Class 9 इतिहास BSEH Solution for chapter 3 उदारवादी एवं राष्ट्रवादी Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 9 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of हमारा भारत IV Book for HBSE.
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HBSE Class 9 इतिहास / History in hindi उदारवादी एवं राष्ट्रवादी / Udarvadi avam rastarvadi Question Answer for Haryana Board of chapter 3 in Hamara bharat IV Solution.
उदारवादी एवं राष्ट्रवादी Class 9 इतिहास Chapter 3 Question Answer
रिक्त स्थान भरें
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक __________ थे।
2. बंगाल का विभाजन गवर्नर जनरल ___________के शासन काल में हुआ।
3. ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ – ये शब्द __________ ने कहे।
4. ‘शेर-ए-पंजाब’ _________ को कहा जाता है।
उत्तर – 1. ए. ओ. ह्यूम, 2. लॉर्ड कर्जन, 3. बाल गंगाधर तिलक, 4. लाला लाजपत राय
उचित मिलान करें
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उत्तर –
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फिर से जाने :-
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 ई. में हुई और इसके संस्थापक ए. ओ. ह्यूम थे।
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उदारवादियों के चार प्रमुख नेता महादेव गोविंद रानाडे, दादाभाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले व सुरेन्द्रनाथ बनर्जी थे।
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बंगाल विभाजन लॉर्ड कर्जन ने 1905 ई. में किया।
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राष्ट्रवादियों के तीन प्रमुख नेता लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, विपिन चन्द्र पाल थे।
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लखनऊ समझौता 1916 ई. में कांग्रेस व मुस्लिम लीग के बीच हुआ।
आइये विचार करें
प्रश्न 1. उदारवादी कौन थे? उनकी मुख्य माँगे क्या थीं?
उत्तर – उदारवादी वे लोग थे जो ब्रिटिश शासन के समर्थक थे। उनका लक्ष्य ब्रिटिश शासन के अधीन ही स्वशासन की प्राप्ति करना था । उदारवादी चाहते थे कि विधान परिषदों में सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए, उनके अधिकारों में वृद्धि की जाए तथा परिषदों के सदस्यों को लोगों द्वारा चुना जाए। उच्च प्रशासनिक सेवाओं में भारतीयों को भी नियुक्त किया जाए।
उदारवादियों की मुख्य माँगें निम्नलिखित थी :-
- विधान परिषदों की सदस्य संख्या में वृद्धि की जाए।
- प्रशासनिक सेवा में भारतीयों की नियुक्ति की जाए।
- सेना के खर्चे में कमी की जाए।
- सामान्य तथा तकनीकी शिक्षा का विस्तार किया जाए।
- उच्च पदों पर भारतीयों की अधिक नियुक्ति की जाए।
- न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग किया जाए।
- किसानों पर करों का बोझ कम किया जाए।
- नागरिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो।
- नमक पर कर में कमी की जाए।
- प्रेस पर लगाए गए प्रतिबंध हटाए जाएं।
प्रश्न 2. उदारवादियों एवं राष्ट्रवादियों में मुख्य अंतर क्या थे?
उत्तर –
उदारवादी | राष्ट्रवादी |
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प्रश्न 3. बंगाल को विभाजित करने के पीछे अंग्रेजों का क्या उद्देश्य था?
उत्तर – ब्रिटिश सरकार ने बंगाल विभाजन का यह कारण बताया कि बंगाल बहुत बड़ा प्रांत है और उसका प्रशासन सुचारू रूप से चलाना बहुत कठिन है परंतु वास्तव में अंग्रेज़ सरकार भारत में राष्ट्रीय एकता तथा राष्ट्रवादी आंदोलन को कमजोर करना चाहती थी। इस विभाजन का उद्देश्य हिंदू-मुस्लिम एकता को नष्ट करना था।
प्रश्न 4. बंग-भंग विरोधी आंदोलन क्या था?
उत्तर – बंगाल के राष्ट्रवादियों ने बंगाल विभाजन का घोर विरोध किया। राष्ट्रवादियों द्वारा बंगाल विभाजन को पूर्व नियोजित घृणित कार्य कहा गया। बंगाल विभाजन के परिणामस्वरूप ‘बंग-भंग विरोधी आंदोलन’ आरंभ हुआ। 16 अक्टूबर, 1905 ई. को बंगाल विभाजन लागू किया जाना था। इस दिन को ‘शोक दिवस’ घोषित किया गया, समस्त बंगाल में हड़ताल रखी गई, जुलूस निकाले गए और विरोध में सभाएँ आयोजित की गई। सारा बंगाल ‘वंदे मातरम्’ के नारों से गूंज उठा। नेताओं की अपील पर लोगों ने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार कर दिया और स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने का प्रण लिया। यह आंदोलन केवल बंगाल तक ही सीमित न रह कर अन्य भागों में भी फैल गया। अंततः सरकार को इन राष्ट्रवादियों द्वारा उठाए गए तूफान के आगे झुकना पड़ा और 1911 ई. में बंगाल विभाजन रद्द करना पड़ा।
प्रश्न 5. स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन के महत्व पर विचार करें।
उत्तर – स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का भारतीय इतिहास में बहुत महत्व है जिसका वर्णन निम्नलिखित है:-
- इस आंदोलन से भारतवासियों में राष्ट्रीयता और देशप्रेम की भावना बढ़ने लगी।
- इस आंदोलन से लोगों में स्वदेशी वस्तुओं का प्रचलन अत्यधिक बढ़ गया।
- इससे भारतीय उद्योगों का अपार विकास हुआ। इस आंदोलन के फलस्वरूप देश के विभिन्न भागों में कपड़ा मिलें, साबुन और दियासलाई के कारखाने लग गए।
- स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन ने साहित्य पर विशेष प्रभाव डाला। उस समय राष्ट्रीय विचारों से ओत-प्रोत कई कविताओं, गद्य, गीत आदि की रचना हुई।
- इस आंदोलन में पहली बार भारतीय महिलाओं ने भी भाग लिया। कई स्थानों पर जुलूसों और धरनों में उन्होंने भाग लिया।
- स्वदेशी एवं बहिष्कार आंदोलन ने बंग-भंग के विरुद्ध लोगों को संगठित कर दिया और विवश होकर ब्रिटिश सरकार को 1911 ई. में बंगाल विभाजन रद्द करना पड़ा।
प्रश्न 6. होमरूल आंदोलन क्या था? इस आंदोलन की प्रगति एवं महत्व का वर्णन करें।
उत्तर – प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अनेक भारतीय नेताओं ने समझ लिया था कि अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए ब्रिटिश सरकार पर जनता का दबाव बनाना आवश्यक है इसलिए एक वास्तविक जन आंदोलन आवश्यक था। ऐसे में 1915 ई. – 1916 ई. में भारत में एक नए प्रकार का आंदोलन आरंभ हुआ जिसे ‘होमरूल आंदोलन’ कहा जाता है। इसके मुख्य नेता श्रीमती एनी बेसेंट तथा बाल गंगाधर तिलक थे।
आंदोलन की प्रगति – श्रीमती एनी बेसेंट आयरलैंड की उदार विचारों की महिला थी। उन्होंने आयरलैंड के होमरूल आंदोलन से प्रभावित होकर 1916 ई. में मद्रास में होमरूल लीग की स्थापना की। शीघ्र ही इसकी शाखाएँ कानपुर, इलाहाबाद, मुंबई, बनारस, मथुरा आदि नगरों में स्थापित हो गई। बाल गंगाधर तिलक ने पूना में तथा श्रीमती एनी बेसेंट ने मद्रास में अपनी अलग-अलग होमरूल लीग स्थापित की थी परंतु वे दोनों राष्ट्रहित में एक दूसरे का सहयोग करने लगे। उन्होंने देश के विभिन्न भागों का भ्रमण किया और स्थान-स्थान पर लोगों को संबोधित किया और होमरूल का प्रचार किया। इन दोनों नेताओं के प्रयत्नों के परिणामस्वरूप भारत के विभिन्न नगरों में होमरूल लीग की कई शाखाएँ स्थापित की गई और हजारों की संख्या में लोग होमरूल के सदस्य बन गए।
आंदोलन का महत्व – भारतवासियों में विशेष उत्साह तथा निडरता की भावना देखी गई। बेसेंट और तिलक देश के लोकप्रिय नेता बन गए। इस आंदोलन का प्रभाव देश के बाहर भी हुआ। अमेरिका तथा इंग्लैंड के उदार विचारों के नेता भारत को स्वराज देने का समर्थन करने लगे। भारतीयों को संतुष्ट करने के लिए अगस्त 1917 ई. को भारत मंत्री मांटेग्यू ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की जिसके अनुसार भारतीयों को यह विश्वास दिलाया गया कि स्वशासन संबंधी संस्थाओं का विकास किया जाएगा, प्रशासन के प्रत्येक क्षेत्र में भारतीयों को अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित किया जाएगा तथा धीरे-धीरे स्वराज स्थापित किया जाएगा।