सरस्वती-सिंधु सभ्यता Class 10 इतिहास Chapter 1 Important Question Answer – भारत एवं विश्व HBSE Solution

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HBSE Class 10 इतिहास / History in hindi सरस्वती-सिंधु सभ्यता / saraswati sindhu sabhyata Important Question Answer for Haryana Board of chapter 1 in Bharat avam vishwa Solution.

सरस्वती-सिंधु सभ्यता Class 10 इतिहास Chapter 1 Important Question Answer


प्रश्न 1 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता की नगर योजना की प्रमुख विशेषताएं क्या थी?
or
सरस्वती सिंधु सभ्यता की नगर योजना की कोई दो विशेषताएं लिखिए। ( HBSE 2022 )
or
सरस्वती-सिंधु सभ्यता के विभिन्न प्रकार के भवनों पर नोट लिखो। ( HBSE 2022 )
or
सरस्वती सिंधु सभ्यता में भवनों की संरचना कैसी होती थी?

उत्तर – सरस्वती-सिंधु सभ्यता की नगर योजना की प्रमुख विशेषताएं –

  1. इस सभ्यता के नगरों में प्रायः पूर्व और पश्चिम दिशा में दो टीले मिलते हैं। पूर्व दिशा के टीले पर आवास क्षेत्र और पश्चिम टीले पर दुर्ग स्थित होता था।
  2. नगर के आवास क्षेत्र में सामान्य नागरिक, व्यापारी, शिल्पकार, कारीगर और श्रमिक रहते थे। दुर्ग के अंदर प्रशासनिक, सार्वजनिक भवन और अन्नागार स्थित थे।
  3. इस सभ्यता की सड़कें नगरों को पाँच- छ: खंडों में विभाजित करती थी। मोहनजोदड़ो में मुख्य सड़कें 9.15 मीटर तथा गलियां औसतन 3 मीटर चौड़ी थी। सड़के कच्ची होती थी लेकिन साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता था। सड़कों के किनारे कूड़ेदान भी रखे जाते थे।
  4. घरों की नालियां सड़क के किनारे बड़े नाले में गिरती थी। फिर नालों के माध्यम से पानी नगर से बाहर जाता था। नालिया पक्की ईंटों की बनाई जाती थी और इन्हें ऊपर से ढक दिया जाता था।
  5. इस सभ्यता की आवासीय भवनों में तीन-चार कमरे, रसोईघर, स्नानघर और भवन के बीच में आंगन होता था। संपन्न लोगों के घरों में कुआं और शौचालय भी होते थे। मकानों में खिड़कियां, रोशनदान, फर्श और दीवारों पर पलस्तर के सबूत भी मिले हैं।

प्रश्न 2 – सरस्वती – सिंधु सभ्यता की नगर योजना में सड़कों व गलियों की व्यवस्था कैसी थी ? ( HBSE 2023 )

उत्तर –सड़कों और गलियों की व्यवस्था में मुख्य सड़कों ने शहर को पाँच या छह खंडों में विभाजित किया। मोहनजोदड़ो की मुख्य सड़कें औसतन 9.15 मीटर चौड़ी थीं और सड़कें औसतन 3.0 मीटर चौड़ी थीं। सड़कें कच्ची थीं। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया।


प्रश्न 3 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता के पतन के कारणों के बारे में विस्तार से चर्चा करे।

उत्तर – इस सभ्यता के पतन के एक नहीं बल्कि अनेक कारण उत्तरदाई रहे होंगे। नीचे पतन के कुछ प्रमुख कारण लिखे गए हैं:-

  1. प्रशासनिक शिथिलता – बस्ती का आकार सीमित होने के कारण और स्वच्छता में कमी के कारण यह सभ्यता समाप्त हो गई।
  2. जलवायु परिवर्तन – वर्षा कम होने के कारण तथा सरस्वती नदी का पानी सूखने की वजह से उनका पतन हुआ।
  3. बाढ़ – मोहनजोदड़ो, चान्हुदड़ो, लोथल और भगतराव के उत्खनन में बाढ़ के साक्ष्य भी मिले हैं। यह भी पतन का कारण हो सकता है।
  4. विदेशी व्यापार में गतिरोध – इस सभ्यता के विदेशी व्यापार में कमी आने के कारण आर्थिक ढांचा कमजोर हो गया। जिसके कारण बहुमूल्य वस्तुओं की जगह स्थानीय उत्पादन की मांग बढ़ी और लोगों के जीवन स्तर में बहुत भारी गिरावट आई।
  5. महामारी – मोहनजोदड़ो से प्राप्त 42 मानव कंकाल के अध्ययन से पता चला कि उनमें से 41 की मौत मलेरिया से हुई थी। यह भी इस सभ्यता के पतन का कारण हो सकता है।

प्रश्न 4 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता के व्यापारिक केंद्रों की सूची बनाइए।

उत्तर –

  • हड़प्पा
  • मोहनजोदड़ो
  • लोथल
  • कालीबंगा
  • चान्हूदड़ो

प्रश्न 5 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता के विस्तार कहां तक फैला है?

उत्तर – यह सभ्यता पूर्व में आलमगीरपुर ( पश्चिमी उत्तर प्रदेश ) से पश्चिम में सुत्कागेनडोर ( बलूचिस्तान ) तक और उत्तर में मांडा ( जम्मू ) से लेकर दक्षिण में दायमाबाद ( महाराष्ट्र ) तक था। इस सभ्यता का क्षेत्रफल 2,15,000 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें पूर्व से पश्चिम तक 1600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण तक 1400 किलोमीटर है।


प्रश्न 6 – सरस्वती सिंधु सभ्यता में भवनों की संरचना कैसी होती थी?

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता में आवासीय और सामुदायिक भवन मिलते हैं। आवासीय भवनों में तीन चार कमरे रसोईघर स्नानघर और भवन के बीच में आंगन होता था। सामुदायिक भवनों में सभा भवन अन्नागार और स्नानागार मिलते हैं।


प्रश्न 7 – मोहनजोदड़ो से प्राप्त खंडित पुरुष की मूर्ति का वर्णन करें।

उत्तर – मोहनजोदड़ो से प्राप्त खंडित पुरुष की मूर्ति 19 सेंटीमीटर लंबी है, जो तिपतिया अलंकरण से युक्त शाल ओढ़े हुए हैं। इसकी दाढ़ी विशेष रूप से संवरी हुई है और केस पीछे की ओर संवार कर एक फीते से बंधे हुए हैं। दाहिने हाथ पर एक भुजबंद बंधा हुआ है।


प्रश्न 8 – मोहनजोदड़ो से मिली पशु और पक्षियों की मूर्तियों का वर्णन करें।

उत्तर – मोहनजोदड़ो से मिली पशु और पक्षियों की मूर्तियों में बैल, भेड़, बकरी, कुत्ता, हाथी, सूअर, मोर, बत्तख, तोता और कबूतर की मूर्तियां पाई गई हैं।


प्रश्न 9 – सरस्वती सिंधु सभ्यता के प्रमुख वर्ग कौन-कौन से थे?

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता के समाज में कृषक, कुंभकार, बढ़ई, नाविक, श्रमिक, आभूषण बनाने वाले शिल्पी और जुलाहे महत्वपूर्ण वर्ग थे।


प्रश्न 10 – सरस्वती सिंधु सभ्यता के लोग किस प्रकार का भोजन करते थे?

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार का भोजन करते थे। इनका मुख्य भोजन जौ, गेहूं, चावल, फल, सब्जियां, दूध और मांस ( मछली, भेड़, बकरी, सूअर आदि ) था।


प्रश्न 11 – सरस्वती सिंधु सभ्यता के लोग किन जानवरों को पालते थे?

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता में बैल, गाय, भैंस, भेड़, बकरी, कुत्ता, गधे और सूअर को प्रमुख रूप से पाला जाता था। इस सभ्यता के लोगों ने घोड़े और ऊंट को भी पालतू बनाया। इनके अलावा जंगली सूअर, चिंकारा, हाथी, हिरण और नीलगाय पालने के प्रमाण भी मिले हैं।


प्रश्न 12 – मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति शिव की मूर्ति का वर्णन कीजिए। 

उत्तर – मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मोहर पर सींग वाले त्रिमुखी पुरुष को सिंहासन पर योग मुद्रा में बैठे दिखाया गया है। जिसके दाहिनी तरफ हाथी और बाघ, बाई तरफ गैंडा और भैंसा दिखाया गया है। सिहासन के नीचे दो हिरण खड़े दिखलाए गए हैं। इस मूर्ति को पशुपति शिव की मूर्ति माना जाता है।


प्रश्न 13 – सरस्वती सिंधु सभ्यता के दो प्रमुख नगरों के नाम लिखिए। ( HBSE 2022 )

उत्तर –

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो

प्रश्न 14 – सरस्वती सिंधु सभ्यता की नगर योजना की कोई दो विशेषताएं लिखिए। ( HBSE 2022 )

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता की नगर योजना की कोई दो विशेषताएं –

  1. इस सभ्यता के नगरों में प्रायः पूर्व और पश्चिम दिशा में दो टीले मिलते हैं। पूर्व दिशा के टीले पर आवास क्षेत्र और पश्चिम टीले पर दुर्ग स्थित होता था।
  2. इस सभ्यता की सड़कें नगरों को पाँच- छ: खंडों में विभाजित करती थी।

प्रश्न 15 – सिंधु सभ्यता की एक बंदरगाह का नाम बताओ। ( HBSE 2022 )

उत्तर – लोथल


प्रश्न 16 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता के विभिन्न प्रकार के भवनों पर नोट लिखो। ( HBSE 2022 )

उत्तर – इस सभ्यता की आवासीय भवनों में तीन-चार कमरे, रसोईघर, स्नानघर और भवन के बीच में आंगन होता था। संपन्न लोगों के घरों में कुआं और शौचालय भी होते थे। मकानों में खिड़कियां रोशनदान फर्श और दीवारों पर पलस्तर के सबूत भी मिले हैं। सामुदायिक भवनों में सभा भवन, अन्नागार और स्नानागार मिलते हैं। भवनों को बनाने में 1:2:3 और 1:2:4 अनुपात की ईंटों का उपयोग किया गया हैं।


प्रश्न 17 – सरस्वती- सिंधु सभ्यता के लोगों का सामाजिक और धार्मिक जीवन कैसा था ? ( HBSE 2022 )

उत्तर – सरस्वती- सिंधु सभ्यता के लोगों का सामाजिक जीवन –

  • नगरों को दुर्ग क्षेत्र और आवास क्षेत्र में विभाजित किया जाता था। नगर दुर्गों में संपन्न व्यक्ति या शासक वर्ग निवास करता था।
  • आवासीय क्षेत्र में व्यापारी, सैनिक, अधिकारी, शिल्पी और मजदूर रहते थे।
  • इस सभ्यता के समाज में कृषक, कुंभकार, बढ़ई, नाविक, श्रमिक, आभूषण बनाने वाले शिल्पी और जुलाहे महत्वपूर्ण वर्ग थे।
  • उस समय पुरुष और स्त्रियां दोनों आभूषण पहना करते थे। आभूषणों में मुख्य रूप से हार, भुजबंद, कंगन, अंगूठी पहनी जाती थी।

सरस्वती- सिंधु सभ्यता के लोगों का धार्मिक जीवन –

  • इस सभ्यता के लोग मातृ शक्ति, पशुपति शिव, शिवलिंग, एक सींग वाले पशु, बैल, सांप, पीपल की पूजा करते थे।
  • इस सभ्यता में अंतिम संस्कार की तीन विधियां थी।
  1. पूर्ण समाधिकरण
  2. आंशिक समाधिकरण
  3. दाह संस्कार
  • समाधि क्षेत्र नगरों से बाहर होते थे। शवों का सिर उत्तर की ओर तथा पैर दक्षिण दिशा की ओर होते थे। कंकालों के साथ मिट्टी के बर्तन, आभूषण, उपकरण आदि रखे जाते थे।

प्रश्न 18 – लोथल किस राज्य में है? ( HBSE 2022 )

उत्तर – गुजरात


प्रश्न 19- कालीबंगा किस राज्य में है? ( HBSE 2022 )

उत्तर – राजस्थान


प्रश्न 20 – सरस्वती सिंधु सभ्यता का पतन कब हुआ? ( HBSE 2022 )

उत्तर – 1300 ई.पू.


प्रश्न 21 – सरस्वती सिंधु सभ्यता की मुख्य सड़क व गलिया कितनी चौडी थी?  ( HBSE 2022 )

उत्तर – सडके 9.15 मीटर व गलिया 3 मीटर


प्रश्न 22 – सरस्वती-सिंधु सभ्यता को आर्थिक रूप से संपन्न सभ्यता क्यों कहा गया है?

उत्तर – सरस्वती-सिंधु सभ्यता आर्थिक रूप से सम्पन सभ्यता थी। यहाँ के लोगो का मुख्य व्यवसाय कृषि था। यहां लोग मुख्य रूप से गेहूं, जौ, चावल, मूंग, मसूर, मटर, सरसों,कपास, तिल आदि की खेती करते थे। विशिष्ट प्रकार की फसलें, फसल बोने की विधि, कृषि के उपकरण, सिंचाई व्यवस्था आदि उस समय के कृषि विकास को दर्शाती है। इस सभ्यता में बैल, गाय, भैंस, भेड़, बकरी, कुत्ता, गधे और सूअर को प्रमुख रूप से पाले जाते थे। इनका प्रयोग दूध, मांस, खाल और उन के लिए होता था। यह सभ्यता वस्तुओं का आयात और निर्यात भी करती थी। स्थल मार्ग से व्यापार बैल गाड़ियों के द्वारा और समुद्री मार्ग में व्यापार नाव के द्वारा किया जाता था।


प्रश्न 23 – सरस्वती- सिंधु सभ्यता की विश्व को क्या-क्या देन है ? ( HBSE 2023 )

उत्तर – सरस्वती सिंधु सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक हैं। इस सभ्यता से विश्व को बहुत कुछ सीखने को मिला। इस सभ्यता में नगर नियोजन व्यवस्था का बेहतरीन नमूना देखने को मिला। जिसमें नगर में सड़क व्यवस्था और पानी की जल निकासी की व्यवस्था महत्वपूर्ण थी। इस सभ्यता में कृषि और उसके औजारों के साक्ष्य भी प्राप्त हुए। इस सभ्यता से यह पता चला कि कौन-कौन से जानवर शुरुआत से ही पालतू थे। इसके अलावा आयात और निर्यात भी देखने को मिला।


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