर को विश्व के सामने रखा। जेम्स प्रिन्सेप द्वारा ब्राह्मी लिपि पढ़ने से अशोक महान जैसे मौर्य सम्राट की जानकारी मिली, तो वहीं कनिंघम के पुरातात्त्विक उत्खनन से भारत की महान प्राचीन धरोहर का पता चला। यह ऐतिहासिक धरोहर किसी भी प्रकार से यूनान व रोम की सभ्यताओं से कमतर नहीं थी। कई विदेशी विद्वानों ने वेदों व उपनिषदों का गुणगान किया जिससे भारतीयों में आत्महीनता के स्थान पर आत्मसम्मान व स्वाभिमान की भावना ने जन्म लिया।


आओ करके देखें –


1. अपने शहर के किसी स्वतंत्रता सेनानी के बारे में पता लगाएं तथा उनसे भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर चर्चा कर दिए गए विवरण को लिखें।

उत्तर – छात्र अध्यापक की सहायता से स्वयं कोशिश करें


2. 19वीं शताब्दी के किसी एक राष्ट्रीय नेता के बारे में जानकारी इकट्ठा करके एक निबंध लिखें।

उत्तर – बाल गंगाधर तिलक एक निडर, साहसी, एक ऐसे नेता व पत्रकार थे जिनकी भाषा सरल, स्पष्ट एवं सीधी चोट करने वाली थी। उन्होंने 1881 ई में मराठी भाषा ‘केसरी’ और अंग्रेजी भाषा में ‘मराठा’ नामक अखबारों का संपादन शुरू किया। 1896 ई. में उन्होंने ही विदेशी वस्तुओं की होली जलाकर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के कूका आंदोलन के अस्त्र का व्यापक प्रयोग शुरू किया। 27 जून 1898 ई. को चापेकर बंधुओं ने पूना के प्लेग कमिश्नर रैंड की हत्या कर दी। रैंड की हत्या को लेकर तिलक पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने ये साजिश की तथा उन पर राजद्रोह का मुकद्दमा चलाया गया। अदालत ने उन्हें 18 महीनें की सजा दी। भारतीय अखबारों ने इसकी कड़ी आलोचना की तथा रातों रात तिलक सारे भारत में जनप्रिय हो गए और उन्हें ‘लोकमान्य’ की उपाधि दी गई। 18 महीनों की सजा के बाद तिलक को जेल से रिहा कर दिया गया तथा पुनः 1908 ई. में उन पर राजद्रोह का मुकद्दमा लगाकर 6 वर्ष की सजा दे दी गई।तिलक छह वर्ष की सजा (मांडले) काटकर 1914 ई. में भारत पहुँचे तब प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918 ई.) शुरू हो चुका था। तिलक ने अनुभव किया भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन निराशा में घिरा हुआ है। उन्होंने होमरूल लीग का गठन करके एनी बेसेंट से मिलकर ‘होमरूल आंदोलन’ चलाया। होमरूल आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन के लिए जुझारू योद्धाओं का एक विशाल संगठन तैयार किया। विश्वयुद्ध की समाप्ति तक आजादी की लड़ाई की एक ऐसी पीढ़ी तैयार हो गई जिसने भविष्य में राष्ट्रीय संघर्ष को जुझारू एवं संघर्षशील बनाया।


 

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