Class | 8 |
Subject | संस्कृत |
Book | NCERT |
NCERT Solution of Class 8th Sanskrit Ruchira / रुचिरा Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम् / kantakenav kantakam Word meaning / शब्दार्थ Solution.
कण्टकेनैव कण्टकम् Class 8 Sanskrit Chapter 5 Word Meaning
- आसीत् – था।
- कश्चित् – कोई।
- चञ्चलो – चंचल।
- व्याधः – शिकारी।
- पक्षिमृगादीनां – पशु-पक्षी आदि के।
- ग्रहणेन – ग्रहण करने से / पकड़ कर।
- सः – वह।
- स्वीयां – अपनी।
- जीविकां – जीविका का।
- निर्वाहयति स्म – निर्वाह करता था।
- एकदा – एक बार।
- वने – वन में।
- जालं – जाल।
- विस्तीर्य – बिछाकर।
- गृहम् – घर।
- आगतवान् – आ गया।
- अन्यस्मिन् दिवसे – दूसरे दिन।
- प्रात:काले – सुबह के समय।
- यदा – जब।
- चञ्चलः – चंचल।
- वनं – वन में।
- गतवान् – गया।
- तदा – तब।
- दृष्टवान् – देखा।
- यत् – कि।
- तेन – उसके द्वारा।
- विस्तारिते – बिछाए गए।
- जाले – जाल में।
- दौर्भाग्याद् – दुर्भाग्य से।
- एकः – एक।
- व्याघ्रः – शेर।
- बद्धः – बंधा हुआ।
- आसीत् – था।
- सोऽचिन्तयत् – उसने सोचा।
- मां – मुझे।
- खादिष्यति – खाएगा।
- अतएव – इसलिए।
- पलायनं – पलायन /भाग जाना।
- करणीयम् – करना चाहिए।
- न्यवेदयत् – निवेदन किया।
- भो मानव – हे मनुष्य।
- कल्याणं – कल्याण।
- भवतु – हो।
- ते – तुम्हारा।
- त्वं – तुम।
- मां – मुझे।
- मोचयिष्यसि – मुक्त करोगे।
- तर्हि – तो।
- अहं – मैं।
- त्वां – तुम्हें।
- न – नहीं।
- हनिष्यामि – मारूंगा।
- तदा – तब।
- जालात् – जाल से।
- बहिः – बाहर।
- निरसारयत् – निकाल दिया।
- व्याघ्रः – शेर।
- क्लान्तः – थका हुआ।
- आसीत् – था।
- सोऽवदत् – वह बोला।
- भो मानव – हे मनुष्य।
- पिपासुः – प्यासा हूं।
- अहम् – मैं।
- नद्याः – नदी का।
- जलमानीय – पानी लाकर।
- मम – मेरी।
- पिपासां – प्यास को।
- शमय – शांत करो।
- जलं – जल को।
- पीत्वा – पिकर।
- पुनः – फिर से।
- व्याधमवदत् – शिकारी को बोला।
- शान्ता – शांत हो गई है।
- मे – मेरी।
- पिपासा – प्यास।
- साम्प्रतं – अब मैं।
- बुभुक्षितोऽस्मि – भूखा हूं।
- इदानीम् – इस समय।
- अहं – मैं।
- त्वां – तुम्हें।
- खादिष्यामि – खाऊंगा।
- चञ्चलः – चंचल।
- उक्तवान् – बोला।
- त्वत्कृते – तुम्हारे लिए।
- धर्मम् – धर्म का।
- आचरितवान् – आचरण किया।
- त्वया – तुम्हारे द्वारा।
- मिथ्या – झूठ।
- भणितम् – कहा।
- खादितुम् – खाना।
- इच्छसि – चाहते हो।
- व्याघ्रः – शेर।
- अवदत् – बोला।
- क्षुधार्ताय – भूखे व्यक्ति के लिए।
- किमपि – कुछ भी।
- अकार्यम् – नहीं करने योग्य कार्य।
- भवति – होता।
- सर्वः – सभी।
- स्वार्थ – अपना भला।
- समीहते – चाहते हैं।
- चञ्चल: – चंचल।
- नदीजलम् – नदी के जल से।
- अपृच्छत् – पूछा।
- वदत् – बोला।
- एवमेव – ऐसा ही।
- भवति – होता है।
- जनाः – लोग।
- मयि – मुझ में।
- स्नानं – स्नान।
- कुर्वन्ति – करते हैं।
- वस्त्राणि – कपड़ों को।
- प्रक्षालयन्ति – धोते हैं।
- तथा च – और।
- मल-मूत्रादिकं – मल-मूत्र आदि को।
- विसृज्य – त्याग कर।
- निवर्तन्ते- लौट जाते हैं।
- वस्तुतः – वास्तव में।
- सर्वः – सभी।
- स्वार्थं – अपना भला।
- समीहते – चाहते हैं।
- चञ्चलः – चंचल ने।
- वृक्षम् – पेङ के।
- उपगम्य – पास जाकर।
- अपृच्छत् – पूछा।
- वृक्षः – पेङ।
- अवदत् – बोला।
- मानवाः – मनुष्य।
- अस्माकं – हमारी।
- छायायां – छाया में।
- विरमन्ति – विश्राम करते हैं।
- अस्माकं – हमारे।
- फलानि – फल।
- खादन्ति – खाते हैं।
- पुनः – उसके बाद।
- कुठारैः – कुल्हाड़ी से।
- प्रहृत्य – प्रहार करके।
- अस्मभ्यं – हमें।
- सर्वदा – हमेशा।
- कष्टं – कष्ट।
- ददति – देते हैं।
- यत्र – और।
- कुत्रापि – जहां-तहां।
- छेदनं – कटाई।
- कुर्वन्ति – करते हैं।
- सर्वः – सभी।
- स्वार्थं – अपना भला।
- समीहते – चाहते हैं।
- समीपे – पास ही।
- एका – एक।
- लोमशिका – लोमड़ी।
- बदरी-गुल्मानां – बेर की झाड़ियां।
- पृष्ठे – पीछे।
- निलीना – छुपी हुई।
- एतां – इस।
- वार्तां – बात को।
- शृणोति स्म – सुन रही थी ।
- सा – वह।
- सहसा – अचानक।
- चञ्चलमुपसृत्य – चंचल के पास जाकर।
- कथयति- बोली।
- का – क्या।
- वार्ता – बात है।
- माम् – मुझे।
- अपि – भी।
- विज्ञापय – बताइए।
- अहह – हे।
- मातृस्वसः – मौसी।
- अवसरे – सही समय पर।
- त्वं – तुम।
- समागतवती – आई हो।
- मया – मेरे द्वारा।
- अस्य – इस।
- व्याघ्रस्य – शेर को।
- प्राणाः – प्राणों की।
- रक्षिताः – रक्षा की है।
- परम् – परंतु।
- एषः – यह।
- मामेव – मुझे।
- खादितुम् – खाना।
- इच्छति – चाहता है।
- तदनन्तरं – इसके बाद।
- सः – वह।
- लोमशिकायै – लोमड़ी को।
- निखिलां – पूरी।
- कथां – कहानी।
- न्यवेदयत् – सुनाई।
- लोमशिका – लोमड़ी ने।
- चञ्चलम् – चंचल से।
- अकथयत् – कहा।
- बाढम् – ठीक है।
- त्वं – तुम।
- जालं – जाल।
- प्रसारय – फैलाओ।
- पुनः – फिर।
- सा – वह।
- व्याघ्रम् – शेर से।
- अवदत् – बोली।
- केन – किस।
- प्रकारेण – प्रकार।
- त्वम् – तुम।
- एतस्मिन् – इस।
- जाले – जाल में।
- बद्धः – बंधे।
- इति – यह।
- अहं – मैं।
- प्रत्यक्षं – प्रत्यक्ष।
- द्रष्टुमिच्छामि – देखना चाहती हूं।
- तद् – वह।
- वृत्तान्तं – घटना।
- प्रदर्शयितुं – दिखाने के लिए।
- तस्मिन् – उस।
- जाले – जाल में।
- प्राविशत् – प्रवेश किया।
- अकथयत् – बोली।
- सम्प्रति – अब।
- पुनः पुनः – बार-बार।
- कूर्दनं – उछल कूद।
- कृत्वा – करके।
- दर्शय – दिखाओ।
- सः – वह।
- तथैव – वैसा ही।
- समाचरत् – किया।
- अनारतं – लगातार।
- कूर्दनेन – उछल कूद करने से।
- श्रान्तः – थक गया।
- जाले – जाल में।
- बद्धः – बंधा हुआ।
- क्लान्तः सन् – थका हुआ।
- निःसहायो – बेसहारा।
- भूत्वा – होकर।
- तत्र – वहां।
- अपतत् – गिर गया।
- प्राणभिक्षामिव – प्राणों की भीख।
- अयाचत – याचना की।
- सत्यं – सत्य।
- त्वया – तुम्हारे द्वारा।
- भणितम् – कहां गया।
- सर्व: – सभी।
- स्वार्थ – अपना भला।
- समीहते – चाहते हैं।
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