स्वतंत्र भारत के 50 वर्ष Class 10 इतिहास Chapter 9 Question Answer – भारत एवं विश्व HBSE Solution

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स्वतंत्र भारत के 50 वर्ष Class 10 इतिहास Chapter 9 Question Answer


आओ पता करें :


प्रश्न 1. भारत कब स्वतंत्र हुआ?

उत्तर – 15 अगस्त, 1947 ई. को


प्रश्न 2. राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना कब की गई?

उत्तर – 1953 ई. में


प्रश्न 3. भारत के “लौह पुरुष” कौन थे?

उत्तर – सरदार वल्लभभाई पटेल


प्रश्न 4. श्रीलंका कौन से महासागर में स्थित है ?

उत्तर – हिंद महासागर में


प्रश्न 5. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब हुई?

उत्तर – 24 अक्टूबर 1945 ई. को


प्रश्न 6. भारत ने आर्थिक उदारीकरण की नीति कब अपनाई?

उत्तर – 1991 ई. में


प्रश्न 7. योजना आयोग की स्थापना कब हुई?

उत्तर – 15 मार्च 1950 ई. को


आओ जानें :


प्रश्न 1. संविधान सभा का क्या कार्य होता है?

उत्तर – संविधान सभा का देश के लिए संविधान निर्माण करना होता है।


प्रश्न 2. भारत के पड़ोसी देशों के नाम बताएं?

उत्तर – भारत के सात पड़ोसी देश पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भुटान, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका है।


प्रश्न 3. बांग्लादेश के निर्माण में भारत की क्या भूमिका थी?

उत्तर – बांग्लादेश को मान्यता देने वाला भारत पहला देश था। पश्चिमी पाकिस्तान के उत्पीड़न के शिकार बांग्लादेश के जन्म में भारत की विशेष भूमिका थी। भारत हमेशा से ही बांग्लादेश को तकनीक, विज्ञान तथा उद्योग आदि क्षेत्रों में सहयोग करता रहा है।


प्रश्न 4. गुटनिरपेक्ष आंदोलन क्या था?

उत्तर – द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व के बहुत से देश विचारधारा के आधार पर दो विरोधी गुटों में बट गए। इन गुटों में से एक अमेरिका और दूसरा सोवियत संघ का गुट था। अमेरिका के नेतृत्व में बने गुट को ‘पश्चिमी ब्लाक’ और सोवियत संघ के नेतृत्व में बने गुट को ‘पूर्वी ब्लाक’ कहा गया। भारत ने दोनों गुटों से समान मित्रता रखने का प्रयास किया। भारत के लिये गुट-निरपेक्षता का आंदोलन वैश्विक शांति तथा विकासशील देशो का समाजिक, आर्थिक व राजनीतिक विकास का प्रतीक रहा है।


प्रश्न 5. हरित क्रांति’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – देश के विभाजन के साथ ही बहुत सी उपजाऊ भूमि पाकिस्तान के पास चली गई। 1960 ई. के दशक में भारत-चीन युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध और सूखे ने हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया। इस कारण भारत में खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो गया। परिणामस्वरूप किसानों के लिये नई कृषि नीति की घोषणा की गई। इस नीति के तहत उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सस्ते व उन्नत बीज, खाद व तकनीक के प्रयोग को प्रोत्साहन दिया गया। इस कृषि नीति के माध्यम से किसानों को बिजली, सिंचाई व सस्ते ऋण देने की व्यवस्था की गयी। परिणामस्वरूप 1970 ई. के दशक की शुरुआत तक आते-आते देश में गेहूँ, चावल व मक्का की खेती में अढाई गुणा तक वृद्धि हो गई। इस दौर में कृषि उत्पादन में हुई तीव्र वृद्धि को ही ‘हरित क्रांति’ कहा जाता है।


आओ विचार करें :


प्रश्न 1. भारत में राज्यों का पुनर्गठन कैसे हुआ?

उत्तर – स्वतंत्रता के बाद रियासतों को भारतीय संघ में शामिल कर लिया गया था। अतः देश में भाषा व भौगोलिकता के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की आवश्यकता थी। भारत सरकार द्वारा इसके लिये 1953 ई. में राज्य पुनर्गठन आयोग नियुक्त किया गया। इस आयोग का कार्य भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की सिफारिश करना था। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर नवम्बर 1956 ई. में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास किया गया। इसके द्वारा देश में भाषा के आधार पर चौदह राज्यों व छह केन्द्र शासित प्रदेशों की व्यवस्था की गई।


प्रश्न 2. इंदिरा गांधी ने 1975 ई. में आपातकाल क्यों लागू किया?

उत्तर – आजादी के बाद 1975 ई. में भारत ने सबसे बड़े राजनीतिक संकट का अनुभव किया। इंदिरा गांधी की सरकार बनने के एक वर्ष के अंदर ही दिसम्बर 1971 ई. में भारत-पाक युद्ध व बांग्लादेश का निर्माण हुआ। इससे मंदी, बेरोजगारी, गरीबी, खाद्य पदार्थों की कमी, बांग्लादेशी शरणार्थियों की समस्या, सूखा तथा मानसून की असफलता से जनता में असंतोष बढ़ने लगा। राष्ट्रव्यापी हड़तालों व छात्र आंदोलनों के कारण देश में कानून व्यवस्था बिगड़ती जा रही थी। इस कारण 1974 ई. तक आते-आते इंदिरा गांधी की सरकार से जनता का एक बड़ा हिस्सा नाराज हो चुका था। 12 जून 1975 ई. को इलाहबाद उच्च न्यायालय द्वारा दिए गये फैसले में इंदिरा गांधी को चुनावों में अनुचित आचरण का दोषी करार दिया। इस फैसले के अनुसार अब वह किसी भी पद पर नहीं रह सकती थी। जयप्रकाश नारायण (जे. पी.) ने देश में उपजे राजनीतिक संकट व न्यायालय के फैसले के आधार पर भी इंदिरा गाँधी पर अपने पद से त्यागपत्र देने का दबाव बनाया। इंदिरा गाँधी ने स्वयं को चारों ओर से घिरता देख, 25 जून 1975 ई. को अपनी सत्ता बचाने के लिये आपातकाल की घोषणा कर दी। आपातकाल के दौरान सभी विरोधियों को गिरफ्तार किया गया था।


प्रश्न 3. भारत का संयुक्त राष्ट्र संघ में क्या योगदान रहा है?

उत्तर – द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद 24 अक्टूबर 1945 ई. को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। भारत संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक था। भारत ने हमेशा से ही संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा संचालित शांति सेनाओं में अपने सैनिक भेजकर सक्रिय भूमिका निभाई है।


प्रश्न 4. शाहबानो केस क्या था?

उत्तर – यह मामला तीन तलाक की प्रथा पर आधारित है। पांच बच्चों की माँ 62 वर्षीया शाहबानो नामक मुस्लिम महिला को उसके पति ने तीन तलाक दे दिया। पति द्वारा गुजारे भत्ते से इंकार किये जाने पर शाहबानो ने न्यायालय की शरण ली। यह फैसला शाहबानो के पक्ष में आया लेकिन गुजारा भत्ता बढ़वाने के लिए शाहबानो ने उच्च न्यायालय में याचिका डाली। उच्च न्यायालय ने गुजारा भत्ता बढ़ाने का आदेश दिया। परन्तु निर्णय के विरुद्ध उसके पूर्व पति ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की। 1985 ई. में उच्चतम न्यायलय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को सही बताते हुए शाहबानो के पक्ष में फैसला दिया। इस फैसले का पुरातनपंथी मुस्लिम नेताओं तथा संगठनों द्वारा विरोध करते हुए सरकार पर दबाव बनाया गया। परिणामस्वरूप राजीव गांधी सरकार ने 1986 ई. में संसद में कानून बनाकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया। सरकार के दखल के कारण शाहबानो सर्वोच्च न्यायालय में जीतने के बाद भी हार गई। इसे ही हम शाहबानो केस के नाम से जानते हैं।


प्रश्न 5. भारत के आर्थिक नियोजन पर प्रकाश डालें?

उत्तर -1944 ई. में ही भारत में 8 बड़े उद्योगपतियों ने बॉम्बे प्लान के रूप में भूमि सुधार, सहकारी पद्धति, योजनागत विकास के लिए आर्थिक प्रयोजन प्रस्तुत किया। लेकिन, देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सरकार द्वारा बड़े-बड़े सरकारी संस्थानों की स्थापना तथा समाजवाद के विस्तार पर बल दिया। इस दिशा में प्रधानमन्त्री नेहरू ने अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिये 15 मार्च 1950 ई. को सलाहकारी संस्था ‘ योजना आयोग’ की स्थापना की। इसके बाद 6 अगस्त, 1952 ई. को ‘राष्ट्रीय विकास परिषद’ की भी स्थापना की गई। इसका मुख्य कार्य योजना आयोग द्वारा दी गयी सलाहों तथा योजनाओं पर संशोधित दिशा-निर्देश देना था। भारत में पंचवर्षीय योजनायें लागू की गयी। समय-समय पर लागू की गयी आर्थिक-औद्योगिक नीतियाँ भी पर्याप्त सुधार नहीं कर पाई। 1980 ई. के दशक में विभिन्न सरकारों द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीतियों के कारण 1991 ई. तक आते-आते भारतीय अर्थव्यस्था कमजोर हो चुकी थी। विदेशी ऋणों के भुगतान के लिए भारत को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक का दरवाजा खटखटाना पड़ा। इस आर्थिक संकट का सामना करने के लिए भारत को 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा। अतः भारत को 1991 ई. में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक की शर्तों को मानते हुए अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधार करने पड़े।


 

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