नौबतखाने में इबादत – यतींद्र मिश्र लेखक जीवन परिचय Class 10 Hindi – क्षितिज भाग 2 NCERT Solution

NCERT Class 10 Hindi Chapter 11 Nobatkhane me Ibadat Yatindr Mishr Lekhak Jivan Parichay  ( यतींद्र मिश्र लेखक जीवन परिचय ) of Kshitij Bhag 2 / क्षितिज भाग 2. Here We Provides Class 1 to 12 all Subjects NCERT Solution with Notes, Question Answer, HBSE Important Questions, MCQ and old Question Papers for Students.

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NCERT Solution of Class 10 Hindi क्षितिज भाग 2 Chapter 11 Nobatkhane me Ibadat lekhak Yatindr Mishr / नौबतखाने में इबादत – यतींद्र मिश्र लेखक जीवन परिचय / Lekhak Jivan Parichay for Exams.

यतींद्र मिश्र जीवन परिचय Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत


जीवन परिचय :- यतीन्द्र मिश्र ने साहित्य और कला के संवर्द्धन में काफी योगदान दिया है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर में सन् 1977 ई. में हुआ। लखनऊ विश्वविद्यालय से मिश्र जी ने एम.ए. हिन्दी की उपाधि प्राप्त की। सन् 1999 ई. से ‘बिमला देवी फाउन्डेशन’ नामक सांस्कृतिक न्यास का संचालन रहे हैं। यह संस्थान साहित्य तथा कला के विकास की तरफ विशेष ध्यान दे रहा है। यतीन्द्र मिश्र ने ‘भारतभूषण अग्रवाल कविता सम्मान’, ‘हेमन्त स्मृति कविता पुरस्कार’, ‘ऋतुराज’ आदि पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है। वे स्वतन्त्र लेखन कर रहे हैं ‘सहित’ नामक अर्धवार्षिक पत्रिका का संपादन भी कर रहे हैं।


साहित्यिक रचनाएँ – मिश्र जी के तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। ये हैं-यदा-कदा, अयोध्या तथा अन्य कविताएँ, ड्योढ़ी पर आलाप। उन्होंने शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन और व्यक्तित्व पर गिरिजा नामक पुस्तक लिखी है। यही नहीं वे द्विजदेव ग्रन्थावली के सह-सम्पादक भी रहे हैं। उन्होंने सुप्रसिद्ध कवि पर दो पुस्तकों की रचना की है और स्पिक मैके के लिए विरासत 2001 कार्यक्रम के लिए थाती नामक पत्रिका का सम्पादन भी किया है।


साहित्यिक विशेषताएँ – यतीन्द्र मिश्र ने अपनी साहित्यिक रचनाओं में संस्कृति के अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला है। संगीत तथा अन्य ललित कलाओं को वे समाज से जोड़ते दिखाई देते हैं। विशेषकर विभिन्न कलाकारों तथा उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालने में मिश्र जी को विशेष सफलता प्राप्त हुई है। जहाँ तक उनकी काव्य रचनाओं का प्रश्न है, इनमें वे विभिन्न सामाजिक समस्याओं का चित्रण करते। हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उन्होंने समाज को बड़ी निकटता से देखा है।


भाषा-शैली – यतीन्द्र मिश्र ने प्रायः सहज, सरल तथा प्रवाहमयी साहित्यिक हिन्दी भाषा का प्रयोग किया है। उनका शब्द चयन तथा वाक्य विन्यास प्रसंगानुकूल तथा भावानुकूल है। क्योंकि उनकी रचनाओं में भावुकता तथा सुगमता का अनूठा मिश्रण है। इसलिए प्रायः वे भावानात्मक शैली का ही प्रयोग करते हैं। संस्कृत के तत्सम शब्दों के अतिरिक्त वे उर्दू तथा लोक भाषा के शब्दों का मिश्रण करते हैं। कहीं-कहीं उन्होंने सूक्तियों तथा मुहावरों का भी प्रयोग किया है।


 

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