उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद Class 10 इतिहास Chapter 7 Question Answer – भारत एवं विश्व HBSE Solution

Class 10 इतिहास BSEH Solution for chapter 7 उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद Question Answer for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 10 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of  भारत एवं विश्व Book for HBSE.

Also Read – HBSE Class 10 इतिहास – भारत एवं विश्व Solution

Also Read – HBSE Class 10 इतिहास Solution in Videos

HBSE Class 10 इतिहास / History in hindi उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद / Upniveshvad avam samrajyavad Question Answer for Haryana Board of chapter 7 in Bharat avam vishwa Solution.

उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद Class 10 इतिहास Chapter 7 Question Answer


आओ जाने :-


प्रश्न 1. साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद का अर्थ व साम्राज्यवाद के प्रसार में कौन-कौन सी परिस्थितयाँ सहायक रही?

उत्तर – किसी शक्तिशाली देश द्वारा दूसरे निर्बल और गरीब देशों को अपने अधीन लेकर उनसे आर्थिक लाभ उठाने की प्रवृति उपनिवेशवाद कहलाती है। इस प्रकार की नीति का अनुसरण यूरोप में सामान्यतः 1500 ई. से 1750 ई. के बीच किया गया। उन्नीसवीं शताब्दी में इसे साम्राज्यवाद नाम दिया गया।

साम्राज्यवाद के प्रसार में सहायक परिस्थितयाँ :-

  • लाभ कमाने की लालसा।
  • मातृदेश की शक्ति बढ़ाना।
  • मातृदेश में सजा से बचना।
  • स्थानीय लोगों का धर्म बदलवाकर उन्हें उपनिवेशिक धर्म में शामिल करना।

प्रश्न 2. भारत के सन्दर्भ में इंग्लैंड व फ्रांस के उपनिवेशिक विकास के बारे में लिखें।

उत्तर – इंग्लैंड व फ्रांस में औद्योगिक क्रांति आने से निर्मित माल बहुत तेजी से तैयार होने लगा जिससे कच्चे माल की जरूरत महसूस हुई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए उपनिवेशों के ऊपर ध्यान दिया गया। इन राष्ट्रों के पास भारत जैसा उपनिवेश बनाने के बाद बहुत सारा धन इकट्ठा होने लगा और यह राष्ट्र अमीर होते चले गए जबकि भारत को गरीब बना दिया। इन राष्ट्रों ने अपने विकास के साथ भारत मे भी विकास किया। लेकिन सिर्फ अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए। इंग्लैंड व फ्रांस के पूंजीपति वर्ग को अधिक पैसा कमाने का अवसर भी मिला।


प्रश्न 3. अफ्रीका में साम्राज्यवाद के विकास में किन-किन देशों ने भाग लिया, इनके बारे में लिखे?

उत्तर – अफ्रीका में साम्राज्यवाद के विकास में बेल्जियम, पुर्तगाल, इंग्लैंड, फ्रांस तथा जर्मनी ने भाग लिया।


प्रश्न 4. साम्राज्यवाद में यूरोप, एशिया, अफ्रीका के देशों पर सकारात्मक व विनाशकारी प्रभावों का उल्लेख करें।

उत्तर – साम्राज्यवाद में यूरोप एशिया अफ्रीका के देशों पर सकारात्मक और विनाशकारी प्रभाव देखने को मिले जिनका वर्णन निम्नलिखित हैं :-

क) सकारात्मक प्रभाव:

  • साम्राज्यवादी देशों ने अपने अधीन उपनिवेशों में पश्चिमी शिक्षा लागू की जिससे इन देशों के लोगों को दूसरे देशों की राजनैतिक प्रणालियों के अध्ययन का अवसर मिला।
  • साम्राज्यवादी देशों के पूँजीपतियों ने अधिक लाभ कमाने के लिए उपनिवेशों में नए उद्योग स्थापित किए जिससे इन लोगों को रोजगार प्राप्त करने के नए अवसर प्राप्त हुए।
  • साम्राज्यवादी देशों ने अपने-अपने उपनिवेशों में व्यापार बढ़ाने हेतु अधिक-से-अधिक सड़कें बनवाई तथा रेल की पटरियाँ बिछवाई जिससे इन उपनिवेशों में यातायात के साधनों का बहुत विकास हुआ।
  • यूरोपियन देशों में औद्योगिक क्रांति आने से अत्यधिक लाभ कमाना आरंभ कर दिया।

ख) विनाशकारी प्रभाव –

  • साम्राज्यवादी देशों ने उद्योगों के लिए सस्ते दामों में कच्चा माल खरीदना आरंभ कर दिया और अपने देशों में निर्मित माल अधिक दामों पर बेचना आरंभ कर दिया
  • उन्होंने उपनिवेशों के निजी उद्योगों में बने हुए माल को बेचने के लिए अनेक प्रतिबंध लगा दिए जिससे उपनिवेशों के उद्योग नष्ट हो गए।
  • साम्राज्यवादी देशों ने अपने उपनिवेशों के किसानों का अधिक से अधिक शोषण किया जिससे उपनिवेशों के किसान भी निर्धन हो गए।
  • उपनिवेशों के लोगों को उच्च पदों पर भी नहीं रखा जाता था।
  • साम्राज्यवादी देशों के ईसाई प्रचारकों ने उपनिवेश के लोगों को बलपूर्वक ईसाई बनाना आरंभ कर दिया।

आइए विचार करें –


प्रश्न 1. साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर – जब कोई शक्तिशाली देश किसी कमजोर और पिछड़े हुए देश पर बल पूर्वक अपना अधिकार स्थापित करता है। उसे साम्राज्यवाद कहा जाता है और उस देश को उपनिवेश कहा जाता है। जब कोई देश अपनी शक्ति का प्रयोग करके अन्य देशों को प्रभावित करता है तब हम उसे साम्राज्यवाद का नाम देते हैं। लेकिन अगर कोई देश या क्षेत्र पर विजय प्राप्त करता है और अपने क्षेत्र में शामिल करता है उसे उपनिवेशवाद कहा जाता है।


प्रश्न 2. साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने शोषण के कौन-कौन से तरीके अपनाये?

उत्तर – साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने शोषण के निम्नलिखित तरीके अपनाएं :-

  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों से कच्चा माल सस्ती कीमतों पर प्राप्त किया।
  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों से धन अपने देश पहुंचा दिया जिससे वह उपनिवेश गरीब हो गया।
  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों में अपने देश का निर्मित माल सस्ती कीमतों पर बेचकर उपनिवेशों के लघु उद्योग बंद करवा दिए।
  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों में ईसाई धर्म का बहुत प्रचार किया जिससे वहां की संस्कृति बर्बाद हो गई।
  • साम्राज्यवादी राष्ट्रों ने अपने उपनिवेशों में किसानों से अपनी जरूरतों की खेती करवाई।

प्रश्न 3. भारतीय कृषि और किसानों पर उपनिवेशवादी व्यवस्था के क्या दुष्परिणाम रहे, स्पष्ट करें?

उत्तर – भारत की ब्रिटिश सरकार ने किसानों से लगान एकत्र करने के लिए जितने भी भूमि प्रबंध लागू किये, वे सब किसानों के शोषण पर आधारित थे। किसानों की लगभग आधी उपज लगान चुकाने में लग जाती थी। कर इकट्ठा करने के नियम इतने कठोर थे कि किसानों को हर हाल में, चाहे उपज हो या न हो, कर देना पड़ता था। महाजनों से ऊंचे ब्याज पर पैसा उधार लेने और सरकार को समय पर कर न देने की वजह से किसानों से उनकी भूमि छीन ली गई। अधिक कर देने की वजह से भी किसानों ने अपनी भूमि खुद भी छोड़ दी। जिससे भूमि बंजर हो गई। उपनिवेशवादी व्यवस्था ने भारतीय कृषि और किसान दोनों को बर्बाद कर दिया।


प्रश्न 4. भारतीय धन अथवा सम्पदा का निष्कासन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर – अंग्रेजों के भारत पर अधिकार करने के पश्चात् भारतीय धन अथवा संपदा का एक बहुत बड़ा भाग निरंतर इंग्लैंड जाता रहा। इसे आर्थिक दोहन अथवा संपदा का निष्कासन कहा जाता था। यह धन सैनिक तथा असैनिक अधिकारियों को भारी वेतन तथा पेंशन के रूप में भारतीय राजकोष से दिया जाता था। एक अनुमान के अनुसार केवल 1758 ई. से 1765 ई. तक लगभग 60 लाख पौंड की संपत्ति इंग्लैंड भेजी गई।


आओ करके देखें


प्रश्न 1. मानचित्र पर साम्राज्यवादी देशों द्वारा भारत में जो बस्तियां स्थापित की गई उनकी स्थिति को दर्शाओ।

उत्तर – भारत में साम्राज्यवादी देशों द्वारा ज्यादातर बस्तियां समुद्री किनारों पर स्थित की गई। जिनमें प्रमुख रूप से पांडिचेरी, गोवा, दादरा नगर हवेली, दमन-दीव, बंगाल, बिहार शामिल है। मानचित्र को छात्र स्वयं बनाने की कोशिश करें।


प्रश्न 2. शिक्षक की सहायता से कक्षा में चर्चा करो कि अगर हमारा देश उपनिवेश नहीं रहा होता तो आज हमारा राजनैतिक, आर्थिक एवं सामाजिक जीवन कैसा होता।

उत्तर – अगर हमारा देश उपनिवेश नहीं रहा होता तो आज भी हमारे देश में औद्योगिक क्रांति ना आई होती। सभी काम हाथों से हो रहे होते। भारत में कोई भी कानून व्यवस्था नहीं होती। भारत में यातायात के संसाधनों का विकास इतनी तीव्रता से नहीं हो पाता। इन सब के बावजूद भी भारत एक अमीर देश होता। सही मायने में अगर हमारा देश उपनिवेश नहीं रहा होता तो आज हम दुनिया में इतनी तरक्की ना कर रहे होते और लोगों का जीवन साधारण ही रह जाता।


प्रश्न 3. आज के भारत में कौन-कौन से औपनिवेशिक चिह्न नजर आते हैं?

उत्तर – आज भी भारत में बहुत सारे औपनिवेशिक चिह्न में नजर आते हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित हैं —

  • भारतीय रेल
  • अंग्रेजी भाषा का प्रचलन
  • बहुत सारी प्रसिद्ध इमारतें
  • औद्योगिक मशीनें

 

Leave a Comment

error: