Class 11 Hindi Important Questions 2021 – वितान भाग 1 NCERT Solution

Class 11 Hindi Important Questions and Answers for 2021 Exams. Here i added all the Important Questions of Vitan Bhag -1 from Class 11 Hindi. As you Know Haryana Board as well as other boards like CBSE Changed their Syllabus for 2021 Exams due to study is not performed well. Now HBSE changed class 11 Hindi Syllabus 2021 also . So Here i added all Important Questions after changing in Syllabus. Some Chapters has deleted so your important questions from आरोह भाग 1 is changed also. HBSE Paper Pattern is not changed more but Chapters reduced. here i Provided all the Important Questions of Class 11 Hindi 2020-21 with Chapter wise.

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Class 11 Hindi Important Questions 2021- Vitan Bhag 1

कक्षा 11 वितान महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

पाठ 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़: लता मंगेशकर महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. लता की गायकी से संगीत के प्रति आम लोगों की सोच में क्या परिवर्तन आया है?
अथवा
लता मंगेशकर की लोकप्रियता का कारण स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – संगीत ने सदा से मनुष्य को आनंद की अनुभूति दी है। शास्त्रीय संगीत साधारण मनुष्य की समझ से दूर है लेकिन चित्रपट संगीत ने आम मनुष्य को संगीत से परिचत करा दिया है और लता के संगीत ने लोगों का शास्त्रीय संगीत के प्रति दृष्टिकोण बदल दिया है। लता की गायकी का जादू ऐसा है कि घरों में छोटे-छोटे बच्चों को भी सुर में गुन-गुनाते हुए देखा जा सकता है। लोगों का संगीत के विविध प्रकारों से परिचय हो रहा। स्वर ज्ञान बढ़ रहा है। सुर-ताल की समझ आ रही है। साधारण मनुष्य भी संगीत की अच्छी पहचान रखने लगा है। इसका सारा श्रेय लता के संगीत को जाता है। उनके संगीत ने नई पीढ़ी के संगीत को संस्कारित किया है। संगीत के प्रति आम लोगों की सोच परिवर्तन लता के संगीत के जादू से आया है।

प्रश्न 2. ‘भारतीय गायिकाओं में बेजोड : लता मंगेशकर’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘भारतीय गायिकाओं में बेजोड : लता मंगेशकर’ पाठ के माध्यम से भारतीय गायिकाओं में लता के जोड़ की गायिका न होने के कारणों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से स्पष्ट किया है। गायन कला से जुड़े बहुत महत्त्वपूर्ण तथ्यों का वर्णन किया है। लता मंगेशकर गानपन ने संगीत को विशिष्ट लोगों की श्रेणी से निकालकर साधारण लोगों में लोकप्रिय बना दिया है। लेखक ने बहुत समय पहले बीमारी के समय में लता मंगेशकर का गीत रेडियो पर सुना और वह उसी समय से स्वयं को लता मंगेशकर के संगीत से जुड़ा हुआ अनुभव करने लगा। लता से पहले भी कई गायिकाएं आई हैं और बाद में भी परंतु लता के समान लोकप्रियता के शिखर तक कोई नहीं पहुँच पाया। आधी से अधिक शताब्द बीत चुकी है लेकिन लता की लोकप्रियता कम नहीं हुई है इसका कारण लता के स्वरों की निर्मलता, कोमलता तथा मिठास है उनका स्वर लोगों को संगीत के साथ सीधा जोड़ता है। चित्रपट संगीत के निर्देशकों संगीत के माध्यम से शास्त्रीय संगीत को लोगों से जोड़ दिया है। उनके गीतों के माध्यम से राजस्थानी, पहाड़ी, पंजाबी, बंगाली लोकगीतों का बहुत उपयोग हुआ। साथ में देश की संस्कृति से आम लोगों को परिचित कराया है। संगीत का क्षेत्र एक ऐसा चित्र है जिसमें सभी वर्ण के लोग एक समान आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं। लेखक ने इस पाठ के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि लता मंगेशकर की गायकी ने संगीत को एक नई दिशा प्रदान की है। संगीत सभा- समारोहों की परिधि से निकलकर लता मंगेशकर के कारण ही सामान्य जन मानस तक पहुँचा है।

प्रश्न 3. शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत में क्या अंतर है?

उत्तर – शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत की तुलना नहीं की जा सकती। दोनों प्रकार के संगीत का अंत आनंद की प्राप्ति है। दोनों में समानता होते हुए भी अंतर है। शास्त्रीय संगीत में गंभीरता का स्थायी भाव है जबकि चित्रपट संगीत का गुण धर्म जलद लय और चपलता है। शास्त्रीय संगीत से ताल परिष्कृत रूप में पाया जाता है और चित्रपट संगीत का ताल प्राथमिक अवस्था का ताल होता है। चित्रपट संगीत में आधे तालों का उपयोग किया जाता है जबकि शास्त्रीय संगीत में तालों का पूरा ध्यान रखा जाता है। चित्रपट संगीत गाने वालों को शास्त्रीय संगीत का ज्ञान होना आवश्यक है परंतु शास्त्रीय संगीत गायक को चित्रपट संगीत ज्ञान होना आवश्यक नहीं है। चित्रपट संगीत का एक गीत तीन-साढ़े तीन मिनट में वही आनंद और कलात्मकता प्रदान करता है जो शास्त्रीय संगीत तीन-साढ़े तीन घंटे की महफिल से प्राप्त होता है। दोनों प्रकार के संगीत का अपने-अपने क्षेत्र में बहुत महत्त्व है। श्रोता उस संगीत को ज्यादा पसंद जिसमें उन्हें अधिक आनंद की प्राप्ति होती है।

पाठ 2 राजस्थान की रजत बूंदे महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. राजस्थान में कुंई किसे कहते हैं ? इसकी गहराई और व्यास तथा सामान्य कुओं की गहराई और व्यास में क्या अंतर होता है ?

उत्तर – राजस्थान का इलाका रेतीला है। वहां वर्षा का पानी रेत में समा जाता है, जिससे नीचे की सतह पर नमी फैल जाती है उसी नमी से पानी प्राप्त करने के लिए राजस्थान में कुओं से छोटी और कम गहरी कुईं का निर्माण किया जाता है। इन कुंइयों में वर्षा की नमी से पूरे वर्ष पीने का पानी प्राप्त किया जाता है। कुई की गहराई और व्यास सामान्य कुओं की गहराई और व्यास से कम होता है। कुंई का घेरा कम इसलिए रखा जाता है क्योंकि धरती की नमी से पूरे दिन में दो-तीन घड़े पानी निकलता है संकरा घेरा पानी को फैलने से रोकता है। पानी को ढक कर रखने में भी सुविधा होती है। कुंई को कुएं से इसलिए कम गहरा रखा जाता है जिससे पानी निकालने में असुविधा न हो। कुओं की गहराई और व्यास कुंइयों से ज्यादा होती है। कुओं का पानी भूजल से प्राप्त होता है, यह प्राय: खारा होता है।

प्रश्न 2. ‘राजस्थान की रजत बूंदें’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – राजस्थान की रजत बूंदें पाठ के माध्यम से लेखक ने पानी को प्रकृति की अनमोल धरोहर बताया है। बढ़ते प्रदूषण के कारण पीने के पानी में कमी आ रही है। लेखक ने इस पाठ के माध्यम से पुराने ढंग से राजस्थान में आज भी पीने का पानी प्राप्त किया जा रहा है, का वर्णन किया है। राजस्थान में मरुभूमि होने के कारण पानी की समस्या सदियों से चली आ रही है, परंतु वहाँ के समाज ने बहुत मंथन करके अमृत जैसा मीठा पानी अपनी सूझ-बूझ से प्राप्त किया है। जिस क्षेत्र में रेत के दस-पंद्रह हाथनीचे खड़िया पट्टी पाई जाती है वहाँ वर्षा का पानी रेत में समाकर नमी के रूप में फैल जाता है। उस क्षेत्र के लोग कम व्यास और गहरी कुंइयों का निर्माण करके उस नमी से बूँद-बूँद कर साल भर पानी प्राप्त करते हैं। क्रुंइयों को संकरा इसलिए रखा जाता है कि पानी फैल न सके, क्योंकि फैला हुआ पानी वाष्प बनकर उड़ जाता है। इस तरह मरुभूमि के लोग बरसात के पानी की नमी को साल भर सहेज कर रखते और पानी प्राप्त करते हैं। लेखक ने इस पाठ के माध्यम से यह कहने का प्रयास किया है कम पानी वाले क्षेत्रों में यदि बरसात की नमी को सहेज कर रखा जाए और कुंइयों का निर्माण करने से पीने के पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है ।

प्रश्न 3. राजस्थान में कुंइयों को कुओं से अधिक महत्त्व क्यों दिया जाता है?

उत्तर – राजस्थान का क्षेत्र रेतीला है। जिसके कारण वहाँ का पानी खारा है। कुओं में पानी भूजल से आता है इसीलिए प्राय: कुओं का पानी खारा होता है जो पीने के काम नहीं आता है। कुई का निर्माण रेजाणी पानी को भूजल से मिलने से रोकने के लिए किया जाता है। रेजाणी पानी बरसात का वह पानी होता है जो रेत के नीचे खड़िया पत्थर की पट्टी के कारण नमी के रूप में रेत में फैला रहता है। उस नमी से कुंई बनाकर बूँद-बूँद पानी इकट्ठा किया जाता है। उस पानी का स्वाद अमृत जैसा मीठा होता है। कुई का पानी पीने के काम आता है। इसीलिए राजस्थान में कुओं से अधिक कुंइयों को महत्त्व दिया जाता है।

प्रश्न 4. कुंई का मुँह छोटा क्यों रखा जाता है ? कारण बताएं।

उत्तर – कुंई, कुएँ का ही एक रूप है कुईं का मुँह छोटा रखा जाता है। इसका यही कारण उसे कुएँ से अलग करता है। कुंई का मुँह छोटा रखने के तीन कारक हैं
1. रेत में जमा नमी से पानी की बूँदें धीरे-धीरे रिसती है। जिससे दिन भर में बड़ी मुश्किल से कुई में दो या तीन घड़े पानी जमा होता है। कुंई के तल पर पानी की मात्रा कम होती है। यदि कुंई का मुँह बड़ा रखा जाए तो पानी फैल जाएगा और पानी को बाहर निकालना संभव नहीं होगा। छोटे मुंह की कुंई में धीरे-धीरे इकट्ठा हुआ पानी दो-चार हाथ की ऊँचाई ले लेता है। जिसे छोटी चड़स से निकाल लिया जाता है।
2. कुंई के घेरे का संबंध इन क्षेत्रों में पड़ने वाली तेज़ गरमी से भी है। बड़ा मुँह होने पर फैला हुआ पानी वाष्प बनकर उड़ जाएगा। इसीलिए कुंई का मुँह छोटा रखा जाता है, जिससे पानी को वाष्प बनने से रोका जा सके।
3. कुंई के पानी को साफ़ रखने के लिए उसे ढककर रखना ज़रूरी है। छोटे मुँह को ढकना सरल होता है। इन्हीं कारणों से कुंई, कुएँ का रूप होते हुए भी उसका मुँह छोटा रखा जाता है।

प्रश्न 5. रेजाणी पानी की क्या विशेषता है ? रेजा शब्द का प्रयोग किस लिए किया जाता है ?

उत्तर – रेजाणी पानी पालर पानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप है। धरातल से नीचे उतरा लेकिन पाताल में न मिल पाया पानी रेजाणी है। रेजाणी पानी से ही कुंई बनाकर पीने का पानी प्राप्त किया जाता है। वर्षा की मात्रा मापने के लिए इंच या सेंटीमीटर नहीं, बल्कि रेजा शब्द का उपयोग किया जाता है। रेजा का माप धरातल पर हुई वर्षा को नहीं, धरातल में समाई वर्षा को मापता है। जैसे मरुभूमि में वर्षा का पानी पाँच अंगुल रेत के भीतर समा जाए तो यह कहा जाएगा कि उस दिन पाँचअंगुल रेजा वर्षा हुई है।

प्रश्न 6. गोधूलि के समय कुंइयों पर कैसा वातावरण होता है ?

उत्तर – गोधूलि के समय पूरा गाँव कुंइयों पर आ जाता है। तब वहाँ मेला-सा लग जाता है। गाँव से लगे मैदान पर तीस चालीस कुंइयों पर पानी निकालने के लिए घिरनी का स्वर गूँजने लगता है। गोचर से लौट रहे पशुओं की घंटियों और रंभाने की आवाजें भी वहाँ के वातावरण में घुल-मिल जाती है। गोधूलि के समय कुंइयों पर चहल-पहल का वातावरण बन जाता है।

पाठ 3 आलो-आँधारि महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1. ‘आलो-आँधारि’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘आलो-आँधारि’ पाठ के माध्यम से लेखिका ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी को थोड़ा-सा सहारा और उचित मार्गदर्शन मिल जाता है तो वह विपरीत परिस्थितियों में भी अपना और अपने परिवार का भविष्य उज्ज्वल बना लेता है। इस पाठ की नायिका बेबी एक घरेलू नौकरानी है। वह पति से अलग रहती है। उसके बच्चे उसके साथ है। इनका पालन-पोषण करने के लिए वह लोगों के घर में काम करती है। जहाँ वह काम करती थी वहाँ से काम छूट जाने पर उसे सुनील की सहायता से तातुश के घर काम मिल जाता है। तातुश उसकी बहुत सहायता करते हैं। उसे बच्चों के साथ रहने के लिए अपनी छत पर कमरा दे देते हैं। उसके बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिला देते हैं। उसे लिखने-पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। तातुश के घर रहते हुए उसके बच्चों का भविष्य संवर जाता है और वह एक लेखिका बन जाती है। उसकी रचना बंगाली पत्रिका में प्रकाशित हो जाती है। इस प्रकार एक भले आदमी का सहारा और प्रेरणा उसके जीवन की दिशा ही बदल देते हैं।

प्रश्न 2. तातुश को कैसे पता चला कि बेबी ने घर बदल लिया है ?

उत्तर – तातुश को सुनील से पता चला था कि बेबी ने घर बदल लिया है। सुनील बेबी से मिलने उसके पुराने घर गया तो वहाँ से उसे पता चला कि बेबी ने घर बदल लिया है। तातुश जब सुबह दूध लेने गए थे तो उन्हें सुनील मिला था। सुनील ने उनसे पूछा था कि क्या बेबी अब उनके घर काम नहीं करती ? तातुश के यह पूछने पर कि वह ऐसा क्यों सोच रहा है तो उसने बताया कि बेबी अब वहाँ नहीं रहती जहाँ पहले रहती थी तो उसने सोचा कि शायद बेबी अब उनके घर भी काम नहीं करती।

प्रश्न 3. बेबी का जब घर तोड़ दिया गया तो उसकी क्या दशा हुई ?

उत्तर – टूटे हुए घर और बिखरे हुए घरेलू सामान को देख कर बेबी रो पड़ी। उसे रोता देख कर उसके बच्चे भी उत्तर रोने लगे। बेबी के दो-दो भाई पास में ही रहते थे परंतु उसकी सहायता करने कोई भी नहीं आया। वह सोचने लगी कि न जाने उसके भाग्य में और कितना दु:ख भोगना लिखा है। तभी पास में रहने वाले भोलादा ने आकर उसे सांत्वना दी। बिखरा हुआ सामान एकत्र किया और उसी खुली, गंदी जगह में ओस में भीगते हुई उन्होंने रात गुज़ारी।

प्रश्न 4. बेबी को तातुश के घर रहने के लिए स्थान कैसे मिला ?

उत्तर – अगले दिन सुबह जब बेबी तातुश के घर पहुँची तो वे अख़बार पढ़ रहे थे। उन्होंने बेबी की ओर देख कर पूछा कि आज तुम्हारा मुँह सूखा-सखा-सा क्यों है ? बेबी ने उन्हें बताया कि कैसे बुलडोज़र ने उन लोगों के घर तोड दिए है और उसने बच्चों के साथ सारी रात खुले में ओस में बिताई है। उसने उन्हें भोलादा के बारे में भी बताया जो उसके साथ आया था और बाहर खड़ा था। तातुश ने उससे बाहर जाकर बात की और अंदर आकर बेबी को बच्चों सहित उनके घर आने के लिए कहा और उसके लिए छत पर एक कमरा खाली कर दिया।

प्रश्न 5. बेबी को अपनी माता की मृत्यु का समाचार कैसे मिला ?

उत्तर – एक दिन बेबी से मिलने उसके पिता आए। उनसे इधर-उधर की बातते करते हुए उसने उनसे मां के बारे में पूछा तो वे उसकी ओर देखते रह गए शायद यह सोच कर कि कहीं वह रोने-धोने न लग जाए। तब उन्होंने उसे बताया कि उसकी माँ तो छह-सात महीने पहले ही दुनिया छोड़ गई है क्या उसे उसके भाइयों ने नहीं बताया था ? वह तो वहाँ गया था। कुछ क्षण तो बेबी चुप रही फिर सिसक-सिसक कर रोने लगी। वह सोच रही थी कि उसके भाई भावज पास ही रहते हैं पर किसी ने भी उसे बताया नहीं।

प्रश्न 6. अर्जुनदा के मित्रों के आने का बेबी पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर – अर्जुनदा के दो मित्रो के वहाँ आकर रहने से बेबी का काम बढ़ गया था, परंतु उन लोगों का व्यवहार इतना अच्छा था कि उसे उनका काम करने में कोई कठिनाई नहीं होती थी ये लोग उसके साथ अपनों जैसा व्यवहार करते थे तथा उसके बच्चों का ख्याल रखते थे। वे उसे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के संबंध में अच्छी बातें बताते थे।

प्रश्न 7. ‘आलो आँधारि’ कहानी में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘आलो आँधारि’ कहानी के माध्यम से लेखिका यह संदेश दे रही है कि यदि मनुष्य में कुछ बनने की इच्छा हो तो वह कुछ भी कर सकता है। इस पाठ की नायिका बेबी एक घरेलू काम-काज करने वाली नौकरानी अपनी मेहनत और दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर एक अच्छी लेखिका बन जाती है तथा पति द्वारा कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलने पर भी अपने बच्चों का अच्छी प्रकार से पालन पोषण करते हुए उन्हें अच्छी शिक्षा दिलवाती है।

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